फिलिप द्वितीय का जीवन परिचय | समस्याएं तथा उपलब्धियां

 फिलिप द्वितीय 

चार्ज पंचम ने सन् 1555 ईस्वी में अपने विशाल साम्राज्य को दो भागों में विभक्त कर संपूर्ण स्पेन वह नीदरलैंड से किस राज्य हेतु अपने पुत्र फिलिप द्वितीय को उत्तराधिकारी घोषित किया था। चार्ज पंचम अपने समय के यूरोपीय शासको में सबसे अधिक शक्तिशाली एवं साधन संपन्न शासक था। इसलिए 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध को फिलिप ‘द्वितीय का काल’ कहा जाता है।

फिलिप द्वितीय का संक्षिप्त में परिचय

फिलिप द्वितीय स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम का एकलौता पुत्र था। उसका जन्म 1527 में हुआ था। चार्ल्स पंचम ने अपने साम्राज्य को दो भागों में बांटा था—फिलिप द्वितीय और अपने छोटे भाई फर्डिनेंड के मध्य। इसलिए अपने पिता का संपूर्ण साम्राज्य फिलिप द्वितीय को प्राप्त नहीं हुआ। उसका विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी मारिया के साथ 1543 में हुआ किंतु 1545 में मारिया की मृत्यु हो गई। फिलिप द्वितीय का दूसरा विवाह इंग्लैंड की महारानी मैरी ट्यूडर के साथ 1554 में संपन्न हुआ। 1555 में उसे नीदरलैंड्स का शासक नियुक्त किया गया और 1556 में स्पेन की सम्राट के रूप में उसका राज्यारोहण संपन्न हुआ।

फिलिप द्वितीय की समस्याएं

फ्लिप द्वितीय के समक्ष उसके द्वारा शासन की बागडोर संभालने पर दो प्रकार की समस्याएं थी— (1) आंतरिक तथा (2) बाह्य समस्याएं।

(1) आंतरिक समस्याएं

(1) आर्थिक कठिनाइयां

चार्ज पंचम को अपनी समय में कई युद्ध लड़ने पड़े थे। अतः राजकोष रिक्त हो चला था। फिलिप द्वितीय को इस समस्या से जूझना पड़ा। अमेरिकी उपनिवेशों से प्राप्त आय पर ही प्रायः हो निर्भर रहना पड़ता था। स्पेन में औद्योगिक विकास और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर उचित ध्यान नहीं दिया जा सकता था। फल स्वरुप स्पेन की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई।

(2) मूल्यों का विद्रोह 

मूरो जाति के लोग स्पेन के दक्षिण पूर्व में रहते थे। स्पेन के लोग उन्हें तुर्की के समर्थक समझ कर संदेह की दृष्टि से देखते थे। सन् 1566 में मूरों के विरुद्ध राजाज्ञा जारी कर दी जिसके विरुद्ध लोगों से संगठित होकर सन् 1569 में सम्राट के विरुद्ध खुला विद्रोह कर दिया। सम्राट के द्वारा उनका दमन करने के लिए भारी संसाधनों को लगाना पड़ा।

(3) न्यूजीलैंड का विद्रोह 

फिलिप द्वितीय के शासन कल में न्यूजीलैंड से की जनता ने जबरदस्त विद्रोह किया था। इसी विद्रोह का दमन करने के लिए फ्लिप द्वितीय को काफी शक्ति लगानी पड़ी किंतु उसे सफलता नहीं मिली।

(2) बाह्य समस्याएं 

(1) दिलीप द्वितीय स्पेन को यूरोप का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाना चाहता था। बताओ अपने पिता की भांति उसे भी विभिन्न देशों से निरंतर युद्ध करने पड़े। उसे युद्ध पूर्व साम्राज्यवादी नीति अनुसरण करने हेतु विवश होना पड़ा।

(2) उसकी महत्वाकांक्षा थी कि पुर्तगाल स्पेन का हिस्सा बनाया जाए।

(3) तुर्कों से भी साम्राज्य और भूमध्य सागर में बराबर आक्रमण का भी उसे सामना करना पड़ा। 

फिलिप द्वितीय की उपलब्धियां

(1) निरंकुश राजतंत्र की स्थापना

फिलिप द्वितीय निरंकुश राजतंत्र की स्थापना करना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने स्पेन की सामंती सभा, दरबारी आदि सभी के अधिकारों पर कठोर नियंत्रण लगा दिया।

(2) कुशल एवं उत्कृष्ट सैनिक संगठन

फिलिप द्वितीय भली भांति जानता था कि स्पिनिंग साम्राज्य की गौरवपूर्ण प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए उसे एक ऐसी श्रेष्ठ और सुसंगठित सैन्य बल की आवश्यकता है। इस उद्देश्य को लेकर उसने सेना का एक उत्कृष्ट संगठन तैयार किया। उसने ‘ड्यूक ऑफ अल्बा’ और ‘ड्यूक ऑफ पारमा’ जैसे वीर सेनानियों को अपना सेनापति बनाया जिनकी गणना यूरोप की सर्वश्रेष्ठ सेनापतियों में की जाती है।

(3) प्रशासकीय एकरूपता की स्थापना

स्पेन के साम्राज्य में विभिन्न छोटे-छोटे राज्य थे। जिम अलग-अलग परंपराओं और संस्थाओं का प्रचलन था। फिलिप द्वितीय अपने साम्राज्य में प्रशासनिक एकरूपता कायम करके राष्ट्रीय एकता स्थापित करना चाहता था। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बहुत निरंतर प्रयास करता रहा।

(4) धार्मिक नीति (नीदरलैंड्स का विद्रोह) 

लुइ फिलिप द्वितीय अपने पिता चार्ल्स पंचम की भांति कट्टर कैथोलिक था। नीदरलैंड्स में प्रोटेस्टेंटों को दबाने के लिए उसने अनेक उपाय किए, धार्मिक अदालतों की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई थी। किंतु इस नीति के फल स्वरुप नीदरलैंड्स में भयंकर विद्रोह हुआ जिसका दमन करने में फिलिप द्वितीय को सफलता नहीं मिली। इस प्रकार उसकी धार्मिक नीति नितांत असफल सिद्ध हुई, क्योंकि वह ना कैथोलिक धर्म को प्रतिष्ठित कर्ज का और ना ही प्रोटेस्टेवाद को ही समूल नष्ट कर सका। इन सब का कारण साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया प्रारंभ होने में हुआ।

(5) आर्थिक सुधारो के क्षेत्र में असफलता

फिलिप द्वितीय के शासनकाल में स्पेन की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। अमेरिकी उपनिवेशों से होने वाली आए भी तरक्की के अवैध धंधे के कारण प्रभावित हुई। स्पेन का औद्योगिक विकास रुक गया। धार्मिक अदालत होने पूर्व से जीर्ण-शीर्ण स्थिति को और अधिक जर्जर कर दिया।

विदेश नीति के क्षेत्र में सफलताएं एवं असफलताएं

(1) फ्रांस के आन्तरिक मामले में अनुसूचित हस्तक्षेप 

16वीं शताब्दी के पूर्वाद में फ्रांस के सम्राट फ्रांसिस प्रथम तथा हेनरी द्वितीय के शासनकाल में फ्रांस के आंतरिक और वैदिक क्षेत्र दोनों में ही प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। किंतु हेनरी द्वितीय की मृत्यु के पश्चात उसके उत्तराधिकारी आयोग्य निकले। इसका फायदा उठाकर फिलिप द्वितीय ने फ्रांस के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया जिसका नतीजा उसके पक्ष में नहीं गया। 

(2) इंग्लैंड के विरुद्ध युद्ध पुर्ण तिथि 

फिलिप द्वितीय ने अपने शासनकाल के प्रारंभ में इंग्लैंड के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध कायम किए थे। उसने इंग्लैंड की महारानी मैरी ट्यूडर से विवाह करके इन संबंधों को और अधिक अच्छा किया था। किंतु मेरी ट्विटर की मृत्यु एवं इंग्लैंड के शासन पर एलिजाबेथ द्वारा सिंहासनरोहण के पश्चात दोनों देशों के बीच कटुता उत्पन्न हो गई। एलिजाबेथ ने फिलिप द्वितीय की सभी योजनाओं का विरोध किया और प्रोटेस्टेंट धर्म को अपनाया।


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