भारत का उप-राष्ट्रपति
संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत उपराष्ट्रपति के पद की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि अनेक ऐसे अवसर आ सकते हैं, जबकि राष्ट्रपति को समय के लिए अपना कार्यभार ना संभाल पाए। भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने का पद प्राप्त होता है। यह स्थिति अपने आप में एक नियुक्ति है और इसे किसी परिस्थिति के अनुसार बदला नहीं जा सकता है। अगर राष्ट्रपति को अपरिहार्य कारणों से कार्यभार संभालने में असमर्थता आती है, तो उपराष्ट्रपति उसे स्थानांतरित करते हैं और उनका कार्यभार उपभोक्ता करते हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश में शासन की सामर्थ्य और संविधानिक प्रक्रियाओं का पालन होता रहे, कि कोई भी अस्थिरता या निर्णय लेने में कोई विलम्ब न हो, उपराष्ट्रपति को इस प्रकार का कार्यभार संभालना पड़ता है। उन्हें राष्ट्रपति के कार्यों को अवलोकन करने और सामर्थ्य से संबंधित निर्णय लेने की शक्ति मिलती है। इस तरह, उनका यह कार्य संविधान की साख से सम्मानित होता है और देश की शासनिक प्रक्रियाओं की सावधानी से सुनिश्चित किया जाता है।
उप-राष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां
(1) राष्ट्रपति की सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति की भूमिका
उपराष्ट्रपति का पहला और प्रमुख कार्य राज्यसभा के अधिवेशन का सभापतित्व करना है। संविधान में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। अतः उपराष्ट्रपति लगभग उच्च अधिकारियों का संपादन करता है, जिनको लोकसभा का अध्यक्ष संपादित करता है। वह राजपाल के अधिवेशनों की अध्यक्षता करता है, सदन द्वारा स्वीकृत विद्रोह पर हस्ताक्षर करता है एवं सदन में अनुशासन बनाए रखना है।
(2) उप राष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन
जब राष्ट्रपति देश की सीमाओं से बाहर होते हैं, या उन्हें किसी कारणवश कार्यालय के कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थता होती है, तब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन करते हैं। उपराष्ट्रपति की यह क्षमता राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनकी अनुपस्थिति या असामर्थ्य के दौरान महत्वपूर्ण होती है।
(3) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उपराष्ट्रपति
जब राष्ट्रपति अपने कार्यों का निर्वहन नहीं कर सकते हैं, चाहे वह अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण के कारण हो, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक रूप में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन करते हैं।
(4) उपराष्ट्रपति के अन्य कार्य एवं दायित्व
उपराष्ट्रपति का एक अन्य कार्य भी है कि यदि किसी कारणवश राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए तो वह राष्ट्रपति के पद के समस्त कार्य संपादित करता है तथा संविधान के अनुसार उसे समय उसे राष्ट्रपति पद के समस्या अधिकार एवं शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं। उस समय वह राज्यसभा का सभापति नहीं रहेगा। भारत का उपराष्ट्रपति एक से अधिक 6 महीने राष्ट्रपति के पद पर कार्य कर सकता है। इस संबंध में संविधान में यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर 6 महीने तक की अवधि के अंतर्गत ही राष्ट्रपति का निर्वाचन होना आवश्यक है।
(5) अन्य शक्तियां
भारत के राष्ट्रपति के लिए विभिन्न शक्तियाँ उपलब्ध हैं जैसे विधायी शक्ति, वित्तीय शक्ति, कार्यकारी शक्तियाँ, सैन्य शक्ति, साथ ही आपातकालीन शक्ति।
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