पश्चिमीकरण (westernization)
भारत में सामाजिक परिवर्तन लाने वाली प्रक्रियाओं में पश्चिमीकरण की प्रक्रिया का प्रमुख स्थान है। यह एक ऐसी बाहरी प्रक्रिया है जिसने भारतीय समाज एवं संस्कृति को सर्वाधिक प्रभावित किया है। इसका प्रारंभ भारत में अंग्रेजी शासन काल में हुआ तथा इस प्रक्रिया ने भारतीय समाज के लगभग सभी पक्षों को प्रभावित किया है।
पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषा
विश्व को संस्कृति के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है। एक भाग पूर्वी विश्व और दूसरा भाग पश्चिमी विश्व के नाम से पुकारा जाता है। पूर्व में अध्यात्मवादी संस्कृति का बोलबाला है और पश्चिमी विश्व में भौतिकवादी संस्कृति का महत्व है। जब पूर्व के देशों में पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति का प्रभाव बढ़ने लगता है और इसके परिणाम स्वरुप गैर पश्चिमी देशों में परिवर्तन होने लगते हैं तो हम उसको पश्चिमीकरण के नाम से पुकारते हैं। इस प्रकार, पश्चिमीकरण का अर्थ है पश्चिमी संस्कृति के अनुसार सामाजिक जीवन को ढाल लेना। पश्चिमी जगत की संस्कृति की बातों को ग्रहण कर लेना ही पश्चिमीकरण की प्रक्रिया कहलाती है।
एम०एन० श्रीनिवास के मतानुसार—"150 वर्षों के अंग्रेजी राज्य के फल स्वरुप भारतीय समाज व संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों को आधुनिकीकरण से संबोधित किया जा सकता है। यह शब्द प्रौद्योगिकी, संस्थाएं, विचारधारा और मूल्य आदि विभिन्न स्तरों पर आधारित होने वाले परिवर्तनों को आत्मसात करता है।"
परिभाषाओं का सार
श्रीनिवास की इस परिभाषा से यह स्पष्ट हो जाता है कि पश्चिमीकरण के कारण समाज के किसी एक पक्ष में नहीं, अपितु लगभग सभी पक्ष में परिवर्तन होते हैं। अतः यह एक व्यापक प्रक्रिया है जो समाज के सभी क्षेत्रों में व्याप्त होती है।
पश्चिमीकरण के लक्षण या प्रमुख विशेषताएं
पश्चिमीकरण की विशेषताएं ; एम० एन० श्रीनिवास की पश्चिमीकरण की परिभाषा के आधार पर यह स्पष्ट हो जाती है कि पश्चिमीकरण एक विस्तृत प्रक्रिया है जिसके द्वारा पश्चिमी संस्कृति के प्रति मानव का विस्तार व प्रसार किया जाता है। पश्चिमीकरण के प्रमुख लक्षण अथवा विशेषताएं कुछ इस प्रकार है—
(1) भौतिकवाद की विशेषता
पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति में अध्यात्मवाद का अधिक स्थान नहीं है। इस अवधारणा के अनुसार व्यक्ति को इहलोक के जीवन को सुखी बनाने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए। उसे परलोक की चिंता नहीं करनी चाहिए। इसलिए भौतिक बात पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता मानी जाती है।
(2) सामूहिक भावना का अभाव
पश्चिमीकरण की भौतिकवादी विचारधारा के परिणाम स्वरुप व्यक्ति स्वार्थी हो गया है। वह अपनी स्वार्थ की सिद्धि करने के लिए ही कार्य में व्यस्त रहता है। उसमें सामूहिक हितों का अभाव पाया जाता है। इस प्रकार, पश्चिमीकरण व्यक्तिवाद को प्रोत्साहन देता है और सामूहिक हितों की उपेक्षा करता है।
(3) नगरीकरण व औद्योगिकरण
पश्चिमीकरण की भौतिकवादी प्रवृत्ति के कारण पश्चिमी देशों में भोग विलास की वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए उद्योग धंधों का विकास हुआ है। इस विकास के परिणाम स्वरुप वहां पर नगरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इस दृष्टि से औद्योगिकरण तथा नगरीकरण भी पश्चिमीकरण के प्रमुख लक्षण है।
(4) मौलिक अधिकारों को मान्यता
पश्चिमीकरण की धारणा में समातावाद की मान्यता निहित है अर्थात उसमें सभी व्यक्तियों को समान माना गया है। इसलिए पश्चिमीकरण के कारण व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करने पर बल दिया जाता है। इस दृष्टि से पश्चिमीकरण के अंतर्गत मौलिक अधिकारों को मान्यता दी गई है।
(5) शिक्षा प्रसार की विविध योजनाएं
पश्चिमीकरण के अंतर्गत भौतिकवाद वह व्यक्तिवाद को प्रोत्साहन दिया जाता है। अतएव इस भावना में व्यक्ति को शिक्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं का निर्माण किया जाता है। शिक्षा के विभिन्न स्थानों को प्रभावित किया जाता है। इन इस तरह से गुजरा हुआ व्यक्ति साहित्यिक तथा वैज्ञानिक एवं प्राविधिक क्षेत्र में उन्नति करता है।
(6) यातायात के साधनों पर बल
पश्चिमीकरण की भावना समाज की गतिशीलता में विश्वास रखती है। इस भावना के अंतर्गत व्यक्ति को एक ही स्थान से नहीं चिपका रहना चाहिए, बल्कि उसकी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सभी संभव एवं उपयुक्त स्थान पर जाने में संकोच नहीं करना चाहिए। इसीलिए पश्चिमीकरण में यातायात के साधनों के विकास पर बल दिया जाता है।
(7) यौन संबंधों में स्वतंत्रता
पश्चिमी संस्कृति में यौन संबंधों पर अधिक प्रतिबंध नहीं होते हैं। विवाह के संबंध में विशेष निषेध भी प्रचलित नहीं है। विवाह में स्थायित्व भी अपेक्षाकृत कम होता है। इसी संस्कृति से प्रभावित होकर भारतीय समाज में भी यौन संबंधों में स्वतंत्रता बढ़ती जा रही है।
(8) विवाह संस्कार में सरलता
पश्चिमीकरण की मुख्य विशेषता यह है कि विवाह के संबंध में विभिन्न प्रकार के निषेधों का अभाव पाया जाता है। व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार चाहे जहां विवाह कर सकता है। विवाह संबंधों की यह स्वतंत्रता पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता है।
(9) स्त्रियों और पुरुषों में समान अधिकार
पश्चिमीकरण की प्रक्रिया में स्त्रियों व पुरुषों में सामान अधिकार की भावना पाई जाती है। स्त्रियों को भी पुरुषों की भांति सभी क्षेत्रों में काम करने की स्वतंत्रता होती है।
(10) विवाह विच्छेद की स्वतंत्रता
पश्चिमी संस्कृति में पत्नी पति की दासी नहीं है। वह पति के व्यवहार से असंतुष्ट होकर किसी भी समय विवाह विच्छेद कर सकती हैं। पश्चिमी देशों में विवाह विच्छेद की दर निरंतर बढ़ती जा रही है। इसीलिए विवाह विच्छेद की स्वतंत्रता भी पश्चिमीकरण की एक प्रमुख विशेषता बन गई।
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