भारत-विभाजन के परिणाम
भारत विभाजन के प्रमुख परिणाम थे कि साल 1947 में भारत का विभाजन कर इसे दो स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्रों, भारत संघ और पाकिस्तान में बांट दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बना, जबकि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य बना। इस विभाजन के साथ ही, लाखों लोगों को हिंसक विस्थापन का सामना करना पड़ा, और इस हिंसा की यह विरासत दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों को प्रभावित करती रही।
भारत विभाजन के प्रमुख परिणाम
भारत और पाकिस्तान विभाजन के निम्नलिखित परिणाम सामने आए हैं, जो निम्नलिखित प्रकार के हैं—
(1) आबादी का स्थानांतरण (स्थान बदलना)
भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद आबादी का स्थानांतरण आकस्मिक, अनियोजित और त्रासदीपूर्ण था। मानव-इतिहास के अब तक ज्ञात सबसे बड़े स्थानांतरणों में से यह एक था। धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को अत्यंत बेरहमी से मारा। जिन इलाकों में अधिकतर हिंदू अथवा सिक्ख आबादी थी, उन इलाकों में मुसलमानों ने जाना छोड़ दिया। ठीक इसी प्रकार मुसलमान-बहुल आबादी वाले इलाकों से हिंदू और सिक्ख भी नहीं गुजरते थे।
(2) घर-परिवार छोड़ने के लिए विवश होना
विभाजन के परिणामस्वरूप, लोगों को अपने घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। दोनों ही तरफ के अल्पसंख्यक लोग अपने घरों से भाग खड़े हुए और अक्सर अस्थाई रूप से उन्हें शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा। वहाँ की स्थानीय सरकार और पुलिस उन लोगों से बेरुखी का बर्ताव कर रही थी। लोगों को सीमा के दूसरी तरफ जाना पड़ा, जिसे वे हर हाल में करना था, यहाँ तक कि वे पैदल चलकर इस दूरी को तय करने को मजबूर हो गए।
(3) महिलाओं व बच्चों पर अत्याचार
विभाजन के फलस्वरूप सीमा के दोनों तरफ हजारों की संख्या में औरतों की अगवा कर लिया गया। उन्हें जबरदस्ती शादी करनी पड़ी तथा अगवा करने वाले का धर्म भी अपनाना पड़ा। कई परिवारों में तो खुद परिवार के लोगों ने अपने कुल की इज्जत बचाने के नाम पर घर की बहू-बेटियों को मार डाला। बहुत से बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए।
(4) हिंसक अलगाववाद (समूह से अलग)
विभाजन के दौरान संपत्ति और देनदारी के अलावा, समुदायों के बीच विवादों और हिंसक अलगाववाद का सामना किया गया। इस विभाजन ने लोगों के दिल को तोड़ दिया और मारकाट की निर्मिति की, जिससे सभी को नुकसान हुआ और “दिल के दो टुकड़े हो जाना” वाली भावना फैली।
(5) भौतिक संपत्ति का बँटवारा
विभाजन के परिणामस्वरूप, लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़कर सीमा पार करना पड़ा और न केवल वित्तीय संपत्ति का बंटवारा हुआ, बल्कि उनकी सभी वस्त्र, गृहस्थी की वस्तुएँ, और आवश्यक वस्तुएँ भी बंट गईं। सरकारी और रेलवे कर्मचारियों का भी इस बंटवारे में हिस्सा था। इस तरह का विभाजन दो समुदायों के बीच भयंकर और हिंसक अलगाव का कारण बना।
(6) अल्पसंख्यकों की समस्या
विभाजन के समय सीमा के दोनों तरफ ‘अल्पसंख्यक’ थे। जो समुदाय सदियों तक एक ही जमीन पर निवास कर रहे थे, उन्हें विभाजन के बाद विदेशी माना गया। विभाजन की समय समीप होते ही, दोनों तरफ के अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू हो गए। कोई योजना नहीं थी जो इस स्थिति से निकलने में मदद कर सकती। हिंसा काबू में नहीं थी और अल्पसंख्यक समुदायों ने अपने घरों को छोड़ने का सामना किया। अक्सर, यह काम उन्हें बहुत ही कम समय में करना पड़ा।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान का विभाजन अत्यंत दुखद और दर्दनाक था। सादत हसन मंटो ने सही तस्वीर दिखाई है, जिसमें दंगाई लोगों ने चल रही ट्रेन को रोककर गैर मजहबी लोगों को उतार दिया, और उन्हें हत्या कर दी। बाकी यात्रियों को हलवा, फल, और दूध दिया गया, जैसे कि उनका आखिरी भोजन हो।
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