वियना कांग्रेस के गुण और दोष
वियना कांग्रेस के दोष
वियना कांग्रेस का आयोजन इसीलिए किया गया था कि यूरोपीय समाज का पुनर्निर्माण हो, यूरोप की राजनीतिक व्यवस्था में सुधार हो और प्रदेशों के न्याय पूर्ण विभाजन द्वारा स्थाई शांति स्थापित हो सके। परंतु कांग्रेस अपने उद्देश्यों या लक्ष्य की ओर पहुंचने से भटक गया और कुछ भूले और गलतियां कर गया, ये भूले व गलतियां इस प्रकार थी—
(1) राष्ट्रीय भावनाओं की अनदेखी
वियना कांग्रेस में न्यायोल्लंघन सिद्धांत द्वारा राष्ट्रीयता का पूर्ण रूप से न्यायोल्लंघन किया गया। वियना में जुटे राजनीतिज्ञों की दृष्टि में राष्ट्रीयता के सिद्धांत का कोई महत्व नहीं था। उन्होंने राज्यों का अस्वाभाविक विभाजन किया।डी०एम०केटलबी के अनुसार,"सम्मेलन में केवल शांति संतुलन के आधार पर ही राष्ट्रीय सीमाओं को निर्धारित किया, किंतु उसने यह प्रयत्न कभी नहीं किया की राष्ट्रीयता के आधार पर उनके प्रदेश मिल जाएं। परंपरागत कूटनीति, पुराने राजवंशों और पुराने राज्यों को यथास्थिति में रखना वियना के कर्णधारों ने उचित समझा किंतु राज्यों के पुनर्गठन में उन्होंने लोकमत तथा राष्ट्रीय भावना को कोई महत्व नहीं दिया।
(2) जनमत की अवहेलना
राष्ट्रीय भावनाओं की भांति जन्म की भी इस कांग्रेस में पूर्ण उपेक्षा की गई। राज्य के प्रशासन में जनता का भी कोई स्थान है, यह बात वियना मैं एकत्रित राजनीतिज्ञों की समझ में नहीं आई। वियना कांग्रेस में किसी भी देश की जनता का कोई प्रतिनिधि आमंत्रित नहीं किया गया। वियना कि राजनीतिज्ञों की दृष्टि में यदि किसी के पास अधिकार थे, तो केवल उच्च राजवंशों के पास। राज्यों की सीमाओं का निर्धारण जनसाधारण की इच्छा के विरुद्ध किया गया और इसमें केवल सम्राटों ने अपने स्वार्थों और लाभों का ही विशेष ध्यान रखा। वास्तव में क्रांति के आदर्शों की अवहेलना कर, जनतंत्र भावना को ठोकर मार कर और शक्ति संतुलन की आड़ में जनमत का अनादर कर वियना कांग्रेस ने अपनी असफलता का बेसुरा राग छेड़ा।
(3) प्रतिक्रियावादी नीति
कांग्रेस की नीति प्रारंभ से अंत तक प्रतिक्रिया वादी रही। उसने यूरोप की विकृत समस्या को सुलझाने के लिए जो साधन अपनाया, वह दोषपूण था। कांग्रेस का यह विचार एकदम प्रतिक्रियावादी, भ्रामक और निराशापूर्ण था कि यूरोप में शांति और व्यवस्था का एकमात्र साधन पूर्व शासको का पुनरुद्धार करना है।
(4) क्रांति से उत्पन्न प्रवृत्तियों की उपेक्षा
वियना कांग्रेस ने सबसे बड़ी भूल यह की कि उसने क्रांति से उत्पन्न होने वाली समस्त प्रवृत्तियों की पूर्ण उपेक्षा कर दी। विएना कांग्रेस में एकत्रित राजनीतिक कि जानबूझकर समय के प्रभाव की अनदेखी करते रहे। वे जानते थे कि क्रांति के स्वतंत्रता, समानता, भा्तृत्व, जनता की संप्रभुता आदि कुछ सिद्धांतों से जनता पूर्ण परिचित हो चुकी है और जागृत हो चुकी है, परंतु उन्होंने लोकप्रिय बनते चले आ रहे इन विचारों की बिल्कुल परवाह नहीं की, क्योंकि ना तो वे जनता के प्रतिनिधि थे और ना लोकतंत्र के समर्थक थे। वे उच्च आदर्शो से घृणा करते थे, परंतु जनता को फुसलाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने यूरोप की राजनीतिक व्यवस्था और शांति की केवल चर्चा भर की। वास्तव में वियना सम्मेलन द्वारा समय की उन प्रवृत्तियों की अपेक्षा करना जो बाद में धीरे-धीरे संपूर्ण यूरोप में ही नहीं, बल्कि संपूर्ण संसार में फैल गई, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था। प्रतिनिधियों का वास्तविक लक्ष्य यही था कि किसी न किसी प्रकार नहीं यूरोपीय युद्ध को रोक के रखा जाए और हर तरह अपनी स्वार्थ पूर्ति की जाए।
संक्षेप में, कांग्रेस के निर्णय अच्छे होने की बात तो दूर, वे स्वार्थ प्रेरित, प्रतिक्रियात्मक और पीछे ले जाने वाले थे। कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने यह नहीं सोचा कि नेपोलियन के जिन कार्यों की निंदा करके कांग्रेस की रूपरेखा रखी थी, उन्हीं कार्यों को वह पुनः कर रहे हैं। वियना में जो कुछ हुआ, वह समय को देखते हुए सर्वथा अनुचित और अस्वाभाविक था। यही कारण है कि अगली एक साड़ी के यूरोपीय इतिहास में वियना सम्मेलन की संपूर्ण छवि को विकृत कर दिया। विएना कांग्रेस के निर्णय अधिक दिनों तक स्थाई ना रह सके ,वे शीघ्र ही नष्ट हो गए।
वियना कांग्रेस के गुण अथवा लाभ
(1) यद्यपि वियना कांग्रेस के विरुद्ध लगाए समस्त गए आरोप सत्य है, तथापि यह भी मानना पड़ेगा की वियना कांग्रेस से अनेक लाभ भी हुए हैं। यूरोप के इतिहास में इस कांग्रेस का जो महत्व है उसे कम करके नहीं देखा जा सकता। युद्धों ये बुरी तरह थके हुए यूरोप में शांति स्थापित करने में यह कांग्रेस पूर्ण रूप से सफल रही। नेपोलियन की युद्ध में ही लगभग 60 लाख व्यक्ति काल कबूलित हुए। अपार संपत्ति की हानि हुई। इन युद्ध में जर्जरित यूरोप में शांति स्थापित करना वियना कांग्रेस की बहुत बड़ी सफलता थी।
(2) वियना कांग्रेस का महत्व इस बात में भी है कि यूरोप के इतिहास में यह पहला अवसर था, जब यूरोप के संपूर्ण राज्यों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इससे कम से कम राज्यों को यह तो अनुभव हुआ कि परस्पर मिलकर और बातचीत करके भी किसी समस्या का हल किया जा सकता है। एलिसन फिलिप्स ने लिखा है कि, “वियना कांग्रेस के निर्णय से सन 1815 से 19वीं साड़ी का राजनीतिक प्रभाव प्रारंभ हुआ और संपूर्ण यूरोप के प्रमुख शासको का नवीन समाज के निर्माण के लिए एकत्रित होना नवीन परंपरा का द्योतक बन गया।”
(3) जर्मनी और इटली के एकीकरण की दिशा में भी वियना कांग्रेस ने कुछ महत्वपूर्ण कार्य किए। प्रसा को शक्तिशाली बनाकर उसे जर्मन एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व करने योग्य घोषित किया गया। वियना कांग्रेस सम्मेलन में पवित्र रोमन साम्राज्य के विनाश को स्वीकार किया और इस तरह अनजाने ही जर्मनी के भावी एकीकरण में अपना सहयोग प्रदान किया। ऑस्ट्रिया को वेनेशिया देकर उसे इटली की राजनीति में फंसा दिया, जिससे प्रस के नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
(4) वियना कांग्रेस द्वारा यूरोप में शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की गई। इस संदर्भ में उसने एक ऐसी व्यवस्था — यूरोपीय व्यवस्था (Concert Of Europe) का गठन, जिससे भविष्य में युद्ध को पुनर्जीवित किया जा सके सके।
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