प्रशासन (Administration)
प्रशासन से आप क्या समझते हैं? आधुनिक युग में प्रशासन एक शब्द राज्य की सभ्यता का मूल स्रोत बन गया है। प्रशासन एक शब्द समाज की परम आवश्यकता है। आधुनिक युग में राज्य के कार्य क्षेत्र में वृद्धि के साथ-साथ प्रशासन क्षेत्र में अभिवृद्धि हुई है तथा इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। आधुनिक विचारकों के मध्य के अनुसार प्रशासन एक सुनिश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा परस्पर सहयोग से की जाने वाली एक सामूहिक क्रिया है।
प्रशासन के जनक वुडरो विल्सन है।प्रशासन का अर्थ
prashasan ka art ; प्रशासन के लिए अंग्रेजी में ‘एडमिनिस्ट्रेशन’ (Administration) शब्द का प्रयोग किया जाता है। प्रशासन का यह अंग्रेजी रूपांतरण लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। एड (ad) और मिनिसटेटर (Ministarire) जिसका अर्थ सेवा करना है। परंतु 16वीं शताब्दी में प्रशासन शब्द का प्रयोग ‘प्रबंध करना’ Management) के अर्थ में होने लगा। प्रशासन का अर्थ अत्यंत व्यापक है। सामान्य रूप से प्रशासन का अर्थ मंत्रिमंडल, सामाजिक विज्ञान की शाखा लोक नीति एवं प्रबंधन से लिया जा सकता है।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि प्रशासन एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा तथा हित एवं सहयोग के लिए तथा निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सुनियोजित ढंग से किया जाने वाला कार्य है। इसमें अनेक व्यक्तियों का सहयोग, संगठन तथा हित एवं निश्चित उद्देश्य अवश्य होना चाहिए।
प्रशासन की परिभाषा
prashasan ki paribhasha ; प्रशासन शब्द की परिभाषा अनेक विद्वानों द्वारा प्रशासन को अनेक प्रकार से परिभाषित किया गया है, जिनमें कुछ प्रमुख परिभाषाएं इस प्रकार हैं—
निग्रो (Nigro) के अनुसार — “प्रशासन से लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मनुष्य तथा सामग्री दोनों का संगठन है।”
साइमन (Saiman) के अनुसार— “अपने व्यापक रूप में प्रशासन की व्याख्या उन समस्त सामूहिक क्रियो से की जा सकती है जो सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सही योगात्मक रूप में प्रस्तुत की जाती है।”
फिफनर (piffner) के अनुसार — “मनुष्य तथा भौतिक साधन का संगठन एवं नियंत्रण ही प्रशासन है।”
इन सभी उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अनेक व्यक्तियों द्वारा जो संगठन अथवा सहयोग के साथ संगठनात्मक तरीके से किया गया कार्य ही प्रशासन है।
प्रशासन का महत्व
(1) सभ्यता का प्रतीक
समाज को सब्जी बनाने के लिए कुशल प्रशासन की आवश्यकता होती है। समाज में शांति एवं सुव्यवस्था कुशल प्रशासन द्वारा ही संभव है। प्रशासन ही समाज को सूर्य व्यवस्थित बनता है तथा सामाजिक सभ्यता की और अग्रसर करता है।
(2) राज्य की आर्थिक व्यवस्था के लिए आवश्यक
देश की आर्थिक स्थिति को शुद्ध रेट बनाने के लिए योजना पद तरीकों की आवश्यकता होती है और यह कुशल प्रशासन पर ही निर्भर करता है। कुशल प्रशासन होने पर योजनाएं सुचारू रूप से बने अथवा लागू की जाती है जिस देश प्रगति की ओर अग्रसर रहता है तथा आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ बनती है। जिस राज्य की आर्थिक व्यवस्था एक अच्छी बनी रहती है।
(3) सामाजिक प्रगति की प्रथम आवश्यकता
प्रशासन सामाजिक प्रकृति की प्रथम आवश्यकता है। प्रशासन द्वारा ही अधिक सामाजिक कार्यों को संपन्न किया जाता है। कुशल प्रशासन होने पर ही सामाजिक बुराइयां एवं अव्यवस्था को दूर किया जा सकता है क्योंकि जब समाज में प्रशासन लागू होगा तो समाज सुव्यवस्थित और व्यवस्था में बना रहेगा। इससे ही समाज प्रगति कर सकता है। इस प्रकार सामाजिक प्रगति के लिए प्रशासन अति महत्वपूर्ण होता है।
(4) जनता की सुविधाओं के लिए आवश्यक
लोक कल्याणकारी राज्य देश की जनता के लिए अनेक योजनाएं बनाकर लागू होता है। इसीलिए जनता का जीवन से चारु रूप से चले यह प्रशासन पर निर्भर करता है। इसलिए प्रशासन जनता की आवश्यकता है। अगर जनता के लिए सुविधा होगी तो वह सभ्य और सुदृढ़ रहेंगे।
(5) सामाजिक शांति का प्रतीक
प्रशासन बाह्य देश से देश की सुरक्षा भी करता है और आंतरिक शांति स्थापित करता है। इसे जनता को विकास के सुअवसर प्राप्त होते हैं। इस प्रकार समाज स्थाई रहता है।
निष्कर्ष (conclusion)
इन सभी उपर्युक्त विवेचनाओं के आधार पर हो स्पष्ट होता है कि किसी भी देश की सभ्यता, प्रगति एवं जनता की सुविधा के लिए प्रशासन की कुशलता का होना आवश्यक है। प्रशासन के अभाव में देश स्थाई नहीं रह सकता और ना ही प्रगति कर सकता है। आधुनिक युग में तो प्रशासन अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। प्रगति के विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रशासन आवश्यक हो जाता है। इसी दिशा में फिफनर के शब्दों में, “वंचित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मानवीय तथा भौतिक साधनों के संगठन और निर्देशन का नाम ही प्रशासन है।” इस प्रकार कुशल प्रशासन प्रकृति की प्रथम आवश्यकता है।
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