कार्य मूल्यांकन की सीमाएँ तथा सफल सुझाव
यद्यपि कार्य मूल्यांकन व्यावसायिक उपक्रम में श्रम और प्रबन्ध के मध्य मधुर सम्बन्धों को स्थापित कर व्यवसाय को प्रगति के शिखर पर पहुँचाने की उत्तम प्रक्रिया है किन्तु इसकी कुछ सीमाएँ हैं जिनको सेविवर्गीय प्रबन्ध विशेषज्ञ वाईटल्स ने इस प्रकार व्यक्त किया है-
कार्य मूल्यांकन की सीमाएँ
(1) शुद्धता का अभाव
कार्य मूल्यांकन के परिणाम पूर्ण वैज्ञानिक एवं शुद्ध नहीं होते क्योंकि इसमें अनुमानों के आधार पर कर्मचारियों के कार्यों का मूल्यांकन किया जाता है। अतः इसे एक व्यवस्थित विधि कहा जा सकता है।
(2) कार्यों के विभिन्न तत्त्वों की सुस्पष्टता का अभाव
कार्य मूल्यांकन के अन्तर्गत कार्यों के विभिन्न तत्व परस्पर एक - दूसरे को प्रभावित करते हैं, पूर्णतः स्वतन्त्र नहीं होते। अतः इन घटकों को अलग - अलग सुस्पष्ट करना कठिन होता है।
(3) तत्त्वों को भार देने की पद्धति
जब कार्य मूल्यांकन तत्त्वों का स्वतन्त्र अध्ययन कठिन होता है तब उन्हीं तत्त्वों पर दिए गए भार को विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है। इससे कार्य मूल्यांकन तकनीकी उपयोगिता स्वतः ही सन्देहास्पद हो जाती है।
(4) कार्य की प्रकृति
कार्य मूल्यांकन के अन्तर्गत एक सी प्रकृति के कार्यों को एक सी श्रेणी में रखा जाता है तथा विभिन्न श्रेणियाँ बनाकर प्रत्येक श्रेणी के लिए मजदूरी दर निश्चित कर दी जाती है परन्तु व्यावहारिक दृष्टिकोण से यह व्यवस्था ठीक नहीं है क्योंकि कार्य मूल्यांकन में केवल कार्य की प्रकृति का ही नहीं वरन् पदोन्नति के अवसर, कर्मचारियों की स्वतन्त्रता तथा भविष्य में अधिक रोजगार की सम्भावनाओं आदि का भी महत्त्व होता है। परन्तु कार्य मूल्यांकन प्रणाली इस प्रकार की सम्भावनाओं के अध्ययन पर ध्यान नहीं देती है जिससे इसका महत्त्व कम हो जाता है।
(5) बाह्य प्रभावों की उपेक्षा
कार्य मूल्यांकन से आन्तरिक असमानताएँ तो हैं किन्तु बाह्य प्रभावों की उपेक्षा कर देने से वेतनमान में बाह्य असमानताएँ विद्यमान रहती हैं। जिससे कार्य मूल्यांकन पूरी तरीके से लागू नहीं हो पाता।
(6) मूल्यांकन करने वालों की सीमाएँ
कार्य मूल्यांकन समिति के सदस्यों को शिक्षा, अनुभव व योग्यता का भी कार्य मूल्यांकन पर प्रभाव पड़ता है। यदि मूल्यांकनकर्ता समिति के सदस्य कार्य वर्गीकरण की तकनीक में पूर्ण रूप से कुशल नहीं हैं या उन्हें कार्य मूलयांकन के नियमों एवं सिद्धान्तों का पूर्ण ज्ञान नहीं है तो वे अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर सकते जिसका प्रभाव कार्य मूल्यांकन सम्बन्धी परिणामों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है।
(7) कर्मचारियों द्वारा विरोध
कर्मचारी कार्य मूल्यांकन पद्धति का विरोध करते हैं , क्योंकि कार्य मूल्यांकन तकनीक के अन्तर्गत उन्हें अपने परिश्रम की सामूहिक सौदेबाजी के आधार पर निर्धारित कराने का अवसर नहीं मिलता। इससे श्रम संघों के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है ।
(8) समय व धन का अपव्यय
कार्य मूल्यांकन के विभिन्न तत्त्वों के व्यक्तिगत व स्वतंत्र विश्लेषण व भारपूर्ण की लम्बी प्रक्रिया से कार्य मूल्यांकन तकनीक को लागू करने में अत्यधिक समय लगाता है और धन का अपव्यय भी अत्यधिक होता है।
उपरोक्त सीमाओं का अध्ययन करने के पश्चात् यह कहा जा सकता है कि कार्य मूल्यांकन प्रक्रिया वास्तव में दोषपूर्ण नहीं है बल्कि इस प्रक्रिया को लागू करते समय उपरोक्त सीमाओं को ध्यान में रखना चाहिए तथा यह विधि उपक्रम में अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होगी।
कार्य मूल्यांकन को सफल बनाने के लिए सुझाव
यद्यपि कार्य मूल्यांकन व्यवसाय में प्रबन्ध के हाथों में एक ऐसा अस्त्र है जिससे श्रम व प्रबन्ध के सम्बन्धों को मधुर बनाया जा सकता है किन्तु इसे और उपयोगी बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-
(1) निश्चित उत्तरदायित्व
कार्य मूल्यांकन के सिद्धान्तों का उत्तरदायित्व निश्चित होना चाहिए अर्थात् इसका भार किसी एक अधिकारी की अपेक्षा एक समिति को सौंपा जाए जिससे प्रत्येक क्षेत्र के विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व हो।
(2) सिद्धान्तों का पालन
कार्य मूल्यांकन के सिद्धान्तों का पूर्णरूप से पालन किया जाना चाहिए ताकि इससे अधिक परिणामों की अपेक्षा की जा सके।
(3) उद्देश्यों का ज्ञान
कार्य मूल्यांकन किस उद्देश्य से किया जा रहा है । इसका ज्ञान मूल्यांकनकर्ता को स्पष्ट होना चाहिए ताकि वे उद्देश्यों की पूर्ति पर ही अपने प्रयत्नों को केन्द्रिगत कर सकें।
(4) स्पष्ट व्याख्या
कार्य मूल्यांकन के अन्तर्गत चुने जाने वाले तत्त्वों अथवा गुणों की स्पष्ट व्याख्या होनी चाहिए ताकि श्रमिक वर्ग इसकी उपयोगिता को भली-भाँति समझ सकें।
(5) प्रशासन का पूर्ण सहयोग
प्रशासन के सहयोग के अभाव में कार्य मूल्यांकन अपने परिणामों को प्राप्त नहीं कर सकता अतः कार्य मूल्यांकन में प्रशासन का पूर्ण सहयोग होना चाहिए।
(6) सभी घटकों पर विचार
कार्य मूल्यांकन कार्यक्रम में सम्बन्धित आन्तरिक एवं बाह्य सभी घटकों पर पूर्ण रूप से विचार कर लेना चाहिए। किसी भी घटक की उपेक्षा मूल्यांकन की शुद्धता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
(7) श्रम संघों का सहयोग
कार्य मूल्यांकन तकनीक के निर्माण व क्रियान्वयन में श्रम संघों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना चाहिए क्योंकि यदि श्रम संघ इसका विरोध करते हैं तो । इसकी सार्थकता समाप्त हो जाती है।
(8) समन्वय
कार्य मूल्यांकन सम्बन्धी सभी योजनाओं एवं प्रक्रियाओं में पूर्ण रूप समन्वय होना चाहिए ताकि कार्य मूल्यांकन उद्देश्यों को सुगमता से प्राप्त किया जा सके। से
(9) तकनीक पर निरन्तर विचार
उपक्रम की बदलती हुई परिस्थितियों में कार्य मूल्यांकन तकनीक पर निरन्तर पुनर्विचार होते रहना चाहिए तभी इसकी उपयोगिता बनी रह सकती है।
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