भृति प्रशासन से आप क्या समझते हैं? भृति प्रशासन के उद्देश्य एवं कार्य

भृति प्रशासन का अर्थ, उद्देश्य एवं कार्यों

श्रम उत्पत्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण और सार्थक साधन है जिसकी कार्य कुशलता, कार्यदक्षता, कार्य सन्तुष्टि, मनोबल पर उपक्रम का भविष्य निर्भर करता है। अत: यह आवश्यक है कि उसे अन्य सुविधाओं के साथ - साथ उचित भृति भी दी जाए। उसके मृति के निर्धारण और उसके भुगतान की व्यवस्था कर्मचारी विभाग को जिस शाखा द्वारा की जाती है उसे मृति प्रशासन कहते हैं। अन्य शब्दों में भूति प्रशासन से तात्पर्य उन नीतियों एवं कार्य विधियों के निर्धारण से है जिनके द्वारा मजदूरी का निर्धारण व भुगतान किया जाता है। इसके अन्तर्गत यह प्रयत्न किया जाता है कि मजदूरी का एक ऐसा ढांचा तैयार किया जाए जिससे मजदूर भी सन्तुष्ट रहे और सेवायोजक को भी भार न पड़े। इस प्रकार मजदूरी प्रशासन एक ऐसा प्रबन्धकीय कार्य है जिसके द्वारा श्रमिक व नियोक्ता दोनों ही पक्ष के हितों को सुरक्षित रखा जाता है। 

डॉ० एन० एल० शर्मा के अनुसार— “भृति प्रशासन से आशय कर्मचारी प्रशासन की उस शाखा से है जो श्रमिकों के विभिन्न समूहों की मजदूरी की दरों का निर्धारण करता है तथा पारिश्रमिक भुगतान को व्यवस्था करता है।”  

इस प्रकार धृति प्रशासन कर्मचारी प्रशासन का एक अति अनिवार्य और विशिष्ट पक्ष है जो श्रमिकों के वास्तविक हितों का रक्षक है। कर्मचारी प्रशासन विज्ञान के एक विद्वान का कहना है कि, “श्रमिक इसलिए कार्य करते हैं क्योंकि उनकों भुगतान किया जाता है" अर्थात् श्रमिकों को प्राप्त होने वाले पुरस्कार की राशि भुगतान की व्यवस्था यदि सन्तोषजनक है तो श्रमिक सन्तुष्ट होगा। अतः भृति प्रशासन न केवल श्रमिकों की उचित भृति का निर्धारण करता है बल्कि उसका समय पर भुगतान की भी व्यवस्था करता है। इस प्रकार भृति प्रशासन आज प्रत्येक औद्योगिक संगठन की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है। 

भृति प्रशासन के उद्देश्य 
(Objectives of Wage Administration)

 भूति प्रशासन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं- 

(1) मजदूरी का ऐसा ढाँचा तैयार करना, ताकि योग्य कर्मचारियों को इच्छित मात्रा में भर्ती किया जा सके।

(2) यह प्रयास करना की वर्तमान कार्यरत कर्मचारी संस्था में ही बने रहें। 

(3) श्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए श्रमिकों को पुरस्कृत करना। 

(4) कार्य निष्पादन मे और सुधार करके अच्छे परिणाम प्राप्त करना। 

(5) समान कार्य के लिए समान भूति व्यवस्था करना। 

(6) विभिन्न कार्यों के लिए उनके सापेक्षित महत्त्व के अनुसार मजदूरी स्तर में यथोचित भिन्नता रखना। 

(7) मजदूरी का ऐसा ढाँचा तैयार करना जो सरल, सुबोध, संचालन योग्य और नियन्त्र में रहे। 

(8) मजदूरी का ऐसा ढाँचा बनाना जो लागत को न्यूनतम करें। 

भृति प्रशासन के कार्य 
(Functions of Wage Administration) 

मृति प्रशासन विभाग के कार्य क्षेत्र में वह सभी कार्य आते हैं जो नियुक्त श्रमिकों के मजदूरी निर्धारण से लेकर उनकी अच्छी कार्य दशाएँ एवं उनकी सुविधाओं के लिए आवश्यक है। इस दृष्टि से भूति प्रशासन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं- 

(1) मजदूरी का निर्धारण 

उपक्रम के विभिन्न कार्यों को करने के लिए न केवल विभिन्न श्रमिक नियुक्त किए जाते हैं बल्कि विभिन्न स्तर के श्रमिक नियुक्त किए जाते हैं। इन विभिन्न स्तर के नियुक्त श्रमिकों को कितना वेतन दिया जाए कि वह कार्य के प्रति समर्पित रहे इसका निर्धारण भृति प्रशासन विभाग का मुख्य कार्य है। 

(2) कार्य का वितरण 

भृति प्रशासन विभाग यह प्रयास करता है कि कार्य का वितरण इस प्रकार हो कि जो व्यक्ति जिस कार्य को अच्छे तरीके से निष्पादित कर सके उसे वह कार्य मिले इससे श्रमिकों की कार्यक्षमता बढ़ती है। 

(3) कार्य का मूल्यांकन

श्रमिकों को कार्य का वितरण करने के पश्चात् भृति प्रशासन विभाग का कार्य यह देखना है कि श्रमिक उस कार्य को ठीक प्रकार से कर रहा है या नहीं तथा उसी विधि से कर रहा है जो निर्धारित है या नहीं। इस प्रकार श्रमिक के कार्य का मूल्यांकन भी इस विभाग का मुख्य कार्य है। 

(4) पारिश्रमिक भुगतान की वैज्ञानिक व्यवस्था 

श्रमिक उपक्रम में कार्य इसलिए करता है कि उसके अपने श्रम के बदले भुगतान मिलेगा। यह भुगतान उसे उचित समय पर उचित विधि से उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रसिद्ध धार्मिक पुस्तक कुरान में लिखा है, “मजदूर की मजदूरी का भुगतान उसके श्रम का पसीना सूखने से पहले ही मिल जाना चाहिए।” यह कथन मजदूरी प्रशासन के भृति भुगतान व्यवस्था को ही स्पष्ट करता है। 

(5) परिवेदना का निवारण

श्रमिकों का निर्धारित वेतन यदि श्रमिकों की दृष्टि से उचित नहीं है या मजदूरी के भुगतान की विधि व समय उचित नहीं है तो इस सम्बन्ध में श्रमिकों की परिवेदनाओं का निवारण करना भी भृति प्रशासन विभाग का कार्य है । यह सत्य है कि सन्तुष्ट श्रमिक उपक्रम के लिए वरदान है और असन्तुष्ट श्रमिक उपक्रम के अभिशाप है। अत: श्रमिको की कठिनाइयों को दूर करना और उन्हें कार्य के प्रति आकर्षित करना भी भृति प्रशासन विभाग का कार्य है। 

(6) मजदूरी सम्बन्धी वैधानिक प्रावधानों का निर्वाह  

वर्तमान में मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी सरकार के द्वारा निर्धारित है उसके अतिरिक्त श्रमिकों की अन्य सुविधाओं और प्रेरणाओं के लिए भी कानूनी प्रावधान है जिसका निर्वाह करना प्रबंध तंत्र का कार्य है। अतः भृति प्रशासन विभाग का यह भी कार्य है कि वह यह देखें कि किसी भी श्रमिक को निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी न दिए जाएं। 

निष्कर्ष 

इन सभी उपरोक्त विवेचनाओं से यह स्पष्ट है कि उपक्रम में कार्यरत श्रमिकों का वेतन निर्धारण, उसकी कार्य की दशाएं, पारिश्रमिक का भुगतान व अन्य अमौद्रिक सुविधा उपलब्ध कराना व श्रमिकों के कार्य का मूल्यांकन करना भृति प्रशासन विभाग का मुख्य कार्य है।

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