बिस्मार्क का जीवन परिचय | कार्यों का मूल्यांकन

 बिस्मार्क का जीवन–परिचय

बिस्मार्क का जीवन परिचय ; बिस्मार्क जर्मनी के महान पुत्रों में से एक था। उसने प्रशा के प्रधानमंत्री के रूप में जर्मनी का एकीकरण किया और 1971 ईस्वी में जर्मन साम्राज्य का प्रधानमंत्री बना। 1888 ईस्वी में जर्मनी का सम्राट बना कैसर विलियम द्वितीय, जिससे उसका मतभेद हो गया और उसने प्रधानमंत्री पर पद से त्यागपत्र दे दिया। 31 जुलाई 1898 ई को 83 वर्ष की आयु में बिस्मार्क का निधन हो गया। बिस्मार्क अपने समय का सफल राजनीतिज्ञ और महान कूटनीतिज्ञ था। वह कट्टर देशभक्त था। उसका कहना था कि ‘हम प्रशा के हैं और प्रशा के रहेंगे।”

       बिस्मार्क ‘लौह एवं रक्त की नीति’ का समर्थक था। आधुनिक यूरोप के इतिहास में उसकी नीति का अत्यधिक महत्व है। वह रूढ़िवाद का उपासक और उदारवाद तथा लोकतंत्र का विरोधी था। उसने एक बार अपने भाषण में कहा था– “केवल भाषणों तथा बहुमत द्वारा पारित प्रस्तावों द्वारा समय की समस्याओं का निराकरण नहीं होता— यह 1848 से 1949 ई के राजनीतिज्ञों की भूल थीं– जटिल समस्याओं का निराकरण तो रक्त और शास्त्रों की झंकार से ही किया जा सकता है।”

 बिस्मार्क के कार्यों का मूल्यांकन

   बिस्मार्क आधुनिक यूरोपीय इतिहास का एक लौह पुरुष था। उसकी सफलताएँ अभूतपूर्व थी। उसने 6 वर्ष की अल्प अवधि में तीन युद्धों में विजय प्राप्त करके जर्मनी के राष्ट्रीय एकीकरण को पूरा किया था। वह आधुनिक जर्मन साम्राज्य का निर्माता था। जर्मन राष्ट्र के प्रति उसकी सेवाएँ महान थी। वह उदारवाद का विरोधी, लोकतंत्र का शत्रु और राजा की निरंकुशता का समर्थक था। वह सम्राट विलियम प्रथम का स्वामी भक्त सेवक था। एक अवसर पर उसने सम्राट से कहा था— “इससे क्या होगा? मैं पहले ही अपने महल से देख रहा हूँ जहाँ पर कि आपका सर गिरेगा और इसके बाद मेरा।” एक अन्य स्थान पर बिस्मार्क ने कहा “जहाँ तक मेरा संबंध है, मुझे युद्ध भूमि से उपयुक्त स्थान करने के लिए कोई नहीं मिलता।” विलियम प्रथम भी उसकी योग्यता और भक्ति का अत्यधिक आदर करता था और जब कभी भी किसी प्रश्न पर वह बिस्मार्क से असहमत भी होता था तब भी जर्मनी के हित में उसकी ही बात को स्वीकार करता था।

        बिस्मार्क का संपूर्ण जीवन उसकी अद्भुतपूर्व सफलताओं का इतिहास है। संक्षेप में इतना कहना है ही पर्याप्त है कि बिस्मार्क एक महान कूटनीतिज्ञ था। हेज का मत है— “यह बड़े आश्चर्य की बात है कि नवीन जर्मन साम्राज्य का अभ्युदय एक ऐसे व्यक्ति द्वारा हुआ जो कि शक्ति के सिद्धांत में आस्था रखता था और जिसका लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं था।”

        बिस्मार्क की सफलताओं का मूल्यांकन करते हुए टर्नर ने लिखा है—  “बिस्मार्क की सफलताएँ इतनी महान थी कि वह न केवल समकालीन विचारों के लिए अपितु आगामी पीढ़ियों के लिए सर्वश्रेष्ठ सफल राजनीतिज्ञ तथा महान पथ प्रदर्शक माना जाएगा।”

      बिस्मार्क 19वीं शताब्दी के प्रमुख राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने यूरोप के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की और महान जर्मन साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने 1870 से 1890 ईसी काल में यूरोपीय राजनीति का नेतृत्व किया। उन्हें जर्मनी के साम्राज्यिक नेतृत्व की अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका मिली। उसके चरित्र पर प्रकाश डालते हुए रॉबर्टसन ने लिखा है—  “उसके चरित्र में उदारता, क्षमता एवं दयालुता का अभाव था। उसके पतन के साथ ही यूरोप के इतिहास में एक महान युग का अंत हो गया।” विश्व के तीन महान कूटनीतिज्ञों मैं उसका एक महत्वपूर्ण स्थान है। 

बिस्मार्क और कैवूर दोनों राजनीतिज्ञों की तुलना 

   बिस्मार्क और कैवूर दोनों ही यूरोपीय इतिहास के सफल राजनीतिज्ञ थे। बिस्मार्क आधुनिक जर्मनी का निर्माता और कैवूर इटली के साम्राज्य का निर्माता था। इन दोनों राजनीतिज्ञों की तुलना निम्न प्रकार से की जा सकती हैं।

समानताएँ

  • 1- दोनों राजनीतिज्ञ नवीन राष्ट्रों के निर्माता थे।
  • 2- दोनों कट्टर देशभक्त और सफल कूटनीतिज्ञ थे।
  • 3- दोनों ने 1848 ई की क्रांति में विफलता देखी थी।
  • 4- दोनों ने सैनिक शक्ति के बल पर अपने-अपने राष्ट्रों का एकीकरण किया था।
  • 5- दोनों ने अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध किया था।

असमानताएँ

1- बिस्मार्क राजतंत्र का समर्थक और प्रतिक्रियावादी था, जबकि कैवूर उदारवादी विचारों का व्यक्ति और वैधानिक गणतंत्र का पक्षपाती था।

2- बिस्मार्क की अपेक्षा कैवूर को अपने उद्देश्य की प्राप्ति में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उसे कई बार असफलता भी उठानी पड़ी। फिर भी उसे सार्डीनिया के राजा विक्टर इमैनुअल का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। इसके विपरीत, बिस्मार्क के सभी प्रयत्न सफल रहे।

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