मानव संसाधन नियोजन
मानव संसाधन नियोजन का अर्थ; मानव संसाधन नियोजन का आशय मानव शक्ति नियोजन एक कार्यक्रम है जिसके द्वारा संगठन की श्रम सम्पदा की अधि-प्राप्ति, विकास , अनुरक्षण एवं प्रभावी उपयोग किया जाता है। मानव-शक्ति नियोजन का उद्देश्य मनुष्यों की कामकाज शक्ति को संगठित और विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग करना है, ताकि उनके श्रम का सही उपयोग हो सके। इसका मुख्य उद्देश्य है समय, संसाधन और साधनों का सर्वोत्तम उपयोग करके वांछित लक्ष्यों तक पहुंचना। यह मानव-शक्ति को पूर्वानुमानित करके और उपयुक्त समय पर सही मात्रा में उपलब्ध कराके कार्य की सुगमता और प्रभावकारिता में सुधार करने का प्रक्रिया है।
मानव संसाधन नियोजन की परिभाषा
मानव संसाधन नियोजन की परिभाषाएँ विभिन्न विद्वानों ने इसे अग्रवत परिभाषित किया है-
एरीक डब्ल्यू वेटर के अनुसार, “मानव संसाधन नियोजन एक प्रक्रिया है जिसमें प्रबंध संगठन को यह निर्धारित करने में सहायता करता है कि वह अपनी विद्यमान मानव संसाधन स्थिति से इच्छित मानव संसाधन स्थिति में पहुंचे। इस प्रक्रिया में, प्रबंध द्वारा संगठन की आवश्यकताओं के अनुसार सही संख्या में और सही प्रकार के व्यक्तियों को उनके उपयुक्त स्थानों पर, सही समय पर प्राप्त किया जाता है। इससे संगठन और कर्मिकों दोनों को अधिकतम दीर्घकालीन लाभों की प्राप्ति होती है।”
डेल योडर के अनुसार, “कर्मचारी व्यवस्था सम्बन्धी नीति, सामान्यतः संगठन की वर्तमान और भविष्य में की जाने वाली मानवीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखती है। इसने संगठन के गुण, स्तर और संरचना को मध्यम से मानव संसाधनों की आवश्यकताओं के साथ मिलाकर व्याख्या की जाती है। संभवतः, इसने भविष्य में होने वाली आवश्यकताओं का अनुमान लगाकर विभिन्न समयानुसार मानव संसाधनों को उपलब्ध कराने का योजना बनाती है।”
जेसलर के अनुसार, “मानव-शक्ति नियोजन एक प्रक्रिया है जिसमें संस्था सुनिश्चित करती है कि उसके पास सही संख्या में और सही प्रकार के व्यक्तियों की उपलब्धता है, जो सही समय और स्थान पर उपस्थित हैं। ये व्यक्ति उन कार्यों को आश्वस्त करते हैं जो आर्थिक दृष्टि से उत्तम और उपयोगी होते हैं।”
स्ट्रास एवं साइल्स के अनुसार, “युक्तिसंगत दृष्टि से किसी फर्म की कर्मचारियों सम्बन्धी क्रिया के विकास का प्रथम चरण संगठन के संचालन के लिए कर्मचारियों की अधिप्राप्ति है। यह केवल प्रथम चरण ही नहीं है, अपितु किसी व्यवसाय की स्थापना एवं विकास का अत्यन्त महत्वपूर्ण चरण है। उपयुक्त और योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता पूरी करना, व्यवसाय की सफलता के लिए धन, सामग्री और बाजार की परिस्थिति के साथ ही गहरा संबंध रखता है।”
कोलमेन, बी० पी० के अनुसार, “मानव-शक्ति नियोजन एक प्रक्रिया है जिसमें मानव-शक्ति की आवश्यकताओं को निर्धारित करने का काम किया जाता है और संगठन की एकीकृत योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए इन आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन होता है।”
मानव संसाधन नियोजन की विशेषताएँ
ये निम्नवत हैं- मानव संसाधन नियोजन की विशेषताएँ
(1) निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया
मानव संसाधन नियोजन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मानव संसाधनों को प्राप्त, प्रशिक्षित, और प्रबंधित करना है ताकि संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए वे सबसे उपयुक्त और सक्षम तरीके से उपयोग किए जा सकें। यह प्रक्रिया निरंतर रहती है क्योंकि मानव संसाधनों की आवश्यकताएं और संगठन की आवश्यकताओं में परिवर्तन हो सकता है और संगठन के लिए उन्हें संशोधित और अनुकूलित किया जाना चाहिए।
(2) नियोजन व विकास
मानव संसाधन नियोजन संगठन के मानवीय संसाधन के नियोजन तथा विकास से सम्बन्धित है ।
(3) पूर्वानुमान
यह मानव संसाधन की माँग व पूर्ति के पूर्वानुमान को सम्मिलित करते हैं।
(4) अन्य विशेषताएँ
ये अग्रवत हैं-
(i) मानव संसाधन नियोजन केवल संगठन की परिवर्तनशील संरचना का नियोजन नहीं है श।
(ii) मानव संसाधन नियोजन वृत्ति नियोजन और विकास से संबंधित मामले को ध्यान में नहीं लेता।
(iii) प्रत्येक कर्मचारी के पदों में उन्नति के लिए संवेदनशीलता और संभावनाओं का समान ध्यान रखने का आश्वासन।
(iv) आन्तरिक स्रोतों के अधिकतम उपयोग की सम्भावना। मानव शक्ति नियोजन के उद्देश्य अग्रवत हैं-
(i) मानव-शक्ति आवश्यकता का पूर्वानुमान करना,
(ii) भर्ती नीति निर्माण करना,
(iii) श्रम लागत में कमी करना,
(iv) रोजगार के आधिक्य व कमी के दोषों में सामंजस्य लाना,
(v) निरन्तर उत्पादन को सुनिश्चित करना,
(vi) श्रम कल्याण की योजनाएँ बनाना,
(vii) कार्मिक पदोन्नति व हस्तान्तरण नीति बनाना,
(viii) मानव - शक्ति के अनुकूलतम उपयोग को सुनिश्चित करना।
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