महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जीवन परिचय ; महात्मा गांधी भारत की ही नहीं, बल्कि विश्व की महान विभूतियां में से एक थे। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई को कठियावाड़ के एक नगर पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी के पिता और दादा काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत की दीवान थे। मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास करने के पश्चात यह वकालत की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गए और 3 वर्ष पश्चात वहां से सफल बैरिस्टर बनाकर भारत लौटे। उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ की।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान
एक व्यापारी के मुकदमे के सिलसिले में वह दक्षिण अफ्रीका गए। वहां पर भारतीयों के साथ अंग्रेजों द्वारा अमानुषिक अत्याचार किए जा रहे थे। रंगभेद की नीति एवं मानव अधिकारों के लिए गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में खड़ा संघर्ष किया। वहां पर उन्होंने सहयोग एवं सत्याग्रह आंदोलन का सफल परीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि 1920 ईस्वी में गांधी जी ने जिस असहयोग आंदोलन का सूत्रपात किया था, उसे हुए अपने दक्षिण अफ्रीकी प्रवास की अवधि में सफलता पूर्वक प्रयोग कर चुके थे। तीन बार दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा। इससे उन्होंने वहां पर बहुत प्रसिद्धि प्राप्त की।
महात्मा गांधी जी का भारतीय राजनीति में प्रवेश
20 वर्ष बाद 1915 ईस्वी में वे भारत वापस लौट आए। उन दिनों प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। युद्ध में गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार की बहुत सहायता की, परंतु युद्ध की समाप्ति पर रोलेट एक्ट के दुष्परिणामों, जलियांवाला बाग हत्याकांड तथा खिलाफत आंदोलन के प्रश्न के कारण देश में असहयोग आंदोलन का सूत्रपात किया और कुछ ही वर्षों में उनकी ख्याति सर्वत्र फैल गई। 1919 ई० से लेकर 1947 ई० तक गांधी जी ने कांग्रेस और राष्ट्रीय आंदोलन का सफल नेतृत्व किया। इसी कारण उन्हें इस काल में राष्ट्रीय आंदोलन का कर्णाधार कहा जाता है। देश की राजनीति पर गांधी जी का व्यापक प्रभाव था। गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए तीन महत्वपूर्ण आंदोलन चलाए थे—
(1) असहयोग आंदोलन
(2) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(3) भारत छोड़ो आंदोलन।
सत्याग्रह और अहिंसा की नीति से ही इन्होंने विश्व की महान शक्ति ब्रिटिश साम्राज्य का विरोध किया और अंत में विवश होकर 15 अगस्त, 1947 ई को अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्र कर दिया। यह भारत का दुर्भाग्य ही था कि आजादी की घोषणा के साथ-साथ देश दो राष्ट्रों हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान में विभाजित हो गया।
सामाजिक जागरण में महात्मा गांधी का योगदान
महात्मा गांधी जी में सामाजिक न्याय की भावना बड़ी प्रबल थी। उनके हृदय में भारत की शोषण और दलित जातियों की प्रति विशेष सहानुभूति, प्रेम और सहयोग की भावना थी। उन्होंने अछूतों के पक्ष में आवाज उठाई और उनके हितों को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास किया। महात्मा गांधी ने इन्हें ‘हरिजन’ कहकर सम्मानित किया। उन्होंने इसी उद्देश्य से हरिजन नामक पत्रिका भी प्रकाशित कराई, जिसके माध्यम से हुई छुआछूत के विरुद्ध प्रभावशाली लेख प्रकाशित करते रहते थे। इसके साथ ही उन्होंने हिंदुओं को हरिजन के प्रति उदार होने की प्रेरणा दी और मंदिरों के द्वार हरिजन के लिए खोल देने को कहा। गांधी जी स्वयं भी हरिजनों की बस्तियों में रहे, जिससे उच्च वर्ग के लोग हरिजन से घृणा करना छोड़ दें। गांधी की महिलाओं के उत्थान के समर्थक थे तथा वे विधवा पुनर्विवाह में विश्वास रखते थे। उन्होंने मद्यपान का विरोध किया वे समाज से शोषण का अंत करना चाहते थे। गांधी जी गौवंश की रक्षा को धार्मिक व आर्थिक दोनों दृष्टियों से आवश्यक मानते थे। अतः उन्होंने गौवध निषेध का समर्थन किया था। महात्मा गांधी के इन्हीं प्रयत्नों के परिणाम स्वरुप हमारी राष्ट्रीय जीवन में सामाजिक आदर्श और समानता की भावना विकसित हुई, जिसे आधुनिक भारत की आधारशिला रखने में बड़ा महत्वपूर्ण कार्य किया। उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान पर गांधीवादी दर्शन का इतना व्यापक प्रभाव पड़ा कि उनके कतिपय सिद्धांत भारतीय संविधान के भाग IV राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत समाहित किए गए हैं।
इन सभी उपयुक्त सुधारो के अतिरिक्त महात्मा गांधी सांप्रदायिकता की घुर विरोधी और हिंदू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। उनकी यह पंक्ति आज भी हमारे हृदय को झंकृत कर देती है “ईश्वर अल्लाह एक ही नाम। सबको संपत्ति दे भगवान।” वे चाहते थे कि उनके देशवासी प्रेम और शांति से रहे। वे मानवता के भक्त थे। इसी दृष्टि से महात्मा गांधी को आधुनिक भारत का युग-पुरुष एवं राष्ट्रपिता कहा जाता है।
राजनीतिक जागरण में गांधी जी का योगदान
भारत के राजनीतिक जागरण तथा स्वतंत्रता संग्राम में सर्वाधिक योगदान गांधी जी का रहा है। उन्होंने देशवासियों को अत्याचारों का सामना करने के लिए अहिंसा और सत्याग्रह का प्रभावशाली शस्त्र प्रदान किया। उन्होंने खादी प्रचार, स्वदेशी आंदोलन, ग्राम सुधार अथवा ग्राम उत्थान आंदोलन तथा स्त्री उध्दार द्वारा देश में जन जागृति उत्पन्न की। वे राजनीति में भी बड़े सत्यवादी तथा निष्कपट थे। वे हमेशा ही राजनीति में नैतिक पक्ष पर बल देते आ रहे हैं और स्वयं भी इन सिद्धांतों का पालन बड़ी दृढ़ता से करते थे। वह लक्षण की अपेक्षा साधनों को अधिक महत्व देते थे। उनका विचार था कि निम्न प्रकार के साधनों के प्रयोग से उत्तम प्रकार का लक्ष्य कभी भी प्राप्त नहीं हो सकता है।
रोम्या रोलाँ ने गांधी जी के विषय में लिखा है, “गांधी जी ही केवल भारत के राष्ट्रीय इतिहास के ऐसे नायक हैं, जिनकी किवंदन्तियां युगों तक प्रसिद्ध रहेगी। उन्होंने समस्त मानव वर्ग के संतों और महात्माओं में अपना स्थान प्राप्त किया है और उनके व्यक्तित्व का प्रकाश संपूर्ण विश्व में फैला हुआ है।”
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गांधी जी को ‘ईश्वरी मानव’ कहा था। संक्षेप में, महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में सामाजिक न्याय की भावना, समानता की इच्छा और दलित वर्गों की मुक्ति की भावना उत्पन्न की। उन्हीं के नेतृत्व में कांग्रेस ने देश को स्वतंत्रता से कराया।
महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या था?
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
महात्मा गांधी का जन्म कहां हुआ था?
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर में हुआ था।
महात्मा गांधी के बेटे का क्या नाम था?
महात्मा गांधी के बेटे का नाम — हीरालाल गांधी, मणिलाल गांधी, देवदास गांधी और रामदास गांधी।
महात्मा गांधी की मृत्यु कब और कहां हुई?
महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को और स्मारक बिडला हाउस में हुई।
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए तीन आंदोलन कौन से थे?
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए तीन आंदोलन — असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन।
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