एकाकी परिवार
एकाकी परिवार पति-पत्नी की बच्चों रहित अथवा अविवाहित बच्चों सहित कम या अधिक स्थाई समिति है। लोधी के अनुसार, “एकाकी परिवार में प्रत्येक पति-पत्नी और अपरिपक्व आयु के बच्चे समुदाय के शेष लोगों से अलग एक इकाई का निर्माण करते हैं।” एम० एन० श्रीनिवास के अनुसार, “व्यक्ति, उसकी पत्नी और अविवाहित बच्चों वाले ग्रस्त समूह को प्रारंभिक अथवा एकाकी परिवार कहते हैं।” इस प्रकार एकाकी परिवार में पति-पत्नी तथा उसकी अविवाहित संतान को सम्मिलित किया गया है। यदि पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो भी शेष सदस्य एकाकी परिवार को बनाए रखते हैं।
एकाकी परिवार= पति + पत्नी + बच्चे (अविवाहित) ।
एकाकी परिवार और संयुक्त परिवार में अंतर
एकाकी तथा संयुक्त परिवार में अंतर
(1) सदस्य
एकाकी परिवार में पति, पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे एक साथ मिलकर रहते हैं जबकि संयुक्त परिवारों में दो या तीन पीढ़ी से अधिक के स्त्री पुरुष अपने-अपने विवाहित एवं अविवाहित बच्चों के साथ रहते हैं।
(2) स्थापना
एकाकी परिवार की स्थापना का आधार व्यक्तिवाद होता है जबकि संयुक्त परिवार समष्टि वादी विचारधारा पर आधारित होता है।
(3) प्रधानता
एकाकी परिवार में माता-पिता दोनों की प्रधानता होती है जबकि संयुक्त परिवारों में कर्ता या मुख्या की प्रधानता होती है।
(4) उत्तरदायित्व
एकाकी परिवारों में प्रत्येक कार्य का उत्तरदायित्व पूर्ण रूपेण परिवार के मां-बाप पर होता है जबकि संयुक्त परिवार के सभी कार्यों के लिए कर्ता या मुखिया ही उत्तरदाई होता है।
(5)क्षगतिशीलता
एकाकी परिवार में अपेक्षाकृत अधिक गतिशीलता पाई जाती है जबकि संयुक्त परिवारों में सामाजिक गतिशीलता नाम मात्र के लिए ही होती है।
(6) पारस्परिक संबंध
एकाकी परिवार में सदस्यों के बीच मित्रता की भावना होती है जबकि संयुक्त परिवारों में सदस्यों के बीच द्वेष, कलह और एक प्रकार का मानसिक तनाव हर समय रहता है।
(7) स्त्रियों की दशा
एकाकी परिवार में स्त्रियों की दास अपेक्षाकृत ठीक रहती है। उनका स्थान ऊंचा व सम्मानजनक होता है जबकि संयुक्त परिवारों में स्त्री का उपयुक्त स्थान और सामान न होने के फलस्वरूप उनकी दुर्दशा रहती है।
(8) नियंत्रण
एकाकी परिवारों में माता-पिता का बच्चों पर आवश्यकता अनुसार नियंत्रण रहता है जबकि संयुक्त परिवार में मां-बाप व कर्ता का नियंत्रण रहता है।
(9) सामाजिक समस्याएं
एकाकी परिवार में सामाजिक समस्या अधिक नहीं होती जबकि संयुक्त परिवारों में सामाजिक समस्याएं अधिक होती है।
(10) संतान का भार
रेखा की परिवारों में संतान का भार विवाह तक ही उठाना पड़ता है जबकि संयुक्त परिवार में प्रत्यय सदस्य को बच्चों के विवाह होने के पश्चात भी एक दूसरे का भार उठाना पड़ता है।
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