वारनर द्वारा प्रतिपादित लोक प्रशासन के सिद्धांत
वारनर द्वारा प्रतिपादित लोक प्रशासन के सिद्धांतों का संक्षेप में वर्णन कीजिए?
लोक प्रशासन के सिद्धांतों को सीमित परिधि में बांधना। प्रो० वारनर के अनुसार, “हम स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते हैं कि प्रशासनिक सिद्धांत क्या है और क्या नहीं है।” वारनर द्वारा 10 सिद्धांतों का वर्णन किया गया है जिसकी प्रोफेसर व्हाइट ने विस्तार से व्याख्या की है—
वार्नर (वारनर) द्वारा प्रतिपादित लोक प्रशासन के सिद्धांत
(1) राजनीतिक निर्देशन का सिद्धांत
इस सिद्धांत का अर्थ है कि प्रशासन पूर्ण कार्यपालिका नहीं है। प्रशासन को अस्थाई राजनीतिक कार्यपालिका के संरक्षण में कार्य करना होता है।
(2) लोग उत्तरदायित्व का सिद्धांत
इस दांत के अनुसार लोक प्रशासन का प्रमुख कार्य जनता की सेवा करना है। अतः वह जनता के प्रति उत्तरदाई है।
(3) सामाजिक आवश्यकता का सिद्धांत
इस सिद्धांत कहते हैं कि लोक प्रशासन सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः वह सभ्य समाज की एक आवश्यकता है।
(4) कार्य कुशलता का सिद्धांत
लोक प्रशासन कार्य कुशलता के आधार पर ही चलता है। लोक प्रशासन से कार्य कुशलता को बढ़ाने की आशा की जाती है।
(5) लोक संपर्क का सिद्धांत
प्रशासन साधन है। उसका कार्य जनता को सुरक्षा सुविधा प्रदान करना है। अतः प्रशासन का लोक संपर्क विशिष्ट महत्व रखता है।
(6) संगठन का सिद्धांत
प्रशासनिक दायित्वों की पूर्ति हेतु लोक प्रशासन संगठन की सहायता लेता है। संगठन स्थापित करके ही प्रशासनिक कार्यों को संपन्न कराया जाता है।
(7) विकास एवं प्रगति का सिद्धांत
इस सिद्धांत का अर्थ है कि लोक प्रशासन को सामाजिक प्रगति के अनुकूल कदम बढ़ाकर प्रगति को ओर बढ़ना चाहिए।
(8) अन्वेषण तथा खोज का सिद्धांत
अन्वेषण एवं खोज का अर्थ है कि क्रमबद्ध अध्ययन एवं नवीन पद्धतियों की खोज करना। लोक प्रशासन भी सिद्धांत का पालन कर सामाजिक समस्याओं का अन्वेषण कर उन्हें सुलझाने का प्रयत्न करता है।
(9) सत्ता का सिद्धांत
इसी सिद्धांत के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों को अपने अधिकारों एवं शक्तियों का ज्ञान आवश्यक है तथा उनका प्रयोग किस प्रकार से एवं किसी सीमा तक किया जाना चाहिए यह इसी सिद्धांत के अंतर्गत आता है।
(10) न्याय का सिद्धांत
प्रशासकीय संगठन के अंतर्गत न्याय की भावना अधिक होनी चाहिए। प्रशासनिक कर्मचारी का यह अनुभव करना आवश्यक है कि उनके साथ न्याय हो रहा है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि लोक प्रशासन के भी अपने कुछ सिद्धांत हैं जिनके आधार पर प्रशासनिक कार्यों को संपन्न किया जाता है।
भारत में लोक प्रशासन की भूमिका तथा कार्यशैली में परिवर्तन
भारत में लोक प्रशासन की भूमिका एवं कार्य शैली में बदलाव की प्रवृत्तियां दिखाई देती हैं जो निम्न प्रकार हो सकती हैं—
(1) सरकारी विभाग कोई भी ऐसा कार्य न करें जो किसी वस्तु के भी निर्माण या वाणिज्य सेवाओं की व्यवस्था करने से संबंधित हो। ऐसे सभी कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के वर्तमान उपक्रमों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए अथवा उनके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के नए उपक्रम स्थापित होने चाहिए।
(2) कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें सरकार को प्रत्यक्ष रूप से या अपनी शारीरिक क्षेत्र के उपकरणों के माध्यम से मजबूरन काम करना पड़ता है। यथार्थ और निष्पक्ष की समीक्षा से यह पता चलता है कि सरकार की इस भूमिका की कोई आवश्यकता नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह अपने आप को इस कार्य क्षेत्र से अलग करने के लिए शीघ्र उपाय करें।
(3) ऐसी सेवाओं का कार्य क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है जो इस समय सरकार विभागीय रूप से कर रही है, किंतु जी ने सरलता से निजी क्षेत्र को सौप जा सकता है जैसे—
(1) रेलवे खानपान का प्रबंध निजी प्रबंधनों को सौंपा जा रहा है।
(2) डाक लेखन सामग्री के मुद्रण का आंशिक रूप से निजीकरण किया जा चुका है।
(3) दूरसंचार विभाग में मूल्य वर्ध्दित सेवाएं और सेलुलर फोन सेवा का निजीकरण हो चुका है।
(4) कई विभागों की सफाई सुरक्षा कटिंग और परिवहन सेवाएं संविदावों पर निजी क्षेत्र को सौंप दी गई है।
लोक प्रशासन के अभिप्राय और क्षेत्र की सुस्पष्ट व्याख्या किसके द्वारा की गई?
अमेरिका के पहले वित्त मंत्री अलेक्जेंडर हैमिल्टन द्वारा।
लोक प्रशासन के सिद्धांत नामक पुस्तक के लेखक का नाम बताइए?
चार्ल्स जिन बोनिन।
लोक प्रशासन से संबंधित पहली पुस्तक का नाम बताइए?
लोक प्रशासन के सिद्धांत।
‘केस पद्धति’ का सर्वप्रथम प्रयोग कहां और कब किया गया?
1952 ईस्वी में अमेरिका में।
न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन नामक पुस्तक के लेखक का नाम बताइए?
एच० जॉर्ज फ्रीडरिक्शन।
लोक प्रशासन का जनक किस विद्वान को माना जाता है?
अमेरिकी विद्वान बुडरो विल्सन को।
लोक प्रशासन अध्ययन के परंपरावादी दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक विद्वानों के नाम बताइए?
व्हाइट, विलोबि, एंडरसन आदि।
लोक प्रशासन अध्ययन की केस पद्धति का विकास कहां हुआ?
अमेरिका में।
आधुनिक राज्य को किस नाम से जाना जाता है?
लोक कल्याणकारी राज्य।
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