नागरिकों के नैतिक कर्तव्यों की विवेचना कीजिए - letest education

 नागरिकों के नैतिक कर्तव्य

  जिन कर्तव्यों का संबंध व्यक्ति की नैतिक भावना, अंत:करण तथा उचित कार्य करने की प्रवृत्ति से होता है नैतिक कर्तव्य कहलाते हैं। वस्तुतः नैतिक कर्तव्य का संबंध व्यक्ति के अन्त:करण से होता है। सामान्यतः इनका पालन न करने पर राज्य की ओर से किसी भी प्रकार के दंड का प्रावधान नहीं है। 

नागरिकों के नैतिक कर्तव्य

नैतिक कर्तव्यों के अंतर्गत निम्नलिखित कर्तव्य सम्मिलित किए गए हैं—

(1) अपने प्रति कर्तव्य

 प्रत्येक व्यक्ति का अपने प्रति प्रथम कर्तव्य यह है कि वह अपने जीवन की सुरक्षा कर अपना सर्वांगीण विकास करें। इस कर्तव्य की पूर्ति के लिए व्यक्ति को अपने शारीरिक और मानसिक विकास की दिशा में निरंतर सचेष्ट रहकर अपनी आर्थिक, राजनीतिक तथा नैतिक प्रकृति के लिए भी प्रयत्नशील रहना चाहिए।

(2) परिवार के प्रति कर्तव्य

परिवार मनुष्य के सामाजिक जीवन की आधारशिला है; अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार के प्रति कर्तव्य पालन का उत्तरदायित्व ग्रहण करना चाहिए। उसे अपने परिवार के सभी सदस्यों के प्रति सद्भावना, सहानुभूति, प्रेम व सहयोग का भाव प्रदर्शित करना चाहिए।

(3) ग्राम, नगर तथा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य

 परिवार के बाद नागरिक के अपने ग्राम, नगर तथा राष्ट्र के प्रति अनेक कर्तव्य होते हैं। इन कर्तव्यों के अंतर्गत नागरिक को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा सफाई की और विशेष ध्यान देना चाहिए। इस प्रकार के कर्तव्यों के पालन के लिए प्रत्येक नागरिक में सार्वजनिक सेवा की भावना होनी चाहिए।

(4) समाज के प्रति कर्तव्य

समाज के सदस्य के रूप में भी मनुष्य के अनेक कर्तव्य है क्योंकि समाज व्यक्ति के जीवन का रक्षक है तथा उसकी ने भौतिक–अभौतिक सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन करना, विभिन्न संघों और समुदाय के प्रति अपने दायित्वों का पालन करना, अधिकारों का समुचित उपभोग करना तथा समाज के दीन–दुखियों व असहायों की सहायता करना आदि सामाजिक कर्तव्यों के मुख्य उदाहरण हैं। इन कर्तव्यों का पालन करने से ही व्यक्ति समाज के प्रति अपने कर्तव्य का पालन कर सकता है।

(5) मानवता के प्रति कर्तव्य

 इसके अंतर्गत दो प्रमुख कर्तव्य सम्मिलित किए गए हैं— 

१-समस्त मानव–समाज की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए।

 २- विश्व–शांति की स्थापना में वांछित योगदान देना।

(6) कानून का पालन करना

 नागरिकों का प्रमुख कर्तव्य है कि वे स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करें। यह समाज की सुरक्षा और संरक्षण को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण तरीका है।

(7) मतदान करना

नागरिकों को अपना मतदान देने का अधिकार और कर्तव्य होता है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और समाज में न्याय और समानता को सुनिश्चित करने में मदद करता है।

(8) समाज में सक्रिय भागीदारी

 नागरिकों का उद्देश्य समाज के विकास और समृद्धि में अपने योगदान को प्रदान करना चाहिए। यह उन्हें समाज में सक्रिय भागीदार बनाता है और समाज की सेवा में योगदान करने के लिए प्रेरित करता है।

(9) संपत्ति के संरक्षण

नागरिकों का धनी संपत्ति का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। वे अपनी संपत्ति का सही ढंग से प्रबंधन करते हुए समाज के लिए उपयोगी योगदान कर सकते हैं।

(10) पर्यावरण संरक्षण

नागरिकों को अपने पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण में भी योगदान करना चाहिए। यह सामाजिक उत्थान और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष 

इन मौलिक कर्तव्यों का पालन करना नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो एक स्वस्थ और समृद्ध समाज की नींव रखता है। नागरिकों के मौलिक कर्तव्य उन कार्यों और जिम्मेदारियों को संदर्भित करते हैं जो उन्हें समाज के सदस्य के रूप में निभाने के लिए संप्रेरित करते हैं। ये कर्तव्य नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों के बीच संतुलन को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं, जो समाज के समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण होता है।

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