जनवादी चीन 1954 का संविधान
जनवादी चीन के प्रथम संविधान के निर्माण की प्रक्रिया 1952 में प्रारंभ हुई जब जनवादी राजनैतिक परामर्शदात्री समिति द्वारा स्थापित 56 सदस्यों वाली केंद्रीय जनशासन समिति ने 33 सदस्यों की एक प्रारूप समिति नियुक्त की। प्रारूप समिति में साम्यवादी दल के सदस्यों का वर्चस्व था। यद्यपि इसमें गैर दलीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी सम्मिलित किया गया था। 20 दिसंबर 1954 को प्रथम राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस ने चीनी जनवादी गणराज्य के संविधान की रूपरेखा को अंतिम रूप से स्वीकार कर इसे लागू कर दिया। इस संविधान का मुख्य उद्देश्य चीन में धीरे-धीरे समाजवाद की स्थापना करना था। यह संविधान चीन में जनवादी गणतंत्र की स्थापना के पश्चात चीनी जन क्रांति की राजनीतिक एवं आर्थिक उपलब्धियों की ओर संकेत करता था। इस संविधान के अंतर्गत सोवियत वाद का अंधाधुंध अनुकरण करके साम्यवाद के नए रूप में अपनाया गया। जिसे चीन में माओवाद के नाम से जाना जाता है। 1954 के संविधान की मूलभूत विशेषताएँ निम्नवत थी—
चीन के संविधान की प्रमुख विशेषताएं
चीन का संविधान की विशेषता
(1) यह एक लिखित प्रलेख था जिसमें आठ अध्याय तथा 106 अनुच्छेद थे। इसमें विस्तार पूर्वक जनवादी शासन के राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया था।
(2) इस संविधान को संक्रमणकालीन संविधान की संज्ञा दी गई थी। इसकी प्रस्तावना में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि इस उल्लेख का उद्देश्य चीन के जनवादी गणतंत्र की स्थापना से लेकर समाजवादी समाज की प्रगति पर्यंत संक्रमण काल में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।
(3) इस संविधान द्वारा चीन को एक जनवादी लोकतांत्रिक राज्य घोषित किया गया। जिसका नेतृत्व श्रमिक वर्ग के हाथों में था और जो श्रमिकों व कृषकों के गठबंधन पर आधारित था।
(4) संविधान द्वारा जनवादी लोकतांत्रिक तानाशाही की स्थापना की गई।
(5) सोवियत संघ की भांति चीन का यह संविधान भी लोकतांत्रिक केंद्रवाद के सिद्धांत पर आधारित था। इसका यह अर्थ है कि शासन के सभी स्तरों पर सत्ता और जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में रहती है, लेकिन शासन की निम्न इकाइयों को उच्च इकाइयों के नियंत्रण एवं निर्देशन में कार्य करना पड़ता है। अन्य साम्यवादी देशों के संविधानों की तरह इसमें लोकतंत्र पर कम और केंद्रवाद पर अधिक बल दिया गया था।
(6) इस संविधान के अंतर्गत चीन को एक एकात्मक बहुराष्ट्रीय राज्य घोषित किया गया। सभी राष्ट्रीयताओं को समान मानते हुए किसी के भी विरुद्ध शोषण को प्रतिबंधित कर दिया गया। उन क्षेत्रों का स्वायत्तता दी गई जहाँ लोग या राष्ट्रीय अल्पसंख्यक समुदायों में रहते थे। इन प्रातों एवं स्वायत क्षेत्रों को जनवादी चीन का अभिन्न अंग माना गया। उन्हें किसी भी परिस्थिति में अलग होने का अधिकार नहीं था। यह प्रावधान सोवियत संघ के संविधान से भिन्न था जो की एक संघीय राज्य था और जहाँ कम से कम सैद्धांतिक रूप से प्रातों को अलग होने का अधिकार था।
(7) संविधान द्वारा एक सदनीय व्यवस्थापिका राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थापना की गई जिसे राज्यशक्ति का सर्वोच्च अंग घोषित किया गया। इसमें प्रांतो, स्वायत क्षेत्रों एवं केंद्र के अधीन नगर पालिकाओं द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सम्मिलित थे। इसका कार्यकाल 4 वर्ष रखा गया था। इसे कानून बनाने, दो तिहाई बहुमत से संविधान में संशोधन करने तथा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं स्थायी समिति के सदस्यों को निर्वाचित करने का अधिकार दिया गया।
(8) संविधान द्वारा एक स्थायी समिति का भी प्रावधान लागू किया गया। चूंकि राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस एक विशाल सदन था। जिसकी बैठक वर्ष में कुछ समय के लिए होनी थी। इसलिए यह व्यवस्था की गई कि उसकी अनुपस्थिति में उसके सभी कार्यों का संपादन एक स्थायी समिति करेगी। इस समिति के सदस्यों का निर्वाचन राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस द्वारा किया जाना था तथा यह उसी के प्रति उत्तरदाई थी।यह व्यवस्था सोवियत संघ के प्रेजीडियम की तरह थी।
(9) कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग स्थाई स्थिति एवं गणराज्य के राष्ट्रगीत द्वारा मिलकर किया जाएगा। फ्लावर बिस्किट का इस प्रकार एक सामूहिक कार्य वालिका का प्रावधान किया गया।
(10) संविधान द्वारा योगी व्यवस्था की गई की राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस 4 वर्षों की अवधि के लिए एक राष्ट्रपति का निर्वाचन करेगी जो कि राज्य का प्रधान होगा। पत्रकार चीन में एक गणतंत्रात्मक व्यवस्था स्थापित की गई। यह प्रावधान सोवियत संघ के संविधान से भिन्न था जहां प्रेसीडियम का अध्यक्ष ही राज्य का प्रधान कहलाता था।
महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
चीन का संविधान कब लागू हुआ?
चीन का संविधान पहली बार 1954 में लागू किया गया था, लेकिन उसे 1975 में संशोधित कर दिया गया था। फिर 1978 में भी संविधान में संशोधन किया गया, और उसके बाद 1982 में एक नया संविधान लागू किया गया, जो वर्तमान में भी चीन का मूल संविधान है। इसे प्रदेशन में 4 दिसंबर 1982 को अंतिम रूप दिया गया था।
चीन का नया संविधान किस वर्ष को लागू हुआ?
चीन का नया संविधान 4 दिसंबर, 1982 वर्ष लागू हुआ।
चीन के राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
चीन के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए होता है।
चीन के संविधान की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए?
चीन के संविधान की दो प्रमुख विशेषताएँ - (1) संविधान द्वारा जनवादी लोकतांत्रिक तानाशाही की स्थापना की गई। (2) इस संविधान द्वारा चीन को एक जनवादी लोकतांत्रिक राज्य घोषित किया गया। जिसका नेतृत्व श्रमिक वर्ग के हाथों में था और जो श्रमिकों व कृषकों के गठबंधन पर आधारित था।
चीन के संविधान में कितने अनुच्छेद है?
चीन के संविधान में 138 अनुच्छेद है।
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