नगरीकरण की प्रक्रिया
उद्योग धंधों का विकास हो जाने के कारण जब ग्राम की जनता आजीविका की खोज एवं उन्नत जीवन की आशा से ग्रामीण समुदायों को छोड़कर नगरों की ओर चलने लगती है तो नगरीय जनसंख्या बढ़ने लगती है। इसी को समाजशास्त्र में नगरीकरण के नाम से पुकारा (जिना) जाता है। दूसरे शब्दों में, नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया का नाम है जिसमें व्यक्ति नगरों में जाकर निवास करने लगते हैं। इस प्रकार, नगरीकरण का अर्थ ‘नगरों के विकास’ से लिया जाता है।
नगरीकरण का अर्थ और परिभाषा
कुछ प्रमुख विद्वानों द्वारा प्रतिपादित नगरीकरण की परिभाषाएं कुछ इस प्रकार है—
एंडरसन के अनुसार— “साधारण रूप में नगरीय विकास के सुंदर रूप में ही नगरीकरण शब्द का उपयोग किया जाता है और इसका अर्थ होता है कि (1) व्यक्तियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र से नगरी आवास की ओर बढ़ना तथा (2) व्यक्तियों द्वारा कृषि कार्य के स्थान पर गैर कृषि कार्यों का ग्रहण करना।”
श्रीनिवास के अनुसार— “नगरीकरण से अभिप्राय केवल संकुचित क्षेत्र में अधिक जनसंख्या से नहीं होता, बल्कि सामाजिक आर्थिक संबंधों में परिवर्तन से होता है।”
बर्गेल के अनुसार — “हम ग्रामीण क्षेत्र को नगरीय क्षेत्रों में बदलने की प्रक्रिया को ही नगरी करण कहते हैं।”
इन सभी उपयुक्त परिभाषाओं द्वारा नगरीकरण की अवधारणा स्पष्ट हो जाती है। अब हम यह कह सकते हैं कि नगरीकरण सामाजिक परिवर्तन की एक जटिल प्रक्रिया है। जिसके माध्यम से नगरी तत्व या शहरीपन का विकास एवं प्रसार होता है। मुख्य नगरी तत्व कुछ इस प्रकार है—
(1) औपचारिक एवं जटिल सामाजिक संबंध
(2) जनसंख्या एवं जन घनत्व वृद्धि
(3) सामाजिक गतिशीलता एवं अत्याधुनिकता
(4) सांस्कृतिक विविधता एवं व्यक्तिवादी जीवन दर्शन।
नगरीकरण के कारण
भारत में नगरीकरण के प्रमुख कारण
(1) यातायात साधनों का विकास का होना
प्राचीन युग में यातायात के साधनों का विकास नहीं हुआ था, अतः नगरों की स्थापना की गति मंद थी। किंतु आधुनिक युग में आविष्कारों की गति तीव्र हो जाने से यातायात के साधनों में विकास हुआ जिसे जनसंख्या के आवागमन की सुविधाओं में वृद्धि हुई और नगरों का विकास हुआ।
(2) जनसंख्या में वृद्धि
आधुनिक युग में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो गई है। यदि बड़ी हुई जनसंख्या अपनी आजीविका के साधनों की खोज में इधर-उधर नगरों में जाकर बस गई। इससे नगरीकरण की प्रवृत्ति को और भी अधिक प्रोत्साहन मिला है। नगरीकरण के साथ जनसंख्या में वृद्धि होती है क्योंकि लोग शहरों में नौकरी, शिक्षा और अन्य सुविधाओं के लिए आते हैं।
(3) औद्योगिकरण के कारण
विविध वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण उद्योग धंधों का तीव्रता से विकास हुआ है। क्योंकि विविध उद्योग धंधों की स्थापना नगरों में ही हुई अतः नगरीकरण की प्रवृत्ति में वृद्धि होना स्वाभाविक ही है। औद्योगिकरण नगरों में उद्योगों की स्थापना करता है जो रोजगार सृष्टि करते हैं। इसके परिणामस्वरूप लोग अधिकतम शहरों की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे नगरों की जनसंख्या में वृद्धि होती है।
(4) संचार साधनों का विकास
उद्योग धंधों का विकास हो जाने से संचार साधनों की विभिन्न प्रौद्योगिकी का विकास हुआ। इन यंत्रों में विभिन्न स्थानों को एक दूसरे से संबंध कर दिया है। इससे नगरों के विकास को भी प्रोत्साहन मिला है।
(5) शिक्षा के क्षेत्र में विकास
शिक्षा के क्षेत्र में विकास हो जाने से सभ्य समाज का विकास हुआ। इस सभी समाज में ही नगरों का विकास हुआ। आधुनिक युग में शिक्षण संस्थाएं ज्ञान का केंद्र बनी और इधर-उधर से विद्यार्थी आकर इन शिक्षण संस्थानों में शिक्षण ग्रहण करने लगे। इस प्रकार बहुमुखी शिक्षा का भी नगरीकरण के प्रोत्साहन में पर्याप्त योगदान रहा है।
(6) मनोरंजन के साधनों में वृद्धि
व्यवसायों में वृद्धि हो जाने से मनोरंजन के साधनों में भी वृद्धि हो गई है। सिनेमा हॉल, थिएटर आदि मनोरंजन के साधनों के द्वारा नगरों का विकास हुआ है।
(7) अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का विकास
आधुनिक युग में वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण विश्व के समस्त स्थान पारस्परिक रूप से सम्बद्ध हो गए हैं। इन स्थानों के मिलने से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बड़ा है तथा बड़े-बड़े नगरों का विकास हुआ है। नगरीकरण से शहरों में विभिन्न भूमि संसाधनों का प्रबंधन बेहतर होता है, जिससे शहरों को आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता मिलती है और वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
(8) नवीन आर्थिक संगठनों का जन्म
उद्योग बांधों का विकास हो जाने से नवीन आर्थिक संगठनों का विकास हुआ है। इन आर्थिक संगठनों के कार्यालय समानता या नगरों में ही स्थापित हुए हैं। श्रमिकों के विभिन्न संगठन स्थापित हुए हैं। इन संगठनों का प्रचार व प्रसार भी नगरों से ही हुआ है।
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