लॉर्ड क्लाइव का जीवन चरित्र | जीवन तथा सफलताओं का मूल्यांकन

लॉर्ड क्लाइव का चरित्र

lord Clive ka Charitra ; लार्ड क्लाइव ब्रिटिश इंडिया कंपनी के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी और ब्रिटिश राजा के पहले ब्रिटिश भारत गवर्नर-जनरल थे। वह ब्रिटिश इंडिया कंपनी के सेना में सेवा करने के बाद भारत में राजा के प्रति शक्तिशाली पदों पर आए और इस प्रकार उन्होंने भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना की। उनका प्रमुख कार्यक्षेत्र दक्षिण भारत में था, और उन्होंने ब्रिटिश प्रभाव को मजबूत किया और ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डालीं। उन्होंने 18वीं सदी के प्रारंभ में भारत में ब्रिटिश सत्ता को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लॉर्ड क्लाइव का मूल्यांकन

एक वीर सैनिक होने के अतिरिक्त लार्ड क्लाइव एक महान सेनापति तथा एक कुशल राजनीतिज्ञ भी था। अनेक विद्वान उसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक भी मानते हैं।

(1) लार्ड क्लाइव एक महान राजनीतिज्ञ के रूप में  

क्लाइव एक अत्यंत चतुर राजनीतिज्ञ के साथ। यदि सन 1765 ईस्वी में लाइव ने अंग्रेजी साम्राज्य की सीमाओं का और अधिक विस्तार कर लिया होता तो इसमें तनिक भी संदेह नहीं की सुरक्षा की समस्या और भी विकट रूप धारण कर लेती। उसने इलाहाबाद की संधि के उपरांत अवध के राज्य को सिराजुद्दौला को प्रभावित करके तथा मुगल सम्राट शाह आलम की वार्षिक पेंशन करके, अत्यंत दूरदर्शिता का परिचय दिया। उसकी अवध के राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य तथा मैराथन के राज्य के बीच एक मध्यवर्ती राज्य बनाए रखने की नीति 1856 तक सफलतापूर्वक कार्य करती रही। यह लार्ड क्लाइव के एक सफल राजनीतिज्ञ होने का ही प्रमाण है।

(2) लॉर्ड क्लाइव एक वीर तथा साहसी सैनिक 

रॉबर्ट क्लाइव एक वीर तथा साहसी सैनिक था। इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री के अनुसार वह ‘जन्मजात सेनापति’ था। उसने अपने दृढ़ निश्चय तथा अथक परिश्रम से एक लिपिक के पद से उन्नति करके सर्वोच्च पद को प्राप्त किया। उसमें परिस्थितियों को समझने की अद्भुत क्षमता थी तथा वह अपने लक्ष्य को सामने रखकर दृढ़ निश्चय से उसे प्राप्त करने का प्रयास भी करता था। उसने प्रत्येक अवसर पर विजय प्राप्त करने में अपनी विलक्षण प्रतिभा तथा सैनिक योग्यता का परिचय दिया।

(3) क्लाइव एक प्रशंसक के रूप में 

एक वीर योद्धा तथा महान सेनानायक होने के साथ-साथ क्लाइव एक योग्य प्रशंसक भी था। उसने कंपनी की प्रशासनिक व्यवस्था के अनेक देशों को दूर करने का प्रयास किया। उसने भेंट, उपहार आदि स्वीकार करने, निजी व्यापार आदि को रोकने तथा कंपनी के कर्मचारियों के वेतन वृद्धि के लिए प्रयास किया। उसने कंपनी के उपांग तथा असहाय कर्मचारियों तथा सेवा काल में मरने वाले कर्मचारियों की विधवा पत्नियों के लिए तथा उनके बाल बच्चों की सहायतार्थ एक ‘सहायता फंड’ स्थापित किया। डाक सेवा अथवा व्यवस्था को प्रारंभ करने का श्रेय क्लाइव को ही जाता है। इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुधार सैनिकों के दोहरे भत्ते की समाप्ति तथा उनके द्वारा किए जाने वाले विद्रोह का दृढ़ता पूर्वक सामना करने में है।

(4) क्लब के चरित्र में दोष के रूप में 

इन सब बातों के बावजूद का क्लाइव का चरित्र पूर्ण रूप से दोष रहित नहीं था। डाडवैल का कथन है, “उसके चरित्र का सबसे बड़ा दोस्त यह था कि उसकी नैतिक भावनाओं के प्रति अवहेलना की भावना, जिसके कारण उसने अनेक ऐसे कार्य किया तथा उनका समर्थन किया जिसका कि उसने अपने कार्यकाल में परिवर्तन करना उचित नहीं समझा।”,

क्लाइव अत्यंत लालची था और अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए वह अनैतिक कार्य भी कर सकता था। उसने कपट पूर्ण नीति से प्लासी के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। उसे युद्ध के उपरांत उसने मिर्जापुर को बंगाल का नवाब बनाने के बदले एक विशाल धनराशि उपहार स्वरूप स्वीकार की तथा कालांतर में जब उसने लगभग 30000 पाउंड वार्षिक आय की जागीर पर भी अधिकार कर लिया, एक व्यापारिक समिति का गठन करके उसे नमक, सुपारी तथा तंबाकू के व्यापार का एक अधिकार देकर और कलंदर में प्राप्त होने वाले लाभ को अपने तथा उच्च अधिकारियों में वितरण करना उसकी लालची भावना का स्पष्ट उदाहरण है। वाटसन के जाली हस्ताक्षर बनाना तथा उम्मीद चांद को 30 लाख पॉड देने का आश्वासन देकर उसके साथ धोखा करना उसके चरित्र पर एक गहरा दाग है।

विद्वानों का गठन यह भी है कि, “बंगाल की जनता के विनाश का उत्तरदायित्व लाइव पर ही है। भ्रष्टाचार, दमन तथा कुशल जिसके नीचे हुए वर्षों तक करहाते रहे, बहुत अंशों तक उसी के कारण था।”

अंग्रेजी साम्राज्य के संस्थापक लाइव

अब बात करते हैं लॉर्ड क्लाइव के बारे में इस कथन पर कि, “अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक लॉर्ड लाइव है।”

★ यह तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि लॉर्ड क्लाइव ने एक सच्चे देश प्रेमी की भांति अपने देश की महान सेवा की। उसने कंपनी के महत्व और गौरव में और साधारण वृद्धि करके उसे एक व्यापारिक कंपनी से राजनीतिक शक्ति के रूप में परिवर्तित कर दिया। यथार्थ में भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक क्लाइव ही था। एक वीर तथा महान सेनानायक होने के अतिरिक्त क्लाइव एक अत्यंत चतुर तथा कुशल प्रशासक तथा राजनीतिकज्ञ भी था। उसने अपने धैर्य, साहस सहनशक्ति तथा परिश्रम से भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की आधारशिला रखी।

 पी० ई० रोबोट के अनुसार— “लॉर्ड क्लाइव भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का वास्तविक निर्माता था।” इसी प्रकार डॉक्टर ईश्वरी प्रसाद का यह कथन है कि, “अंग्रेजन तथा कंपनी के लिए वह फ्रांसीसियों के विरुद्ध उनका रक्षक तथा उनका भाग्य निर्माता था। यह वही था जिसने कभी कंपनी को एक व्यापारिक प्रतिष्ठान से प्रादेशिक सत्ता में परिवर्तित कर दिया, यह वही था जिसने भारत में उसके साम्राज्य का निर्माण प्रारंभ किया।”

★ चाहे हम उसकी विजयों पर दृष्टिपात करें अथवा उसके सुधारो पर, हर दिशा में वह हमें अंग्रेजी साम्राज्य के आधारशिला सुदृढ़ करता हुआ दिखाई देता है। लॉर्ड क्लाइव नहीं हॉलैंड और फ्रांस जैसी शक्तिशाली विदेशी शक्तियों को भारत में सदा के लिए शक्तिहीन कर दिया और उसने ही भारतीय शक्तियों को यह सोचने के लिए बाद ही किया कि उन्हें अंग्रेजों की शक्ति का सम्मान करना होगा। यह उसी के परिश्रम तथा दूरदर्शिता का ही परिणाम था कि कर्नाटक के दूसरे युद्ध में अंग्रेजों की संभावित हार विजय में परिवर्तित हो गई और कर्नाटक पर अंग्रेजों का प्रभाव स्थापित हो गया।

डा० मजूमदार ने क्लाइव के महत्वपूर्ण कार्यों को ध्यान में रखते हुए यह कहा था, “युद्ध तथा शांति में समान रूप से महान उसके नाम को ब्रिटिश सेनापतियों तथा प्रशंसकों जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया उसकी सूची में उसे प्रमुख स्थान प्राप्त है।” 

★ इसी प्रकार अंग्रेजी राजनीतिज्ञ वर्क ने उसके संबंध में यह कहा है कि, ‌“उसने सुधार शिला रखी। जब क्लाइव ने तलहीन गहरे जल को पाया तो उसने अपने उत्तराधिकारियों के लिए एक पुल छोड़ जिस पर लगड़ा व्यक्ति पहिए के समान घूम सकता था, अंधा व्यक्ति अंधेरे में अपना मार्ग ढूंढ सकता था।”

इसी प्रकार उसके संबंध में लॉर्ड मैकाले ने कहा है, “इंग्लैंड ने कदाचित ही कभी युद्ध भूमि और विचार भवन दोनों स्थानों पर वस्तुतः हो उससे अधिक महान व्यक्ति को जन्म दिया हो।”


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

रॉबर्ट क्लाइव भारत कब आया था?

रॉबर्ट क्लाइव पहली बार भारत आए थे 1744 में। उन्होंने बार-बार भारत यात्रा की और ब्रिटिश इंडिया कंपनी के सेना अधिकारी के रूप में उनकी कई योजनाएं और सफलताएं थीं।

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक किसे माना जाता है?

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के संस्थापक लॉर्ड क्लाइव को माना जाता है।

लॉर्ड कलाई भारत में अंग्रेज साम्राज्य का वास्तविक निर्माता था। यह कथन किसी विद्वान का है?

पी० ई० रॉबर्टस।

रॉबर्ट क्लाइव को बंगाल का गवर्नर कब बनाया गया?

रॉबर्ट क्लाइव को बंगाल का गवर्नर 1757 में बनाया गया।

लॉर्ड क्लाइव का मूल्यांकन कीजिए?

लॉर्ड क्लाइव का मूल्यांकन - एक वीर सैनिक होने के अतिरिक्त लार्ड क्लाइव एक महान सेनापति तथा एक कुशल राजनीतिज्ञ भी था। अनेक विद्वान उसे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक भी मानते हैं।

1764 में बंगाल का गवर्नर कौन था?

1764 में बंगाल का गवर्नर रॉबर्ट क्लाइव था। उन्होंने बक्सर के युद्ध (1764) में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के साथ मिलकर मीर कासिम के साथी नवाब सिराजु-दौला को हराया था। इससे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव और बढ़ गया और वे बंगाल के गवर्नर-जनरल के रूप में उपनियुक्त हुए।

लॉर्ड क्लाइव कौन था?

लार्ड क्लाइव ब्रिटिश इंडिया कंपनी के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी और ब्रिटिश राजा के पहले ब्रिटिश भारत गवर्नर-जनरल थे। वह ब्रिटिश इंडिया कंपनी के सेना में सेवा करने के बाद भारत में राजा के प्रति शक्तिशाली पदों पर आए और इस प्रकार उन्होंने भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना की।

रॉबर्ट क्लाइव की मृत्यु कैसे हुई?

रॉबर्ट क्लाइव की मृत्यु 1774 में हुई थी। उनकी मृत्यु का कारण स्वास्थ्य संबंधित था। उन्हें इंग्लैंड में एलडर्न के निकट क्लेकनवेल, श्रेष्ठ इल्फोर्ड में 22 नवंबर 1774 को गल ब्लैडर कैंसर के कारण मौत हो गई।

Post a Comment

और नया पुराने
Join WhatsApp