कारगिल युद्ध 1999
कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुआ। मई और जुलाई के बीच लड़े गए इस युद्ध में, पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की। उन्होंने करगिल की ऊँचाई वाली चौकियों पर कब्जा कर भारतीय सेना की आपूर्ति और संपर्क मार्गों को काटने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत जवाबी कार्रवाई की और लगभग दो महीने के भीषण संघर्ष के बाद, पाकिस्तान को पीछे धकेलते हुए अपनी जमीन पुनः प्राप्त की। इस युद्ध में भारत ने विजय प्राप्त की और अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत किया।
कारगिल युद्ध के कारण और परिणाम
कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। इस युद्ध के कारण और परिणाम निम्नलिखित हैं:
कारगिल युद्ध के कारण
कारगिल युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई, जब पाकिस्तान ने कारगिल की ऊँची पहाड़ियों पर 5,000 से अधिक सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया। इस घुसपैठ की जानकारी भारत सरकार को मिलने पर, पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” शुरू किया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सैनिकों ने कठिन परिस्थितियों में लड़ते हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे हटने पर मजबूर किया और कब्जाई गई जमीन को पुनः प्राप्त किया। यह अभियान भारतीय सेना की साहसिक और रणनीतिक सफलता का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
(1) सीमा विवाद
कारगिल युद्ध का मुख्य कारण कश्मीर क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद था। पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से घुसपैठ कर भारतीय क्षेत्र में आकर अपनी चौकियों पर कब्जा कर लिया था।
(2) पाकिस्तान की रणनीति
पाकिस्तान ने कारगिल क्षेत्र में अपनी सेना और आतंकवादियों को भेजकर वहां की ऊँचाई वाली चौकियों पर कब्जा कर लिया। इसका उद्देश्य था भारतीय सेना की आपूर्ति लाइन को काटना और कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना।
(3) विश्वासघात
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही कूटनीतिक और सैन्य संबंध थे। कारगिल में घुसपैठ पाकिस्तान द्वारा एक तरह से विश्वासघात माना गया, क्योंकि दोनों देशों के बीच शांति वार्ता चल रही थी।
कारगिल युद्ध के परिणाम
कारगिल युद्ध, जो करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर लड़ा गया, भारत के लिए अत्यंत कठिन और दर्दनाक था। इस संघर्ष में भारत ने 527 से अधिक वीर योद्धाओं को खो दिया और 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए। दूसरी ओर, पाकिस्तान के 2700 सैनिक मारे गए, और 750 सैनिक युद्ध से भाग गए। यह युद्ध भारतीय सेना की वीरता और समर्पण का प्रतीक बन गया, जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मन को पराजित किया।
(1) भारत की विजय
भारतीय सेना ने युद्ध में जीत हासिल की और पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों को वापस लिया। ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सेना ने अपने क्षेत्रों को पुनः प्राप्त किया।
(2) पाकिस्तान की आलोचना
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की निंदा हुई। पाकिस्तान पर दबाव डाला गया कि वह अपनी सेना को नियंत्रण रेखा के पार से वापस बुलाए।
(3) भारत-पाकिस्तान संबंधों में गिरावट
इस युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को और खराब कर दिया। दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी बढ़ गई और कूटनीतिक संबंधों में तनाव आ गया।
(4) सेना की प्रतिष्ठा
भारतीय सेना की प्रतिष्ठा बढ़ी और उसे विश्व स्तर पर सम्मान प्राप्त हुआ। इस युद्ध के बाद भारतीय सेना की सैन्य शक्ति और रणनीति को और मजबूत किया गया।
(5) आंतरिक सुधार
इस युद्ध के बाद भारत ने अपने रक्षा ढांचे और खुफिया तंत्र में सुधार किया। सेना की तैयारियों को बढ़ाया गया और सीमाओं पर सुरक्षा को मजबूत किया गया।
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