संविधान सभा का निर्माण: इतिहास एवं उद्देश्य

संविधान सभा का निर्माण: इतिहास एवं उद्देश्य

भारत की संविधान सभा का निर्माण एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी जिसने भारत को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका निर्माण और उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में समझा जा सकता है।

संविधान सभा का निर्माण: इतिहास एवं उद्देश्य

संविधान सभा का इतिहास

संविधान सभा का निर्माण 1946 में हुआ था। यह समय भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण का था, जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों पर स्वतंत्रता देने का दबाव बढ़ा दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारतीय उपमहाद्वीप में बढ़ते असंतोष और स्वतंत्रता की मांग को देखते हुए संविधान सभा के गठन का निर्णय लिया।

कैबिनेट मिशन योजना

1946 में ब्रिटिश सरकार ने कैबिनेट मिशन को भारत भेजा, जिसका उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के लिए एक रूपरेखा तैयार करना था। इस मिशन ने संविधान सभा के गठन की सिफारिश की, जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के प्रतिनिधि शामिल हों। कैबिनेट मिशन योजना के तहत, संविधान सभा का गठन किया गया, जिसमें 389 सदस्य थे।

संविधान सभा उद्देश्य

संविधान सभा का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा संविधान तैयार करना था जो एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत की नींव रख सके। इसके उद्देश्य निम्नलिखित थे:

(1) संप्रभुता की स्थापना

 संविधान सभा का उद्देश्य एक ऐसे संविधान का निर्माण करना था जो भारत को एक संप्रभु राष्ट्र घोषित करे, जहां जनता सर्वोच्च हो और देश की सत्ता जनता के हाथ में हो।

(2) लोकतांत्रिक ढांचे की स्थापना

संविधान सभा का उद्देश्य एक लोकतांत्रिक ढांचे की स्थापना करना था, जिसमें प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता, समानता और न्याय मिले। यह ढांचा संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका के संतुलन पर आधारित था।

(3) मौलिक अधिकारों की सुरक्षा

संविधान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करना था, जिससे हर व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता, समानता और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार मिल सके।

(4) संघीय ढांचे का निर्माण

संविधान सभा ने एक संघीय ढांचे की स्थापना का उद्देश्य रखा, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन हो। इससे केंद्र और राज्य दोनों की स्वायत्तता सुनिश्चित हो सके।

(5) सामाजिक न्याय और आर्थिक कल्याण

संविधान सभा का उद्देश्य एक ऐसा संविधान बनाना था जो सामाजिक न्याय और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा दे। इसके तहत समाज के सभी वर्गों को समान अवसर और अधिकार प्रदान करने की व्यवस्था की गई।

(6) राष्ट्रीय एकता और अखंडता

संविधान सभा का एक प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखना था। इसके लिए संविधान में ऐसे प्रावधान शामिल किए गए जो विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों को एकजुट कर सकें।

संविधान सभा की कार्यप्रणाली

★ संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया। संविधान सभा ने विभिन्न समितियों का गठन किया, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण मसौदा समिति थी। इस समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर थे, जिन्हें भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है।

★ संविधान सभा ने संविधान के विभिन्न भागों पर विस्तृत चर्चा और बहस की। यह प्रक्रिया लगभग तीन वर्षों तक चली और अंततः 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया। भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

निष्कर्ष

संविधान सभा का निर्माण और उसके उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सफलता और भारत के लोकतांत्रिक और संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापना के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। संविधान सभा ने भारतीय संविधान की रचना कर देश को एक मजबूत और स्थिर राजनीतिक ढांचा प्रदान किया, जो आज भी हमारे लोकतांत्रिक मूल्य और राष्ट्रीय एकता के आधार के रूप में कार्य करता है।

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