महालवाड़ी व्यवस्था (प्रणाली)
जमींदारी बंदोबस्त की व्यापक आलोचना के बाद 19वीं साड़ी के आरंभ में इस व्यवस्था के प्रति असंतोष उत्पन्न होने लगा। ब्रिटिश अर्थशास्त्री और ब्रिटिश अधिकारी इस बंदोबस्त का विकल्प तलाशने लगे। इस संबंध में एरिक स्टोक्स और एस० सी० गुप्ता जैसे इतिहासकारों ने महालवाड़ी बंदोबस्त के उदय में इंग्लैंड में उचित शास्त्रीय राजनीतिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को श्रेय दिया है जो बाद में उपयोगितावादी अर्थव्यवस्था के रूप में स्वीकार की गई। इसी संबंध में विद्वानों ने कहा है, “लगन ऐसा होना चाहिए जिससे उत्पादन में वृद्धि की प्रेरणा हो। किसानों का न्यूनतम शोषण हो।”
महालवाड़ी व्यवस्था की विशेषताएं
(1) महालवाड़ी बंदोबस्त में मालगुजारी का बंदोबस्त अलग-अलग गांव वह जगीरो के आधार पर उन जागीरदारों या उन परिवारों के मुखिया के साथ किया गया जो सामूहिक रूप से उस गांव या महाल का भू-स्वामी होने का दावा करते थे।
(2) महालवाड़ी व्यवस्था में जहां जमीदार लगान एकत्र करते थे, वह लगन कुल उत्पादन का 30% रखा गया किंतु उन क्षेत्र में जहां भूमि ग्राम समाज की सम्मिलित भूमि थी वहां लगन कुल उत्पादन का 95% तक तय किया। यह लगान बहुत अधिक था।
(3) इस व्यवस्था में राजस्व की इकाई एक महाल (गांव) थी इसलिए यह व्यवस्था महालवाड़ी व्यवस्था के नाम से जानी गयी। महालवाड़ी क्षेत्र भी रैयतवाड़ी क्षेत्रों की तरह मालगुजारी का निर्धारण समय-समय पर पुनः किया गया।
(4) महालवाड़ी बंदोबस्त दूसरे ब्रिटिश भू-राजस्व बंदोबस्त से अपेक्षाकृत बेहतर था। क्योंकि इसमें भारतीय परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा गया था। लग्णताई करने के लिए इसमें पहली बार मानचित्र और पंजीयन का प्रयोग किया गया था। इस नहीं योजना को मार्टिन बर्ड व जेम्स थॉमसन के निजी प्रयत्नों से तैयार किया गया था।
(5) महालवाड़ी बंदोबस्त कम से कम 10 से 12 वर्षों के लिए और अधिक से अधिक 20 से 25 वर्षों की अवधि के लिए किया गया। इसका उद्देश्य भविष्य में बढ़ाने वाले लगन पर सरकार का हिस्सा बनाए रखना था।
महालवाड़ी व्यवस्था के प्रभाव
(1) महालवाड़ी व्यवस्था चूंकि जिम्मेदारी व्यवस्था का ही संशोधित रूप था, इसलिए ना चाहते हुए भी जिम्मेदारी व्यवस्था की अनेक कमियां इसमें आ गई। जैसे — भूमि का कुछ विशेष हाथों में संग्रह। उदाहरण के लिए पंजाब के क्षेत्र में बड़े-बड़े भूस्वामियों के द्वारा किसानों का शोषण हुआ।
(2) महालवाड़ी बंदोबस्त मानचित्र और पंजीयन पर आधारित था तथापि पूरा प्रशासन तंत्र के सोषण में लगा हुआ था।
(3) भू राजस्व की रकम काफी अधिक निर्धारित करने के कारण किसान धीरे-धीरे महाजनों व सूदरवोरों की चपेट में आ गए। उन्होंने बकाए टृण की वसूली शक्ति से की जिसमें ब्रिटिश शासन भी मददगार साबित हुआ। एसएससी किस धीरे-धीरे भूमिहीन मजदूर बनते गए।
(4) महालवाड़ी बंदोबस्त के क्षेत्र में आने वाले किसानों का शोषण जिम्मेदारी और रैयतवाड़ी वाले क्षेत्र के किसानों की तुलना में अपेक्षाकृत कम हुआ।
(5) महालवाड़ी बंदोबस्त वाले क्षेत्रों में कृषि का वाणिज्यकरण का लाभ तो हुआ, लेकिन इस वाणिज्यकरण का लाभ सामान्यतः बड़े किसानों को जमीदारों का मिला जबकि छोटे-मोटे किसान वंचित रहे।
महालवाड़ी व्यवस्था के क्षेत्र
यह महालवाडी़ व्यवस्था संपूर्ण ब्रिटिश भारत के 30% क्षेत्र पर लागू थी। जिसमें दक्कन के जिले, मध्य प्रांत पंजाब तथा उत्तर प्रदेश, आगरा एवं अवध शामिल थे।
महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
महलवाडी व्यवस्था में महल शब्द का अर्थ था?
महलवाडी व्यवस्था में महल शब्द का अर्थ जिला, गांव या कस्बा था।
किस स्थान पर महालवाड़ी व्यवस्था शुरू की गई थी?
महालवाडी़ जिसमें दक्कन के जिले, मध्य प्रांत पंजाब तथा उत्तर प्रदेश, आगरा एवं अवध शामिल थे।
महालवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत किसने की?
महालवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत हॉल्ट मैकेंजी की।
महालवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत कब हुई थी?
महालवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत 1833 ई० में हुई थी।
महलवाड़ी व्यवस्था की मुख्य विशेषता क्या थी?
महलवाड़ी व्यवस्था, जिसे महलवाड़ी प्रणाली या महलवाड़ी व्यवस्था भी कहा जाता है, एक प्राचीन भारतीय संगठन विधि है जो गाँव के सामाजिक और आर्थिक संरचना को संचालित करती थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत, गाँव के मुखिया या प्रमुख के साथ सरकार की समस्या पर सहमति होती थी।
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