शोषण के विरुद्ध एवं सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार
शोषण के विरुद्ध अधिकार(अनुच्छेद 23 तथा 24)
धनवान और साधन संपन्न व्यक्ति निर्धनों का हमेशा से शोषण करते आ रहे हैं और पूंजीवाद के विस्तार के कारण तो शोषण में और भी वृद्धि हुई है। इसमें संदेह नहीं की अधिकांश उद्योगपति श्रमिकों से अधिक से अधिक काम लेकर उन्हें कम से कम मजदूरी देना चाहते हैं अर्थात उनका (श्रमिकों को) अधिकतम शोषण करना चाहते हैं। अतः शोषण की समाप्ति हेतु संविधान में निम्नलिखित व्यवस्था की गई है जो कुछ इस प्रकार हैं —
(1) मानव के क्रय विक्रय पर रोक
संविधान के अनुच्छेद 23 (1) के अनुसार मानव व्यापार को वैधानिक घोषित किया गया है।
(2) बेगार एवं बलपूर्वक श्रम का अंत
संविधान के अनुच्छेद 23 (2) के अनुसार व्यक्ति से बेकार करना या बलपुरक कराया गया श्रम कानून के विरुद्ध एवं दंडनीय अपराध समझ जाएगा।
(3) अवयस्कों का श्रम निषेध
संविधान के अनुच्छेद 23 में यह व्यवस्था की गई है कि 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को कारखाने या अन्य किसी जोखिम भरे कम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।
प्रतिबंध
इस अधिकार पर भी राज्य प्रतिबंध लगा सकता है। राज्य सार्वजनिक हित के लिए अनिवार्य सेवा लागू कर सकता है। यदि देश पर किसी प्रकार का संकट आता है तो राज्य द्वारा अपने देश के नागरिकों को सेना में भर्ती होने के लिए बाद किया जा सकता है।
सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 19 तथा 30)
किसी भी देश की संस्कृति का उसकी सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास की दृष्टि से विशेष महत्व होता है। इस अधिकार के अनेक रूप है, जो कुछ इस प्रकार हैं —
(1) भाषा लिपि एवं संस्कृति की सुरक्षा का अधिकार
प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा, लिपि एवं संस्कृति विशेष (रीति-रिवाज) की रक्षा तथा उसकी उन्नति करने का अधिकार है, परंतु शर्त यह है कि ऐसा करने से किसी अन्य वर्ग की भाषा, संस्कृति एवं लिपि को हानि न पहुंचे।
(2) शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश का अधिकार
सरकारी अथवा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में किसी नागरिक को प्रवेश लेने से जाति, भाषा, धर्म के आधार पर रोक नहीं जा सकता। अनुसूचित जातियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सरकार इन संस्थानों में अनुसूचित जातियों के लिए भी कुछ स्थान सुरक्षित कर सकती है। सह शिक्षा वाली शिक्षण संस्थाओं में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। सरकारी व्यवस्था की दृष्टि से बालिकाओं के लिए अलग शिक्षण संस्थाओं की व्यवस्था कर सकती है।
(3) राज्य की सहायता
सरकार सब विद्यालयों को, चाहे वह अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित किए गए हो या बहुसंख्याओं द्वारा, समाज अनुदान देगी तथा प्रत्येक को समान रूप से प्रोत्साहित करेगी।
(4) शिक्षण संस्थाओं की स्थापना का अधिकार
अनुच्छेद 30 के अनुसार सभी अल्पसंख्यक वर्गों को शिक्षण संस्थानों की स्थापना तथा उनके प्रशासन का अधिकार होगा।
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