साक्षात्कार क्या है? अर्थ, परिभाषा तथा उद्देश्य

साक्षात्कार Interview

सामाजिक अनुसंधान की पद्धतियों में सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली पद्धति साक्षात्कार है। आज यह एक सर्वे प्रचलित एवं सर्वोपरि पद्धति मानी जाती है तथा मुख्य रूप में प्रयोग होने के साथ-साथ यह अन्य पद्धतियों जैसे अवलोकन अनुसूची इत्यादि में एक सहायक या पूरक पद्धति के रूप में भी प्रयोग होती है। इसमें अन्वेषणकर्ता सूचनादाता से आमने-सामने की परिस्थिति में समस्या से संबंधित प्रश्न पूछता है और उनके उत्तर प्राप्त करता है। इसमें से सूचना दाताओं की मनोवृतियों एवं दृष्टिकोण का भी पता चल जाता है।

साक्षात्कार क्या है? अर्थ, परिभाषा तथा उद्देश्य

साक्षात्कार का अर्थ एवं परिभाषाएं

साक्षात्कार का अर्थ कार्यकर्ता तथा उत्तरदाता के बीच आमने-सामने संपर्क स्थापित करके कुछ ऐसे रहस्यों का पता लगाना या उनके जानकारी प्राप्त करना है, जिनका उत्तरदाता के अतिरिक्त कोई नहीं जानता। इस प्रकार की जानकारी अन्य किसी प्रविधि के द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती। इस प्रकार की जानकारी प्रयोग प्रत्यक्ष रूप में प्रश्नोत्तरी प्रणाली द्वारा की जाती है। उत्तरदाता से कार्य करता है सामने बैठकर प्रश्न पूछता है और कार्यकर्ता उत्तरदाता द्वारा दिए गए कुछ उत्तरों को नोट कर लेता है तथा सही जानकारी मौखिक रूप से ही प्राप्त कर ली जाती है। 

साक्षात्कार की परिभाषाएं 

(1) सी० ए० मोजर के अनुसार— “औपचारिक साक्षात्कार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पहले से निर्मित प्रश्नों को पूछा जाता है और उसके उत्तरों को प्रमाणीकृत रूप में संकलित किया जाता है। यह बड़े सर्वेक्षणों में आम रूप से प्रयुक्त होता है जिससे सांख्यिकीय और विश्लेषणात्मक डेटा प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में प्रश्न आधिकारिक रूप से तैयार किए जाते हैं और उनके जवाबों को सुनिश्चित ढंग से रिकॉर्ड किया जाता है, ताकि इसका निश्चित विश्लेषण किया जा सके और नतीजे निकाले जा सकें।” 

(2) पी०वी० यंग के अनुसार — “साक्षात्कार को एक ऐसी प्रक्रिया माना जा सकता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आंतरिक जीवन में प्रवेश करता है, जिससे उसका अधिक या काम कल्पनात्मक दृष्टिकोण बनता है और जिससे साधारित दृष्टिकोण से वह अपरिचित होता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के अनुभव, विचार और दृष्टिकोण को समझने का एक माध्यम होती है, जिससे समझाया जा सकता है कि उनके विचार और भावनाएं किस प्रकार से विकसित हो रही हैं।”

परिभाषाओं का सार 

इन सभी परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि साक्षात्कार सामाजिक अनुसंधान की वह पद्धति है, जिसके द्वारा साक्षात्कारकर्ता वार्तालाप के द्वारा सूचना उत्तर के विचारों और भावनाओं में प्रवेश करके तथ्यों का संकलन करता है। इस प्रकार का संवाद साक्षात्कारकर्ता को व्यक्तिगत स्तर पर जाकर सूचना उत्तर के सुबजेक्टिव और आंतरीक दुनिया को समझने की अनुमति देता है। यह मीटिंग व्यक्ति के अनुभव, भावनाएं और सोच-विचारों को समझने का एक माध्यम होती है और साक्षात्कारकर्ता को व्यक्तिगत स्तर पर समझदारी और साहित्यिक रूप से संपर्क स्थापित करने में मदद करती है।

साक्षात्कार के प्रमुख उद्देश्य 

(1) व्यक्तिगत सूचनाओं 

साक्षात्कार का दूसरा प्रमुख उद्देश्य सूचना उत्तर से प्रत्येक संपर्क स्थापित करके उसे समस्या और उसकी पृष्ठभूमि के बारे में व्यक्तिगत सूचनाओं प्राप्त करना है। इसमें साक्षात्कारकर्ता सूचना उत्तर की भावनाओं को भी जानने का प्रयास करता है, ताकि उसे व्यक्तिगत स्तर पर भाग्य के संपर्क से जुड़े तत्वों की समझ मिल सके। इस प्रकार, साक्षात्कार से नहीं सिर्फ तकनीकी जानकारी ही प्राप्त होती है, बल्कि यह व्यक्ति के अनुभव, भावनाएं, और सामाजिक परिस्थितियों को समझने में भी सहायक होता है।

(2) पूर्ण जानकारी 

साक्षात्कार का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य सूचनादाताओं से अनुसंधान की समस्या के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करना है। कई बार साक्षात्कार अनौपचारिक वार्तालाप के रूप में होता है, जिसमें सूचनादाता काफी जानकारी दे देते हैं।

(3) प्रत्येक संपर्क करना 

साक्षात्कार का सबसे प्रमुख उद्देश्य साक्षात्कारकर्ता का सूचनादातख से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करना है जिससे उसे अनुसंधान समस्या से परिचित कराकर उसे सहयोग लिया जा सके। प्रत्यक्ष संपर्क अधिक विश्वसनीय सूचनाओं एकत्रित करने में सहायक है।

(4) अवलोकन संभव 

साक्षात्कार का एक उद्देश्य अवलोकन को भी संभव बनाना है। साक्षात्कार के समय साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता से समस्या के बारे में बातचीत ही नहीं बल्कि उसके चेहरे पर आने वाले मनोभावों से उसके द्वारा बताई गई सूचना की सत्यता के बारे में अनुमान भी लगता है, बताओ इसमें अवलोकन प्रविधि एक पूरक प्रविधि की भूमिका निभाती है।

(5) आंतरिक भावनाओं का ज्ञान 

 साक्षात्कार का एक अन्य उद्देश्य सूचना दाताओं की आंतरिक भावनाओं का पता लगाना है। यंग का कहना है कि साक्षात्कार को एक ऐसी क्रमबद्ध पद्धति माना जा सकता है, जिसके द्वारा साक्षात्कारकर्ता सूचना उत्तर की आंतरिक जीवन में अधिक या कम काल्पनिक रूप से प्रवेश करता है। इससे उसे सूचनादाता की आंतरिक भावनाओं का काफी सीमा तक पता चल जाता है। वह उसके चेहरे पर आने वाले उतार-चढ़ाव को सरलता से देख सकता है और इस बात का अनुमान लगा सकता है की सूचना उत्तर सही सूचना दे रहा है या नहीं।

(6) उपकल्पनाओं का निर्माण 

साक्षात्कार का अंतिम उद्देश्य साक्षात्कारकर्ता को उपकल्पनाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करता है। साक्षात्कार को उपकल्पनाओं का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है; क्योंकि इससे समस्या के विभिन्न पक्षों के बारे में यथेष्ट जानकारी प्राप्त होती है। यह जानकारी उपकल्पना के निर्माण का स्रोत होती है।

(7) विभिन्न पहलुओं की जानकारी 

साक्षात्कार का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के पहलुओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर समस्या की प्रकृति को ठीक प्रकार से समझने में सहायता प्रदान करता है। साक्षात्कार के विभिन्न प्रकार जैसे केंद्रीत साक्षात्कार, औपचारिक व अनौपचारिक साक्षात्कार इत्यादि समस्या के सभी पहलुओं के विषय में जानकारी प्रदान करने में सहायता प्रदान करते हैं।

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