विभाग किसे कहते हैं? अर्थ, प्रकार एवं विशेषताएं

विभाग (Department)

विभाग का अर्थ (Meaning of Department)

शाब्दिक दृष्टि से विभाग का अर्थ किसी बड़े संगठन अथवा इकाई का भाग है। प्रशासन की तकनीकी शब्दावली में विभाग शब्द का एक विशेष अर्थ होता है। मुख्य कार्यपालिका के अधीन रहने वाले सभी सरकारी कार्यों को कई खण्डों में विभक्त कर लिया जाता है। इसके प्रत्येक खंड को विभाग कहा जाता है। विभाग सरकारी कइयों का विभाजन तथा संपादन करने का परंपरागत तथा महत्वपूर्ण प्रकार है।

डिमोट तथा टोइंग के शब्दों में, “प्रशासन में श्रम विभाजन की आवश्यकता विभागीय प्रणाली के जन्म का स्वाभाविक कारण है।” 

डां० एम० पी० शर्मा के अनुसार विभाग के दो प्रकार हैं —

(1) इकाई का नाम चाहे कुछ भी हो, यदि वह प्रशासनिक सोपान के शीर्ष के समीप हो तथा उसके एवं मुख्य कार्यकारी के बीच कोई अन्य इकाई ना हो तो हम उसे विभाग कहेंगे।

(2) यदि वह इकाई मुख्य कार्यकारी के अधीन तथा उसके प्रति उत्तरदाई हो तो इकाई को विभाग कहा जाएगा।

 विभाग मुख्य कार्यपालिका के एकदम नीचे आवश्यक होते हैं, किंतु उनके संगठन एवं पुनर्गठन के संबंध में यह आवश्यक नहीं है कि वह स्वतंत्र हों। विभागों के संगठन का अधिकार संविधान, संसद या कार्यपालिका में सन्निहित हो सकता है।

विभागों के प्रकार  

अपने आकार संरचना, कार्य की प्रकृति, कार्य के भौगोलिक वितरण के आधार पर विभागों में परस्पर भिन्नता होती है।

(1) आकार 

आकर के आधार पर विभागों को दो छोटे-बड़े भागों में बांटा जा सकता है। सरकार के रेलवे डाक एवं तार विभाग तथा प्रतिरक्षक विभाग बड़े विभाग हैं। इनमें हजारों कर्मचारी कार्य करते हैं। दूसरी ओर राज्य स्तर पर ‘स्थानीय सरकार’ जैसे छोटे विभागों के उदाहरण है।

(2) संरचना

संरचनात्मक दृष्टिकोण से विभागों को एकात्मक तथा संघात्मक दो भागों में बांटा जा सकता है। एकात्मक विभाग के विभाग होते हैं जो एक निश्चित प्रयोजन को पूरा करने के लिए संगठित किए जाते हैं, जैसे — प्रतिरक्षा, शिक्षा अथवा पुलिस विभाग। संघात्मक विभागों के संघ होते हैं। संघात्मक विभाग कार्य की दृष्टि से बहुमुखी होते हैं। अधिकांश देशों में गृह विभाग इसी वर्ग में सम्मिलित होते हैं।

(3) कार्य की प्रकृति

कार्य की प्रकृति के आधार पर विभागों में अपने-अपने कार्य की प्रकृति के आधार पर भी अंतर पाए जाते हैं। जैसे पुलिस विभाग में शांति तथा व्यवस्था की स्थापना की जिम्मेदारी होती है जबकि डाक विभाग पत्रों और पार्सलों को लाने ले जाने का कार्य करता है। कुछ विभाग समन्वयात्मक तथा अधीक्षणात्मक कार्य करते हैं जैसे — भारतीय राज्यों में सामान्य प्रशासन तथा ब्रिटेन में ट्रेजरी विभाग। ऐसे मामलों में वास्तविक कार्य करने के लिए दूसरे अभिकरण होते हैं, जैसे- स्थानीय स्वायत्त शासन विभाग के अंतर्गत स्थानीय सेवाएं।

(4) भौगोलिक आधार 

भौगोलिक आधार भी विभागों के मध्य अंतर पाया जाता है। कुछ विभागों का कार्य प्रधान कार्यालय तक सीमित रहता है और उनके अंतर्गत कोई भी क्षेत्रीय अभिकरण नहीं होता है जैसे— भारत में वित्तीय तथा स्थानीय स्वायत्त शासन आदि कुछ विभागों का कार्य भौगोलिक रूप से बिखरा होता है तथा अधिकांश कार्य क्षेत्रीय अभिकरण के द्वारा कराया जाता। जैसे — डाक तथा तार विभाग, पुलिस विभाग आदि। कुछ विभाग ऐसे होते हैं जिनमें मुख्य कार्यालय तथा क्षेत्रीय कार्यालय के मध्य अत्यधिक केंद्रीकरण तो कुछ विभागों में अत्यधिक विकेंद्रीकरण दिखाई देता है।

विभागीय व्यवस्था की विशेषताएं (गुण) 

(1) विभागीय प्रणाली अंतर्गत सरकार की संरचनात्मक समस्या का आसान समाधान करती है। इसके द्वारा अधिक ज्ञानवर्धक विधान का बनाना संभव है। यह जनता द्वारा सेवाओं की प्रभावशाली उपयोग को भी संभव बनाती है।

(2) विभागीय प्रणाली अधिकार तथा उत्तरदायित्व को पूर्ण रूप से निश्चित करता है।

(3) इस प्रणाली में, क्योंकि सारा संगठन एक ही व्यक्ति की अधीनता में कार्य करता है। अतः प्रशासनिक इकाइयों के आपसी झगड़े श्रद्धा से सुलझाएं जा सकते हैं।

(4) इस प्रणाली के अंतर्गत संगठन, सामग्री, संयंत्र, कर्मचारी व कार्यों के दोहराव को रोकने का पर्याप्त उपाय रहता है।

(5) विभागीय प्रणाली में एक ही प्रकार की सेवाएं एक विभाग के अंतर्गत आती है, बताओ सरकार को विकास संबंधी कार्यक्रमों के बनाने में सुविधा होती है। उनमें आपस में सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित किया जा सकता है।

(6) इस प्रणाली के द्वारा विभिन्न सरकारी विभाग अपने कार्यक्रमों को अधिक अच्छी तरह कर सकते हैं तथा उन्हें सुधारो रूप से पूरा भी कर सकते हैं।

(7) इस प्रणाली में मुख्य कार्यपालिका से प्रत्यक्ष संबंध रखने वाले तात्कालिक अधिनियिमिस्ट कर्मचारियों की संख्या कम हो जाती है। इसमें मुख्य कार्यपालिका को प्रशासन की विभिन्न समस्याओं पर सोच विचार करने के लिए काफी समय मिलता है।

(8) विभागीय प्रणाली में संस्थागत कार्यकलापों के केंद्रीकरण में सुविधा होती है जैसे- क्रय करना, सुरक्षित रखना, नियुक्ति करना आदि। 

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