वियतनाम युद्ध (1962 - 1973)
वियतनाम युद्ध एक लंबा और जटिल संघर्ष था जो 1962 से 1973 तक चला। यह युद्ध मुख्य रूप से उत्तरी वियतनाम और दक्षिणी वियतनाम के बीच लड़ा गया था, लेकिन इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों की महत्वपूर्ण भागीदारी भी थी।
वियतनाम युद्ध (1962 - 1973) पृष्ठभूमि
वियतनाम युद्ध की जड़ें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के समय में हैं। फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के अंत के बाद, वियतनाम को दो भागों में विभाजित किया गया - उत्तर में कम्युनिस्ट शासन और दक्षिण में अमेरिकी समर्थित शासन। 1954 में जिनेवा समझौते के तहत विभाजन अस्थायी था, और 1956 में चुनावों के माध्यम से पुन: एकीकरण का वादा किया गया था, लेकिन यह चुनाव कभी नहीं हुए।
वियतनाम युद्ध के प्रमुख पक्ष
उत्तरी वियतनाम (वियत कांग और वियत मिंह) - ये कम्युनिस्ट थे और इन्हें सोवियत संघ और चीन का समर्थन प्राप्त था।
दक्षिणी वियतनाम - यह अमेरिकी समर्थन वाला गैर-कम्युनिस्ट शासन था।
संयुक्त राज्य अमेरिका - अमेरिका ने दक्षिणी वियतनाम का समर्थन किया और कम्युनिज्म के प्रसार को रोकने के लिए अपने सैनिक भेजे।
वियतनाम युद्ध की प्रमुख घटनाएँ
(1) टेट आक्रमण (1968)
नवियत कांग और उत्तरी वियतनामी बलों द्वारा किया गया यह बड़ा आक्रमण एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। यह सैन्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक जीत थी, लेकिन जनमत के दृष्टिकोण से यह एक बड़ी हार थी।
(2) माई लाई नरसंहार (1968)
अमेरिकी सैनिकों द्वारा किए गए इस नरसंहार में कई निर्दोष वियतनामी नागरिक मारे गए, जिसने अमेरिकी जनता और विश्व समुदाय में भारी आक्रोश पैदा किया।
(3) पेरिस शांति समझौता (1973)
इस समझौते के तहत अमेरिका ने वियतनाम से अपने सैनिकों की वापसी की घोषणा की।
वियतनाम युद्ध (1962 - 1973) के कारण
वियतनाम युद्ध के कई जटिल और परस्पर जुड़े कारण थे, जिनमें राजनीतिक, वैचारिक, और सामाजिक तत्व शामिल थे। यहां कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:
1. औपनिवेशिक विरासत और विभाजन
फ्रांसीसी उपनिवेशवाद: वियतनाम, 19वीं सदी के अंत से द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक फ्रांसीसी उपनिवेश था। फ्रांसीसी शासन के अंत के बाद, वियतनाम ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की, लेकिन फ्रांस ने इसे फिर से अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास किया।
जिनेवा समझौता (1954), फ्रांस और वियतनामी राष्ट्रवादियों के बीच संघर्ष के बाद, जिनेवा समझौते के तहत वियतनाम को अस्थायी रूप से 17वीं समानांतर रेखा पर दो भागों में विभाजित किया गया - उत्तर में कम्युनिस्ट शासन और दक्षिण में अमेरिकी समर्थित शासन।
2. वैचारिक संघर्ष
कम्युनिज्म बनाम पूंजीवाद: वियतनाम युद्ध का एक प्रमुख कारण शीत युद्ध की वैचारिक लड़ाई थी। उत्तरी वियतनाम, जिसे सोवियत संघ और चीन का समर्थन प्राप्त था, ने दक्षिणी वियतनाम में कम्युनिस्ट शासन स्थापित करने का प्रयास किया। दूसरी ओर, अमेरिका ने दक्षिणी वियतनाम का समर्थन किया ताकि कम्युनिज्म का प्रसार रोका जा सके।
3. डोमिनो थ्योरी
अमेरिकी नीति: अमेरिकी नेताओं ने 'डोमिनो थ्योरी' में विश्वास किया, जिसके अनुसार अगर एक देश कम्युनिस्ट हो जाता है, तो उसके पड़ोसी देश भी जल्दी ही कम्युनिस्ट हो जाएंगे। इस सिद्धांत के आधार पर, अमेरिका ने वियतनाम में अपने सैन्य हस्तक्षेप को उचित ठहराया।
4. वियतनामी राष्ट्रवाद
स्वतंत्रता की आकांक्षा: वियतनामी लोगों में एक मजबूत राष्ट्रवादी भावना थी और वे विदेशी शासन से स्वतंत्रता चाहते थे। उत्तरी वियतनाम ने इस भावना का इस्तेमाल अपने समर्थन को मजबूत करने और दक्षिणी वियतनाम को एकीकृत करने के लिए किया।
5. राजनीतिक अस्थिरता
दक्षिणी वियतनाम में अस्थिरता: दक्षिणी वियतनाम में सरकारें लगातार बदलती रहीं और राजनीतिक अस्थिरता बनी रही। भ्रष्टाचार और शासन की अक्षमता ने दक्षिणी वियतनाम के नागरिकों में असंतोष को बढ़ाया, जिससे वियत कांग (वियतनामी कम्युनिस्ट) को समर्थन मिला।
6. विदेशी हस्तक्षेप
अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप: अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप, विशेष रूप से 1964 के टोंकिन खाड़ी घटना के बाद, युद्ध को और बढ़ावा मिला। अमेरिकी बमबारी और सैनिकों की तैनाती ने उत्तरी वियतनाम को और अधिक आक्रामक बना दिया।
7. वियतनाम में गृहयुद्ध
आंतरिक संघर्ष: वियतनाम में खुद एक गृहयुद्ध चल रहा था, जिसमें उत्तरी वियतनाम और वियत कांग ने दक्षिणी वियतनाम की सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। यह संघर्ष स्थानीय और वैचारिक दोनों स्तरों पर था।
वियतनाम युद्ध के परिणाम
(1) अमेरिकी वापसी
1973 में पेरिस शांति समझौते के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हुई।
(2) साइगॉन का पतन (1975)
अमेरिकी वापसी के बाद, उत्तरी वियतनामी बलों ने साइगॉन (अब हो ची मिन्ह सिटी) पर कब्जा कर लिया, जिससे वियतनाम का पुन: एकीकरण हुआ।
(3) वियतनाम का पुन: एकीकरण
वियतनाम एक समाजवादी गणराज्य के रूप में पुन: एकीकृत हो गया, जिसका नेतृत्व कम्युनिस्ट पार्टी ने किया।
वियतनाम युद्ध के प्रभाव
(1) अमेरिका पर प्रभाव
यह युद्ध अमेरिकी समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव छोड़ गया। यह युद्ध अमेरिकी जनता के बीच विभाजन और सरकार के प्रति अविश्वास का कारण बना।
(2) वियतनाम पर प्रभाव
वियतनाम को भारी मानवीय और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। युद्ध के बाद पुनर्निर्माण और विकास में दशकों लग गए।
(3) वैश्विक प्रभाव
वियतनाम युद्ध ने शीत युद्ध के संदर्भ में भू-राजनीतिक रणनीतियों को भी प्रभावित किया और अन्य राष्ट्रों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाया।
निष्कर्ष
वियतनाम युद्ध का इतिहास न केवल एक सैन्य संघर्ष का इतिहास है, बल्कि यह मानवता, राजनीति, और समाज पर इसके व्यापक प्रभावों का भी इतिहास है।
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