राज्य तथा सरकार में अंतर
सरकार एक संगठन है, जिसके द्वारा राज्य की इच्छा की अभिव्यक्ति होती है। प्रोफेसर गार्नर के अनुसार, “शासन अथवा सरकार उस संगठन का नाम है, जिसके द्वारा राज्य अपनी इच्छा को अभिव्यक्ति करता है, अपने आदेश जारी करता है और अपने कार्यों का संपादन करता है। “
राज्य तथा सरकार में मुख्य अंतर
राज्य और सरकार के मध्य अंतर कुछ निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर प्रस्तुत किया जा सकता है—
(1) स्थायित्व
राज्य अधिक स्थायी व सरकार कम स्थायी होती हैं। राज्य तभी समाप्त होता है जब उसकी संप्रभुता समाप्त हो। जबकि सरकार बनती व बिगड़ती रहती है तथा निश्चित अवधि के पश्चात चुनाव होता है तथा आवश्यकता पड़ने पर इसका रूप भी बदला जा सकता है।
(2) आकर
राज्य बड़ी संस्था है जिसमें प्रत्येक नागरिक राज्य का सदस्य होता है। जबकि सरकारी छोटी संस्था है वह व्यक्ति सरकार के सदस्य होते हैं जो राज्य के उद्देश्य पूर्ति में लगे रहते हैं।
(3) सम्प्रभुता
राज्य संप्रभुता संपन्न संस्था है। इसका निवास केवल राज्य में ही होता है। इसके बिना राज्य का अस्तित्व ही नहीं माना जाता है। बल्कि सरकार संप्रभुता संपन्न नहीं हो तो इसकी शक्ति पर अनेक अंकुश लगे रहते हैं। सरकार इसका उपयोग तो कर सकती है मगर दुरुपयोग बिल्कुल भी नहीं।
(4) निश्चित प्रदेश
राज्य बिना इसकी नहीं हो सकती है। राज्य के पास जो भी भूमि होती है वह परिभाषित होती है तथा विश्व के नक्शे में वह दर्शायी होती है। जबकि सरकार का शासन करने का क्षेत्र सीमित रहता है मगर कभी-कभी विशेष परिस्थिति में यह अन्यत्र भी स्थापित हो सकती है। कई बार स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे देशों की सरकारें दूसरे देशों में स्थापित हो जाती है।
(5) सरकार राज्य का अंग है
राजा अपने उद्देश्यों की पूर्ति सरकार के माध्यम से ही करता है। इस प्रकार राज्य प्रधान है और सरकार उसकी प्रतिनिधि संस्था है।
(6) राज्य स्थायी है, सरकार अस्थाई
राज्य स्थायी होता है, जबकि सरकार अस्थाई होती है और वह समय-समय पर परिवर्तित होती रहती है।
(7) राज्य का एक रूप होता है, जबकि सरकार के अनेक रूप होते हैं
सभी राज्य समान रूप रखते हैं, क्योंकि सभी राज्यों में अनिवार्य रूप से चार तत्व होते हैं, जबकि सरकार के अनेक रूप होते हैं। उदाहरण — कहीं पर संसदीय सरकार होती है, तो कहीं पर अध्यक्षात्मक सरकार।
(8) राज्य की अपेक्षा सरकार एक लघु संस्था है
राज्य की अपेक्षा सरकार एक लघु संस्था होती है। राज्य में वे सभी व्यक्ति सम्मिलित होते हैं, जो उसकी सीमा में निवास करते हैं, परंतु सरकार से अभिप्राय राज्य के उन व्यक्तियों से होता है, जो उसकी कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका का निर्माण करते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि राज्य की सदस्यता अनिवार्य है, परंतु सरकार का सदस्य होना अनिवार्य नहीं है।
(9) राज्य संप्रभुतायुक्त होता है, जबकि सरकार संप्रभुता विहीन है
राज्य के पास संप्रभुता होती है, जबकि सरकार के पास संप्रभुता नहीं होती है। सरकार संप्रभु शक्ति राज्य से ही प्राप्त करती है।
(10) सरकार का जनता विरोध कर सकती है, राज्य का नहीं
जनता के द्वारा सरकार का विरोध किया जा सकता है, परंतु वह राज्य का विरोध नहीं कर सकती है।
(11) राज्य अमूर्त होता है जबकि सरकार मूर्त होती है
राज्य का कोई स्वरूप नहीं होता है, वह अमूर्त है, परंतु सरकार मूर्ति होती है; क्योंकि उसे हम प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं।
(12) राज्य के लिए सरकार अनिवार्य है, लेकिन सरकार के लिए राज्य अनिवार्य नहीं
राज्य के अभाव में सरकार की कल्पना नहीं की जा सकती अर्थात् सरकार का अस्तित्व राज्य में ही संभव है, परंतु सरकार में राज्य का अभाव हो सकता है; उदाहरण के लिए—1947 से पूर्व भारत में सरकार तो थी, परंतु राज्य नहीं था।
(13) एक समय पर सरकार तो दो हो सकती है, परंतु राज्य नहीं
एक समय में दो सरकारी तो हो सकती हैं, जबकि राज्य एक समय पर दो नहीं हो सकते हैं। जब किसी वैधानिक सरकार के विरुद्ध विद्रोह करके उसको अपदस्त कर दिया जाता है और उसके स्थान पर दूसरी सरकार सत्ता प्राप्त कर लेती है, तो उसे समय एक सरकार विधिक तथा दूसरा यथार्थ कहलाती है।
एक टिप्पणी भेजें