लोक प्रशासन का क्षेत्र एवं दृष्टिकोण

लोक प्रशासन का क्षेत्र तथा दृष्टिकोण

lok prashasan ka Kshetra AVN drishtikon ; लोक प्रशासन एक बहुपक्षीय शास्त्र है जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है जो लोगों के बीच सार्वजनिक और निजी तंत्रों के माध्यम से होती हैं। लोक प्रशासन का क्षेत्र बहुत व्यापक है और इसमें विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता शामिल है। 

लोक प्रशासन का क्षेत्र एवं दृष्टिकोण

लोक प्रशासन का क्षेत्रो का अध्ययन 

(1) कार्यपालिका के कार्यों का अध्ययन 

लोक प्रशासन, प्रशासन का वह अंग है जिसके अंतर्गत कार्यरत कार्यपालिका के कार्यों का अध्ययन किया जाता है। कार्यपालिका से यहां तात्पर्य कार्यपालिका की समस्त असैनिक क्रियाओं से है। वास्तविक रूप में राष्ट्रीय, राज्यीय एवं स्थानीय प्रत्येक प्रकार की प्रशासन के लिए कार्यपालिका उत्तरदाई रहती है।

(2) संगठनात्मक समस्याओं का अध्ययन 

लोक प्रशासन इसका भी अध्ययन करता है कि विभिन्न प्रशासन संबंधी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने एवं वंचित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सेवाओं को किस प्रकार से संगठित किया जाए। लोक प्रशासन में  असैनिक सेवाओं की विभिन्न सूत्र, उसकी संगठन तथा क्षेत्रीय संगठनों का व्यापक अध्ययन किया जाता है।

(3) राज्य संबंधी उद्देश्यों एवं साधनों का अध्ययन 

लोक प्रशासन के अंतर्गत सरकार के राज्य संबंधी क्या उद्देश्य हैं एवं वह उन उद्देश्यों के पूर्ति के लिए किस प्रकार के साधनों का प्रयोग करती है, इसका अध्ययन किया जाता है।

(4) प्रशासनिक अधिकारियों की समस्याओं का अध्ययन 

 लोक प्रशासन में प्रशासनिक कार्यों को सुधार रूप से चलने हेतु सेविवर्ग की आवश्यकता होती है। इसलिए लोक प्रशासन के क्षेत्र में पदाधिकारी की भर्ती, परीक्षण, सेवाओं की दशा, अनुशासन कर्मचारी संघ आदि समस्याओं का गहनता से अध्ययन किया जाता है।

(5) सामान्य प्रशासन का अध्ययन 

लोक प्रशासन, प्रशासन की सभी समस्याओं से संबंधित रहता है। उसके क्षेत्र के अंतर्गत प्रशासनिक नीतियां, लक्ष्य निर्धारण, प्रशासन के ऊपर निर्देशन, निरीक्षण तथा नियंत्रण आदि आते हैं।

(6) वित्तीय क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन 

 लोक प्रशासन के अंतर्गत वित्त संबंधी विभिन्न समस्याओं का भी अध्ययन किया जाता है जिसमें बजट, करारोपण आदि समस्याएं संबंधित है।

(7) सामग्री प्रदाय संबंधी समस्याओं का अध्ययन 

 लोक प्रशासन के अंतर्गत आने वाले विभिन्न सामग्री की खरीदारी, स्टोर करना और कार्य करने के यंत्र तथा साज सजा से संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

(8) प्रशासकीय उत्तरदायित्व का अध्ययन 

लोक प्रशासन के क्षेत्र के अंतर्गत प्रशासनिक अधिकारियों के उत्तरदायित्व एवं उनके कार्यों का अध्ययन किया जाता है। प्रशासक को किस प्रकार का आचरण करना चाहिए तथा प्रशासनिक अधिकारी कार्यपालिका, जनता, विधायिका एवं न्यायपालिका के प्रति किस प्रकार उत्तरदाई हैं? इसका यथावत अध्ययन भी लोक प्रशासन के अंतर्गत किया जाता है। 

लोक प्रशासन के क्षेत्र से संबंधित विभिन्न दृष्टिकोण

लोक प्रशासन के क्षेत्र से के संबंध में प्रमुख रूप से चार दृष्टिकोण प्रचलित है जो कुछ इस प्रकार हैं—

(1) व्यापक दृष्टिकोण

व्यापक दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले विद्वानों का मानना है कि लोक प्रशासन के अंतर्गत व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के कार्य आते हैं। इस दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले विद्वानों में एल्डिहाइड, मार्क्स, विलोबी, साइमन आदि का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। 

(2) संकुचित दृष्टिकोण

इसी दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन से अभिप्राय केवल कार्यपालिका शाखा से है। संक्षेप में संकुचित दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन में कार्यपालिका के संगठन, उसकी कार्य प्रणाली एवं कार्य पद्धति का अध्ययन किया जाना चाहिए।

(3) पोस्टकोर्ब में दृष्टिकोण 

इसी दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन, प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। सिद्धांत की पूर्ण व्याख्या लूथर गुलिक द्वारा की गई है।

 इसके अतिरिक्त जिन महत्वपूर्ण तथ्यों का विवेचन किया है वह पोस्टकोर्ब के नाम से प्रसिद्ध है। पोस्टकोर्ब (POSDCORB) के अंग्रेजी के प्रत्येक अक्षर का अर्थ निम्न प्रकार है—

 P- Planning (नियोजन) - योजना बनाना अर्थात इसके अंतर्गत उन समस्त तथ्यों की रूपरेखा के संबंध में व्यापक रूप से विचार किया जाता है जिन्हें हमको करना चाहिए। लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए साधनों पर भी विचार किया जाता है।

O- Organization (संगठन) -इसमें हम संगठन के आधार, कइयों का विभाजन तथा उप विभाजन के संबंध में अध्ययन करते हैं।

S- Staffing (कार्मिक संगठन) - इसका संबंध लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कुशल कर्मचारियों की खोज तथा उनकी नियुक्ति से है।

D- Direction (निर्देशन) - इसका अभिप्राय शासन संबंधी निर्णय करना तथा उनके अनुरूप कर्मचारियों को विशिष्ट एवं सामान्य आदेश एवं सूचनाएं देना है।

C- Co-ordination (समन्वय) - इसका अर्थ कार्य की विविध अंगों को परस्पर संबंध करना और उनमें समन्वय स्थापित करना है अर्थात परस्पर व्याप्ति तथा संघर्ष को बचाना है।

R- Reporting (प्रतिवेदन) - प्रशासकीय कार्यों की प्रगति के विषय में इन लोगों को सूचना देना है, जिनके प्रति कार्यपालिका उत्तरदायी है तथा निरीक्षण, अनुसंधान, अभी लेखन आदि द्वारा इस प्रकार की सूचनाओं का संग्रह करना भी है।

B- Budgeting (बजट तैयार करना) - इसके अंतर्गत हम वित्त व्यवस्था का संक्षिप्त अध्ययन करते हैं। विशेष रूप से इसका संबंध बजट तैयार करने से है।

(4) लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण

इस दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले विद्वानों ने लोक प्रशासन को कल्याणकारी प्रशासन माना है। उन्होंने राज्य एवं लोक प्रशासन में कोई अंतर न करते हुए इन्हें एक माना है। उनका मानना है कि आधुनिक राज्य लोक कल्याणकारी है। अतः लोक प्रशासन भी लोक कल्याणकारी है।

निष्कर्ष (conclusion)

यह कहा जा सकता है कि आधुनिक युग में लोक प्रशासन की क्रियो का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक हो गया है। आधुनिक लोक कल्याणकारी विचारधारा की प्रगति के साथ-साथ इसके क्षेत्र में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। लोक प्रशासन के अंतर्गत सरकार के विभिन्न अंग, उसका संगठन एवं उसके क्रियाकलापों आदि का अध्ययन किया जाता है तथा इसके क्षेत्र में पोस्टकोर्ब द्वारा दी गई नीतियों का भी अध्ययन होता है। संक्षेप में, लोक प्रशासन का विशेष क्षेत्र सदा एवं समय के साथ विस्तारशील है।

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