मानव-शक्ति नियोजन
मानव शक्ति नियोजन का अर्थ है किसी व्यवसायिक संगठन में सही समय पर सही काम के लिए सही कर्मचारियों को उपलब्ध कराना। इससे संगठन के काम को बिना रुकावट के चलाया जा सकता है और कार्य की लागत में अधिकता नहीं होती।
प्रत्येक पद के कार्य तथा उसके निष्पादनकर्ता की योग्यता में अनुरूपता लाने के लिए ही मानव-शक्ति नियोजन की आवश्यकता पड़ती है। यदि अत्यधिक योग्यता वाले व्यक्ति को किसी सामान्य कार्य को करने के लिए नियुक्त कर दिया जाए तो ऐसे पद पर उसकी योग्यता का दुरूपयोग होगा तथा संस्था एवं कर्मचारी दोनों को ही हानि होगी। इसी प्रकार यदि किसी कम योग्य व्यक्ति को अधिक योग्यता वाले पद पर नियुक्त कर दिया जाए तो वह उस पद के अनुरूप कार्य का सुचारू रूप से संचालन नहीं कर सकेगा। अतः प्रत्येक संस्था में मानव-शक्ति का नियोजन होना परम आवश्यक है।
मानव-शक्ति नियोजन की विषय-वस्तु के अन्तर्गत जनशक्ति एवं उसका पूर्वानुमान लगाना, उपलब्धि के क्षेत्रों को खोजना आदि आते हैं। मानव-शक्ति नियोजन के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए डॉ० राम तरनेजा ने लिखा है कि व्यवस्थित मानव-शक्ति नियोजन के द्वारा प्रबन्ध श्रम लागत को नियन्त्रित कर सकता है तथा मानव-शक्ति के अधिक्य तथा कमी को दूर कर सकता है।
मानव शक्ति की परिभाषा
विभिन्न विद्वानों ने मानव - शक्ति नियोजन को निम्न प्रकार परिभाषित किया है—
(1) डेल योडर के अनुसार, “कर्मचारी व्यवस्था संबंधी नीतियों का आम तौर पर यह तत्वाधारित होता है कि संगठन के वर्तमान और भविष्य में की जाने वाली मानवीय आवश्यकताओं की गहराई से विश्लेषण किया जाए, संगठन के गुण, स्तर और उद्देश्यों के संदर्भ में। संभवतः, आवश्यकताओं का पूर्वानुमान किया जाता है ताकि मानव-शक्ति को आवश्यकतानुसार प्रबंधित किया जा सके।”
(2) मयर के अनुसार, “मानव-शक्ति स्रोत का क्षमतापूर्ण उपयोग आने वाले समय में व्यावसायिक जगत की सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण निर्णायक कार्य करेगा। मैं सोचता हूँ कि भविष्य में वहीं कम्पनियाँ सफल होगी जो मानव-शक्ति का पूर्ण और अच्छा उपयोग करेंगी।"
(3) रुद्राबसावराज के अनुसार, “मानव-शक्ति नियोजन को कार्यान्वित करने, मानव संसाधनों को प्राप्त, उपयोग, सुधार, और संचालित करने के लिए एक व्यवस्थित योजना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”
(4) गीस्लर के अनुसार, “मानव-शक्ति नियोजन एक प्रक्रिया है जिसमें पूर्वानुमान, क्रियान्वयन और नियंत्रण शामिल होते हैं, जिससे एक फर्म विश्वसनीय कार्यवाही करती है ताकि उसके पास आवश्यक कार्य करने के लिए सही कर्मचारी सही समय, सही संख्या और सही स्थानों पर उपलब्ध रहें, जो आर्थिक रूप से सबसे अधिक उपयोगी हों।”
परिभाषाओं का सार
मानव शक्ति नियोजन का मतलब है किसी संगठन में मानव संसाधनों के प्राप्ति, चयन, प्रशिक्षण, विकास और प्रबंधन का प्रक्रियात्मक और योजनात्मक उपयोग। यह संगठन के लक्ष्यों और आवश्यकताओं के अनुसार मानव संसाधनों का उपयोग निर्धारित करता है ताकि संगठन के काम को सही समय पर सही लोगों द्वारा पूरा किया जा सके।
मानव शक्ति नियोजन की विशेषताएँ
मानव-शक्ति नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-
(1) इसके तहत, संगठन में वर्तमान की आवश्यकताओं और मानव संसाधनों की पूर्ति और मांग के बीच समन्वय स्थापित किया जाता है। साथ ही, कर्मचारियों के कौशल का विकास किया जाता है ताकि उनका अधिक प्रभावी और उत्तम उपयोग हो सके।
(2) मानव शक्ति नियोजन में मानवीय स्रोतों से सम्बन्धित सभी क्रियाओं का समावेश रहता है। इनमें से कोई एक अथवा दो क्रियाएँ आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ रहती है।
(3) मानव शक्ति नियोजन में, वांछित मानव संसाधन की संख्या और प्रकार का अनुमान लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे उनकी शिक्षा, प्रशिक्षण और विकास के लिए आवश्यक समय का सम्माननीय योजना बनाई जा सकती है।
(4) भविष्य में मानव-शक्ति की मांग में वृद्धि होने पर, वर्तमान पूर्ति की समीक्षा की जाती है और बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं, ताकि नए कर्मचारियों की भर्ती की जा सके।
(5) मानव-शक्ति नियोजन को सक्रिय बनाने के लिए, कर्मचारियों के प्रति, उनके कार्य करने के ढंग पर, और कार्य से संबंधित गतिविधियों पर ध्यान दिया जाता है।
मानव-शक्ति नियोजन के उद्देश्य
मानव शक्ति नियोजन के उद्देश्य निम्नलिखित है-
(1) मानवीय संसाधनों की आवश्यकताओं का समायोजन
मानव-शक्ति नियोजन के उपक्रम में मानवीय शक्ति की आवश्यकताओं का सही पूर्वानुमान लगाया जाता है, अतः भविष्य में आवश्यकता के समय उपयुक्त योग्यता वाले व्यक्ति की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है।
(2) मानवीय शक्ति का प्रबन्ध करना
मानव-शक्ति नियोजन द्वारा वर्तमान कर्मचारियों को उनके पदों के अनुरूप तैयार करना, वर्तमान पद रिक्तियों को वर्तमान मानव शक्ति द्वारा सर्वोत्तम ढंग से पूर्ति करना तथा भावी मानव शक्ति की आवश्यकताओं का निर्धारण करना आदि कार्य प्रबन्ध द्वारा किये जाते हैं। यह कार्य मानव-शक्ति नियोजन द्वारा सुविधापूर्वक पूरा किया जा सकता है।
(3) भर्ती नीति को सुदृढ़ बनाने के लिए
मानव-शक्ति नियोजन सहायक होता है भर्ती नीति को मजबूत बनाने में। इसके माध्यम से, एक ऐसी भर्ती प्रक्रिया तैयार की जा सकती है जो कम लागत में उत्कृष्ट कर्मचारियों को चुनने में सहायक हो।
(4) उत्पादन स्तर को बनाये रखना
मानव-शक्ति नियोजन द्वारा कामगारों की अनुपस्थिति दर, श्रम संचार दर और अन्य कारणों से ली जाने वाली छुट्टियों की दरों में कमी लाई जाती है, जिससे उत्पादन स्तर को बनाए रखना संभव होता है।
(5) अन्य उद्देश्य
उपर्युक्त उद्देश्यों के अतिरिक्त मानव-शक्ति नियोजन अन्य उद्देश्यों में भी विशेष रूप में सहायक होता है। इसके द्वारा भविष्य में कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न स्रोतों का निर्धारण किया जा सकता है । साथ ही कर्मचारियों की श्रम लागतों में की जा सकती है तथा औद्योगिक सम्बन्धों को मधुर बनाया जा सकता है।
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