विजयनगर साम्राज्य की स्थापना? विशेषताएं तथा उपलब्धियों का वर्णन करें

 विजयनगर साम्राज्य की स्थापना: 
संघर्ष से सामर्थ्य तक का सफर

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 में हरिहर (हक्का) और उनके भाई बुक्का राय द्वारा की गई थी। दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र में स्थित यह साम्राज्य भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना का मुख्य उद्देश्य दक्षिण भारत को विदेशी आक्रमणों से बचाना और क्षेत्रीय स्थिरता स्थापित करना था। इसका नाम आधुनिक कर्नाटक में स्थित इसकी राजधानी "विजयनगर" के नाम पर पड़ा, जो आज केवल खंडहर के रूप में बचा हुआ है, लेकिन अपने समय में यह भारत की सबसे समृद्ध और शक्तिशाली राजधानी थी।

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना? विशेषताएं तथा उपलब्धियों का वर्णन करें

विजयनगर साम्राज्य की विशेषताएं

विजयनगर साम्राज्य केवल एक राजनीतिक सत्ता नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा साम्राज्य था जिसने दक्षिण भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक स्थिति को नई दिशा दी।

(1) सांस्कृतिक विरासत

विजयनगर साम्राज्य ने दक्षिण भारत की कला और संस्कृति को समृद्ध किया। मंदिर स्थापत्य कला का उत्कर्ष इस काल में देखने को मिला, जिसमें हम्पी के मंदिरों और वास्तुकला का विशेष उल्लेख होता है। साम्राज्य के शासकों ने हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं को पुनर्जीवित किया, जो मुगल और तुर्क आक्रमणों से खतरे में पड़ चुकी थीं।

(2) कृषि और सिंचाई का विकास

विजयनगर साम्राज्य में कृषि को प्रमुख आर्थिक गतिविधि माना जाता था। साम्राज्य ने सिंचाई के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई बांध और जलाशयों का निर्माण कराया, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई। यह साम्राज्य अपने समय में धान, कपास, गन्ना, और मसालों के लिए प्रसिद्ध था।

(3) व्यापार और आर्थिक उन्नति 

विजयनगर साम्राज्य का व्यापारिक नेटवर्क न केवल भारत में बल्कि विदेशों तक फैला हुआ था। यहां की राजधानी विजयनगर व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गई थी, और इसका बंदरगाह यूरोपीय, फारसी, और अरब व्यापारियों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बन चुका था।

(4) सैन्य शक्ति

विजयनगर साम्राज्य ने अपनी सैन्य शक्ति को भी काफी बढ़ाया। शासकों ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए शक्तिशाली सेना का निर्माण किया। युद्धक रणनीतियों और घुड़सवार सेना के कुशल प्रयोग से इसने अपने पड़ोसी राज्यों और विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ प्रभावी ढंग से विजय प्राप्त की।

विजयनगर साम्राज्य की उपलब्धियां

विजयनगर साम्राज्य अपनी अनूठी कला, प्रशासनिक दक्षता और व्यापारिक समृद्धि के लिए जाना जाता था। इसके कुछ मुख्य पहलू निम्नलिखित हैं:

1. कला और वास्तुकला

विजयनगर साम्राज्य में कला और वास्तुकला का व्यापक विकास हुआ। विशेष रूप से, हज़ारा राम और विठ्ठल स्वामी मंदिरों का निर्माण महान राजा कृष्णदेव राय द्वारा करवाया गया था। विजयनगर की स्थापत्य शैली में कल्याण मंडप, विशाल अलंकृत स्तंभ, और एकात्मक कला की विशेषता थी। इन मंदिरों की मूर्तियां और स्तंभ इस साम्राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक हैं।

2. प्रशासन

विजयनगर साम्राज्य की प्रशासनिक प्रणाली बेहद सुव्यवस्थित थी। यहाँ नायकर प्रणाली प्रचलित थी, जिसमें राजा अधिकारियों को ज़मीन प्रदान करते थे, और ये अधिकारी प्रशासनिक कार्यों और सेना का प्रबंधन करते थे। इस प्रणाली ने साम्राज्य को सुचारु रूप से चलाने में अहम भूमिका निभाई।

3. व्यापार

विजयनगर साम्राज्य का व्यापार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ था। इस साम्राज्य ने तांबा, पारा, मखमल, चीनी रेशम, मूंगा, मोती, घोड़े, और हाथी का आयात किया। इसके अलावा, यह मसालों, धातुओं, खाद्य उत्पादों, बर्तनों, इत्र, और कपड़ों का निर्यात करता था। व्यापार ने साम्राज्य की आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा दिया।

4. राजनीतिक व्यवस्था

राजनीतिक दृष्टिकोण से, विजयनगर साम्राज्य में अमर-नायक प्रणाली लागू थी। इस प्रणाली में सैन्य कमांडरों को क्षेत्रीय भूमि दी जाती थी, जिसे वे शासित करते थे और बदले में राजा को सैन्य सहायता प्रदान करते थे। यह प्रणाली साम्राज्य की रक्षा और सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने में सहायक थी।

5. राजधानी: हम्पी

विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी थी, जो उस समय व्यापार, कला और संस्कृति का केंद्र थी। इसकी भव्यता और सांस्कृतिक धरोहर आज भी दुनिया को आकर्षित करती हैं, और हम्पी को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है।

(6) हम्पी के मंदिर

हम्पी में स्थित मंदिर, जैसे विठ्ठल मंदिर और विरुपाक्ष मंदिर, विजयनगर की स्थापत्य कला और धार्मिक समृद्धि का अद्वितीय उदाहरण हैं। ये मंदिर आज भी भारतीय संस्कृति और कला के गौरवशाली प्रतीक हैं।

(7) संविधानिक व्यवस्था

विजयनगर साम्राज्य में शासन प्रणाली बहुत सुदृढ़ थी। राजा की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद, सैन्य और न्यायिक प्रणाली का प्रभावी संगठन किया गया था, जो साम्राज्य को सुदृढ़ और स्थिर बनाए रखने में मददगार साबित हुआ।

(8) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

विजयनगर के शासकों ने व्यापार को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया। भारतीय मसालों, रत्नों, कपड़ों और हस्तशिल्पों की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में काफी थी। साम्राज्य ने समुद्री व्यापार से भी बड़े पैमाने पर धन अर्जित किया। 

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विजयनगर साम्राज्य की मानवीय भावना

विजयनगर साम्राज्य के शासकों की मानवीय दृष्टि उनके शासन की एक प्रमुख विशेषता थी। हरिहर और बुक्का न केवल शक्तिशाली शासक थे, बल्कि ऐसे राजा भी थे, जो अपने प्रजा की भलाई और समृद्धि के प्रति गहरी रुचि रखते थे। वे यह समझते थे कि एक शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण केवल युद्ध से नहीं बल्कि आर्थिक स्थिरता, सांस्कृतिक समृद्धि और प्रजा के कल्याण से होता है। साम्राज्य के मंदिरों में कला, संगीत, और नृत्य का संरक्षण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जो दर्शाता है कि यह साम्राज्य केवल शक्ति का नहीं बल्कि मानवता का भी सम्मान करता था।

निष्कर्ष

विजयनगर साम्राज्य न केवल एक ऐतिहासिक साम्राज्य था, बल्कि यह एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि कैसे संघर्ष और चुनौतियों के बीच भी दृढ़ता, परंपरा, और विकास को महत्व दिया जा सकता है। हरिहर और बुक्का द्वारा स्थापित यह साम्राज्य आज भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर और उपलब्धियों के लिए याद किया जाता है।

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने और कब की थी?

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 में हरिहर (हक्का) और उनके भाई बुक्का राय ने की थी।

विजयनगर साम्राज्य का मुख्य उद्देश्य क्या था?

इस साम्राज्य का मुख्य उद्देश्य दक्षिण भारत को विदेशी आक्रमणों से बचाना और क्षेत्रीय स्थिरता स्थापित करना था।

विजयनगर साम्राज्य की राजधानी कौन सी थी और इसका क्या महत्व था?

इस साम्राज्य की राजधानी विजयनगर (वर्तमान हम्पी) थी, जो अपने समय में भारत की सबसे समृद्ध और शक्तिशाली राजधानी मानी जाती थी। आज यह एक विश्व धरोहर स्थल है।

विजयनगर साम्राज्य की अर्थव्यवस्था किस प्रकार समृद्ध थी?

इस साम्राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आधारित थी। यह साम्राज्य मसालों, धातुओं, और कपड़ों का प्रमुख निर्यातक था और यूरोपीय, फारसी और अरब व्यापारियों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे।

विजयनगर साम्राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था कैसी थी?

विजयनगर साम्राज्य में नायकर प्रणाली प्रचलित थी, जिसमें अधिकारियों को ज़मीन दी जाती थी और वे प्रशासनिक कार्यों और सेना का प्रबंधन करते थे। यह प्रणाली साम्राज्य को कुशलतापूर्वक चलाने में सहायक थी।

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