नीति आयोग की संरचना एवं उद्देश्य या कार्य

 नीति आयोग की संरचना एवं उद्देश्य/कार्य

1950 के दशक में अस्तित्व में आया ‘योजना आयोग’ अब इतिहास के पन्नों में चला गया है। इसके स्थान पर नई संस्था 1 जनवरी 2015 से अस्तित्व में आ गई है। इस नई संस्था को राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (National institution for transforming India) नाम दिया गया है तथा आमतौर पर ‘नीति आयोग' के नाम से इसे जाना जा रहा है।

        प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग सरकार के बौद्धिक संस्थान के रूप में कार्य करेगा तथा केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका निभाएगा। यह आयोग केंद्र और राज्य सरकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण मुद्दों पर रणनीतिक और तकनीकी सलाह देने का कार्य करेगा। यह आयोग सरकार को पांच वर्षीय योजनाओं के भविष्य के स्वरूप के संबंध में भी सलाह देगा।

   सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा केंद्रशासित क्षेत्रों के उपराज्यपालों को नीति आयोग की अधिशासी परिषद् (governing council)में शामिल किया गया है। इस प्रकार नीति आयोग का स्वरूप योजना आयोग की तुलना में अधिक संघीय बनाया गया है। प्रधानमंत्री के अध्यक्षता वाले इस आयोग में एक उपाध्यक्ष और एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer - CEO) की भूमिका निर्धारित की गई है।

      नीति आयोग के उद्देश्य अथवा कार्य 

 नीति आयोग जिन निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए कार्य करेगा वे कुछ इस प्रकार है —

(1) राष्ट्रीय उद्देश्यों की प्राथमिकताओं को मध्यस्थता के साथ लेकर, नीति आयोग राज्यों के सक्रिय सहयोग के साथ राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा। नीति आयोग का मुख्य उद्देश्य है प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को 'राष्ट्रीय एजेंडा' का निर्माण और क्रियान्वयन के लिए उपयुक्त प्रारूप प्रस्तुत करना। 

(2) सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र की नींव होता है। इस महत्वपूर्ण तथ्य को स्वीकार करते हुए, नीति आयोग ने राज्यों के साथ संरचनात्मक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह सहयोगपूर्ण संघवाद राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और देश को आगे बढ़ाने में मदद करता है।

(3) ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करेगा और इसे निरंतर उच्च स्तर तक पहुँचाएगा । 

(4) आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि जो क्षेत्र विशेष रूप से उसे सौंप गए हैं उनकी आर्थिक कार्य नीति और सामान्य नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया है अथवा नहीं। इसका मुख्य उद्देश्य है राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की समीक्षा करना और उन्हें आर्थिक नीतियों में सम्मिलित करना।

(5) भारतीय समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान देगा जिन तक आर्थिक प्रगति का लाभ न पहुंच पाने का जोखिम होगा।

(6) आयोग नई नीतियों और कार्यक्रमों के लिए एक रणनीतिक और दीर्घकालिक ढांचा तैयार करेगा और उन्हें लागू करने की प्राथमिकता देगा। साथ ही, यह नीतियों और कार्यक्रमों की प्रगति और क्षमता की निगरानी करेगा। निगरानी और प्रतिक्रिया के आधार पर, समय-समय पर संशोधन सहित नई सुधार किए जाएंगे।

(7) विकास के एजेंडे के कार्य निबंध में तेजी लाने के रूप में अंतर क्षेत्रीय और अंतर विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

(8) महत्वपूर्ण हिट धारकों तथा समान विचारधारा वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक और साथ ही साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को परामर्श और प्रोत्साहन देना।

(9) राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रेक्टिसनरों तथा अन्य हिट धारकों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली तैयार करेगा।

(10) आवश्यक संसाधनों की पहचान करने सहित कार्यक्रमों और उपायों के कारण वन के सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय निगरानी की जाएगी। ताकि सेवाएं प्रदान करने में सफलता की संभावनाओं को प्रबल बनाया जा सके।

(11) कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियांगन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान देना।

(12) अत्यधिक कल संसाधन केंद्र का निर्माण जो सुशासन तथा और न्याय संगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणाली पर अनुसंधान करने के लिए साथ-साथ हिट धारकों तक जानकारी पहुंचाने में भी सहायता करेगा।

(13) राष्ट्रीय विकास का एजेंडा और उपयुक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियां संपादित करना।

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