कारखाना अधिनियम, 1948 क्या है? नवयुवकों की नियुक्ति के प्रावधान

कारखाना अधिनियम, 1948

कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 2(d) के अनुसार नवयुवक या युवा व्यक्ति से आशय उसे व्यक्ति से है जो बालक अथवा किशोर हो। बालक से आशय उस व्यक्ति से है जिसने अपनी आयु का 15 वर्ष पूरा नहीं किया है। 

किशोर से आशय उस व्यक्ति से है जिसने अपनी आयु का 15 वर्ष पूरा कर लिया है, किंतु 18 वर्ष पूरा नहीं किया है। उसमें नवयुवक एवं नवयुवती, दोनों शामिल है। कारखाना अधिनियम 1939 में धारा 67 से 77 के अंतर्गत नवयुवकों को नियुक्ति के संबंध में वर्णन किया गया है, जो कुछ इस प्रकार है — 

(1) युवा बालकों की नियुक्ति पर प्रतिबन्ध 

अधिनियम की धारा 67 के अनुसार किसी भी ऐसे बालक को जिसने 14 वर्ष की आयु पूरी नहीं है, किसी भी कारखाने में न तो कार्य पर नियुक्त किया जाएगा और न ही उसे किसी कार्य को करने की अनुमति दी जाएगी। 

(2) अवयस्क श्रमिकों द्वारा प्रमाण-चिन्ह (टोकन) रखा जाना 

अधिनियम की धारा 68 के अनुसार प्रत्येक ऐसे बालक ने जिसने अपनी आयु का 14 वीं वर्ष पूरा कर लिया है अथवा एक किशोर उस समय तक किसी कारखाने में कार्य करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक कि उसकी स्वस्थता का प्रमाण पत्र कारखाने के प्रबन्धक के पास जमा न हो। ऐसे प्रमाण-पत्र का चिन्ह (टोकन) सदैव काम करते समय उसके पास होना चाहिए। 

(3) स्वस्थता का प्रमाण-पत्र

अधिनियम की धारा 69 के अनुसार किसी भी नवयुवक को कारखाने में काम करने के लिए प्रमाणित करने वाले चिकित्सक का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है। इस प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने के लिए स्वयं नवयुवक द्वारा अथवा उसके माता-पिता या संरक्षक द्वारा आवेदन - पत्र दिया जाना चाहिए। ऐसे आवेदन-पत्र के साथ कारखाने के प्रबन्धक का हस्ताक्षरित प्रपत्र होना चाहिए, जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि यदि उसे काम करने के योग्य पाया गया, तो उसे कारखाने में नियुक्त कर दिया जाएगा। कोई भी चिकित्सक उस समय तक प्रमाण-पत्र नहीं देगा और न ही नवीनीकरण करेगा जब तक कि उस ऐसे स्थान का, जहाँ निर्माण प्रक्रिया होती हो और जहाँ नवयुवक को नियुक्त किया गया हो, उसने स्वयं उस स्थान की जाँच न कर ली हो । प्रमाणित चिकित्सक द्वारा प्रदान किया गया प्रमाण-पत्र निर्गमन की तिथि से 12 माह तक ही वैध रहेगा। यदि प्रमाणित करने वाले चिकित्सक की सम्मति में वह नवयुवक कार्य करने के योग्य नहीं रहा हो , तो वह उसका स्वस्थता प्रमाण-पत्र निरस्त कर सकता है। यदि प्रमाणित चिकित्सक स्वस्थता प्रमाण - पत्र देने से इन्कार करता है अथवा उसका नवीनीकरण करने से इन्कार कर देता है, तो ऐसी दशा में प्रार्थी द्वारा निवेदन करने पर उसे लिखित रूप में वे कारण बताने होंगे जिनके कारण उसने प्रमाण - पत्र देने या नवीनीकरण करने से इन्कार कर दिया है। 

4. किशोर को दिए गए स्वस्थता प्रमाण-पत्र का प्रभाव 

अधिनियम की धारा 70 के अनुसार जिसे किशोर को स्वस्थता को प्रमाण-पत्र दिया जाता है तथा उसे एक वयस्क श्रमिक के रूप में कारखाने में कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में उसे सभी उद्देश्यों से एक वयस्क श्रमिक माना जाएगा। परन्तु ऐसा किशोर जिसने अपनी आयु के 17 वर्ष पूरे नहीं किए हैं, उसे कारखाने में रात्रि के समय काम पर नियुक्त नहीं किया जाएगा और न ही उसे काम करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। उससे प्रातः 6 बजे से सांय 7 बजे तक की अवधि में ही काम लिया जाएगा। जिस किशोर को कारखाने में वयस्क श्रमिक की तरह कार्य करने का प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है, उसे इस अधिनियम के सभी उद्देश्यों के लिए बालक माना जाएगा, चाहे उसकी आयु कुछ भी हो। 

(5) बालकों के लिए काम करने के घण्टे 

अधिनियम की धारा 71 के अनुसार किसी भी बालक को किसी भी दिन कारखाने में 41 घण्टे से अधिक के लिए काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता और न ही उसे काम की अनुमति दी जाएगी। रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक किसी भी बालक से काम नहीं लिया जा सकता। कारखानों में नियुक्त बालकों के काम की अवधि हो पालियों में ही रहेगी, जिनमें से प्रत्येक पाली का विस्तार 5 घण्टे से अधिक नहीं होगा। कारखानों में बालकों से एक पाली समाप्त होने के तत्काल बाद दूसरी पाली में काम नहीं लिया जाएगा। प्रत्येक बालक केवल एक ही समूह में कार्य करेगा। समूह में एक माह में केवल एक बार ही परिवर्तन किया जा सकता है। एक से अधिक बार परिवर्तन के लिए मुख्य निरीक्षक की स्वीकृति लेनी अनिवार्य है। किसी भी बालिका को कारखाने में प्रातः 8 बजे से सायं 7 बजे के बीच ही काम पर रखा जाएगा। कोई बालक किसी कारखाने में उस दिन कार्य नहीं कर सकता जिस दिन उसने किसी अन्य कारखाने में पहले ही कार्य कर लिया हो। धारा 52 में वर्णित साप्ताहिक अवकाश सम्बन्धी व्यवस्थाएँ बालक पर भी लागू होंगी तथा इनसे किसी भी बालक को छूट नहीं दी जाएगी। 

(6) बालकों के लिए कार्य की अवधि की सूचना 

अधिनियम की धारा 72 के प्रत्येक ऐसे कारखाने में जहाँ पर बालक श्रमिकों की काम पर नियुक्ति की गई है, वहाँ पर बालक श्रमिकों के काम करने के समय की एक सूचना लगाई जाएगी। सूचना में प्रदर्शित की गई। अवधियाँ पहले से निश्चित की जाएँगी तथा उनका निर्धारण धारा 61 में वर्णित व्यवस्थाओं के अनुसार किया जाएगा। ऐसी सूचना किसी सुविधाजनक स्थान पर लगाई जाएगी। ऐसी सूचना अंग्रेजी भाषा में अथवा उस भाषा में लगाई जाएगी जो बहुसंख्यक श्रमिकों द्वारा समझी जाती हो। उक्त सूचना का प्रारूप राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा। ऐसी सूचना की दो प्रतिलिपियाँ कारखाना निरीक्षक को भेजी जाएँगी। सूचना में परिवर्तन करने के लिए कारखाना निरीक्षक की अनुमति अनिवार्य है। 

(7) बालक श्रमिकों का रजिस्टर

अधिनियम की धारा 73 के अनुसार प्रत्येक ऐसे कारखाने में जहाँ बालक श्रमिक काम करते हैं, वहाँ एक रजिस्टर रखा जाएगा, जिसमें प्रत्येक बालक श्रमिक का नाम, उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति, पाली, स्वस्थता प्रमाण-पत्र की संख्या आदि बातों का उल्लेख होगा। किसी भी बालक को कारखाने में तब तक काम करने के लिए नहीं कहा जाएगा और न ही काम करने की अनुमति दी जाएगी जब तक कि उसका नाम तथा अन्य विवरण की प्रविष्टि बालक श्रमिकों के रजिस्टर में न कर दी गई हो। राज्य सरकार ऐसे रजिस्टर के प्रारूप, उसके रखे जाने की रीति तथा वह अवधि जिसके लिए वह रखा जाएगा आदि बातों का निर्धारण कर सकती है। 

(8) सूचना तथा रजिस्टर के अनुरूप काम के घण्टे 

अधिनियम की धारा 74 के अनुसार प्रत्येक कारखाने में बालक श्रमिक से काम लेते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा।

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