लोक प्रशासन के विज्ञान होने के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क - letest education

लोक प्रशासन के विज्ञान होने के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क

लोक प्रशासन एक सामाजिक विज्ञान है। इस संबंध में राजनीति शास्त्रियों में मतभेद है कि लोक प्रशासन विज्ञान है अथवा कला अथवा दोनों। कुछ विद्वान इसे विज्ञान मानते हैं तो कुछ विद्वानों के लिए यह विज्ञान कम है, कला अधिक है।जैकब वाइनर का कथन है, “सामाजिक विज्ञानों के विद्वान शायद एवं अच्छे प्रकार जानते हैं कि उनके विषय के तथ्य और अनुशासन इतने भ्रांतियुक्त और अनिश्चित है कि उन्हें विज्ञान या वैज्ञानिक कहना हास्यस्पद होगा।” 

लोक प्रशासन के विज्ञान होने के पक्ष में तर्क

(1) अध्ययन की क्रमबद्धता 

लोक प्रशासन के अध्ययन का क्षेत्र अन्य सामाजिक विज्ञानों से अलग है तथा यह प्रशासनिक व सार्वजनिक संस्थाओं का अध्ययन क्रमबद्धता से करता है। इस दृष्टि से भी यह विज्ञान है।

(2) अध्ययन की वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग 

विद्वानों का मानना है लोक प्रशासन में भी अन्य विज्ञानों की भांति वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है। विलोबी के अनुसार, “प्रशासन में भी विज्ञान के विशिष्ट के लक्षणों के अनुरूप कुछ मूलभूत सिद्धांत हैं।” इन सिद्धांतों को इसके अध्ययन में प्रयोग किया जाता है।” 

(3) सिद्धांतों एवं नियमों का समन्वय 

लोक प्रशासन के क्षेत्र में अनेक नियमों व सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जाता है। विलोबी का मानना है कि लोक प्रशासन में भी कुछ ऐसे सिद्धांत हैं जिनकी तुलना अन्य विज्ञान के सिद्धांतों से हो सकती है।

(4) प्रशासन का प्रतिक्षण 

लोक प्रशासन में प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशासन विषय की शिक्षा प्रदान की जाती है। इससे इसके विज्ञान होने का प्रमाण मिलता है।

(5) लोक प्रशासन भविष्यवाणी 

लोक प्रशासन को विज्ञान मानने वाले विद्वानों का मानना है कि लोक प्रशासन घटनाओं के वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर भविष्यवाणी करता है। इस प्रकार यह विज्ञान है।

(6) यथार्थता एवं निश्चितता 

कुछ विचारों को लोक प्रशासन के बारे में यथार्थता एवं निश्चितता का दावा करते हैं। प्रोफेसर बीअर्ड के अनुसार, “लोक प्रशासन के क्षेत्र में ऐसे नियमों और स्वयं सिद्ध सूत्रों का विकास हो गया है जिनके बारे में अनुभव के आधार पर यह औकात जा सकता है कि वह व्यावहारिक प्रयोग में ले जा सकते हैं तथा उनके सहारे पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं।” इस प्रकार लोक प्रशासन एक विज्ञान माने जा सकता है।

निष्कर्ष (conclusion)

इन सभी उपयुक्त विवरण से लोक प्रशासन विज्ञान प्रतीत होता है। इसके विज्ञान होने के पक्ष में विचारों ने ऐसे तत्वों को प्रस्तुत किया है जिसे यह सहज रूप से विज्ञान मान लिया जाता है। लोक प्रशासन को विज्ञान मानने वाले विद्वानों में— चार्ल्स, एबीअर्ड, एफ० मरसन, उर्विक, विरोधी आदि विद्वानों का नाम विशेष रूप से लिया जाता है।

लोक प्रशासन के विज्ञान होने के विपक्ष में तर्क

(1) एकरूपता एवं निश्चितता का अभाव 

लोक प्रशासन को विज्ञान इसलिए नहीं माना जा सकता है क्योंकि इसमें निश्चितता तथा अर्थात पूर्णता का अभाव है। अन्य विज्ञानों की भांति इसे निश्चित तथा की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता है। अतः विज्ञान की प्रथम विशेषता निश्चितता होती है। इसीलिए लोक प्रशासन को विज्ञान नहीं मान सकता है।

(2) पर्यवेक्षक तथा प्रशिक्षण पद्धति का अभाव

किसी भी विज्ञान में पर्यवेक्षक एवं प्रशिक्षण पद्धति का प्रयोग किया जाता है। तथा किसी भी विज्ञान के पास अपनी एक प्रयोगशाला होती है जहां पर इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है परंतु लोक प्रशासन के पास अन्य विज्ञानों की भांति कोई भी अपनी प्रयोगशाला नहीं है। इसलिए लोक प्रशासन को विज्ञान मानना उचित नहीं है।

(3) लोक प्रशासन में भावनात्मक वह आदर्शात्मक का समन्वय 

विज्ञान में नैतिक मूल्य, आदर्शों का अभाव रहता है। परंतु लोक प्रशासन सदैव आदर्श सिद्धांतों पर चलता है। इसीलिए इसे विज्ञान नहीं माना जा सकता क्योंकि इसमें भावनात्मक वह आदर्शात्मक समाहित रहती है।

(4) सार्वभौमिक तथ्यों का अभाव 

लोक प्रशासन के क्षेत्र में सर्वसम्मत सिद्धांतों का अभाव पाया जाता है। समय-समय पर अनेक विद्वानों द्वारा लोक प्रशासन के सिद्धांतों का दावा किया गया। परंतु उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया गया। प्रो० व्हाइट ने “एकल निदेशन” किसी सिद्धांत का उल्लेख किया है जिसके अनुसार कोई भी कर्मचारी एक से अधिक आदेशों का पालन नहीं कर सकता परंतु व्यावहारिक तौर पर अनेक कर्मचारी एक साथ एक से अधिक अधिकारी के आदेशों का पालन करते हैं। अतः लोक प्रशासन को विज्ञान कहना तर्कसंगत नहीं होगा।

(5) मानव व्यवहार की अनिश्चितता 

 लोक प्रशासन को विज्ञान मानने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा यह है कि लोक प्रशासन के अध्ययन क्षेत्र में मानव सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पहलू है तथा मानव का व्यवहार कभी निश्चित नहीं होता। इसी कारण लोक प्रशासन के परिणाम में अनिश्चिता आ जाती है। जिससे इसको भी विज्ञान नहीं माना जा सकता है।

निष्कर्ष (conclusion)

इस प्रकार इन तथ्यों के आधार पर अनेक विद्वानों ने इस विज्ञान मानने से इनकार किया है क्योंकि लोक प्रशासन मूल रूप से मानव व्यवहार से संबंधित है और मानव व्यवहार अनुच्छेद होता है।

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