लोक निगम के लाभ तथा हानियां
(गुण एवं दोष)
लोक अथवा सार्वजनिक निगम के लाभ
लोक निगम के लाभ ; आधुनिक युग में विश्व के प्रत्येक देश में लोक निगम व्यवस्था है। आधुनिक सरकारी नौकरी निगम को अन्य संगठन की अपेक्षा अधिक मात्रा में अपने पर बोल दे रही है क्योंकि इस व्यवस्था से अनेक लाभ होते हैं। लोग निगम के लाभों को विभिन्न प्रकार से देखा जा सकता है जो की कुछ इस प्रकार है—
(1) राजनीतिक दबाव से स्वतंत्रता
लोक निगम राजनीति के दुष्प्रभाव से मुक्त होते हैं क्योंकि इनके संचालन और प्रबंध की व्यवस्था सरकारी प्रबंध से पृथक होती है। मंत्री अपने विभागों के कार्य संचालन में जैसा राजनीतिक दबाव डाल सकते हैं, वैसा स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले निगम में नहीं डाला जा सकता है।
(2) प्रशासनिक स्वायत्ता एवं स्वतंत्रता
लोक निगम सरकारी विभागों की भारतीय नियमों से बधे नहीं होते हैं। उन्हें स्वतंत्रता प्राप्ति होती है तथा लोक निर्गमन की वित्तीय व्यवस्था सरकारी बजट से पृथक रहती है। लोक निगम अपने कार्य संचालन में नियमों से मुक्त होते हैं। अतः यह अपने दैनिक कार्य अधिक तेजी से करते हैं। लोक निगम अपने दैनिक कार्यों में मंत्रियों और सचिवों के नियंत्रण से भी मुक्त रहते हैं। अतः सीक्रेट एवं स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करते रहते हैं।
(3) आर्थिक कार्यक्रमों में सुविधा
लोक निगमन का यह भी एक महत्वपूर्ण लाभ है की सरकार को व्यापारिक क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से प्रविष्ट हुए बिना अपनी आर्थिक नीतियों को क्रियान्वित करने का अवसर प्राप्त हो जाता है। लोक निगमें उत्पाद और सेवाएं सस्ती में उपलब्ध कराई जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता के उत्पादों और सेवाओं का लाभ होता है।
(4) संचालन में सुविधा
लोक निगमन का संचालन निजी उद्योग की भांति ही किया जाता है। इसमें कर्मचारियों को सराहनीय कार्य करने पर शीघ्र पदोन्नति प्राप्त होती है जिससे कार्य कुशलता में वृद्धि होती है।
(5) आर्थिक क्षेत्र में मितव्ययिता
लोक निर्गमन के कारण आर्थिक क्षेत्र में दक्षता तथा मितव्ययिता उत्पन्न होती है। लोक निगमों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता कल्याण है, और इसके लिए उन्हें आर्थिक क्षेत्र में मितव्ययिता का ध्यान रखना होता है। इन्हें लाभ प्रदान करने का कारण बनाया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता और सस्ती में सामान और सेवाएं मिलती हैं।
(6) क्षेत्रिय विकास
लोक निगम अक्सर विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित होते हैं और इनका उद्देश्य स्थानीय विकास को प्रोत्साहित करना होता है। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को समर्थन मिलता है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने में मदद करता है।
इस प्रकार से लोक निगमन से सरकार को लाभ अनेक होते हैं क्योंकि इससे आर्थिक क्षेत्र में कुशलता की वृद्धि होती है तथा कार्य में विलंब नहीं होता है।
लोक अथवा निगम की हानियां
लोक निगम की हानियां ; और अब बात करते हैं लोग निर्गमन की हानियों के बारे में, जहां लोक निगम से सरकार को एक लाभ है वही लोग निगम से अनेक प्रकार के हानियां भी हैं। इसमें अनेक दोष भी पाए जाते हैं। लोक निर्गमन के हानियां को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है जो कुछ इस प्रकार है—
(1) वित्तीय समस्या
निर्गमन की स्वतंत्रता और संसदीय नियंत्रण के अभाव के फल स्वरुप सरकारी निगमन में न केवल अकार्य कुशलता पनपती है बल्कि आर्थिक अनियमिताएं भी बनती हैं। गलन की समस्या भी अधिक रहती है और जनसाधारण की परिश्रम की कमाई का दुरुपयोग होता है। जिसके कारण लोग निगम अपने निश्चित उद्देश्यों को भूलकर स्वास्थ्य पूर्ति में लग जाते हैं। लोक निगम जनकल्याण से विमुख होकर अधिकारियों की स्वास्थ्य पूर्ति का साधन मात्र बन जाते हैं। इसीलिए यह आपसे खुल जाता है कि धन की व्यय पर किसी न किसी प्रकार का नियंत्रण आवश्यक होना चाहिए।
(2) क्षेत्राधिकार की समस्या
लोक निगम की जिस समय स्थापना की जाती है उसका कार्य क्षेत्र एवं अधिकारों को सुनिश्चित कर दिया जाता है। परंतु फिर भी कभी-कभी सरकार और लोक निगम में क्षेत्राधिकार की समस्या उत्पन्न हो जाती है। लोक निगमें कार्यक्षमता में कमी हो सकती है, क्योंकि यहां प्रतिबंधितता और सार्वजनिक सेक्टर की विशेष आवश्यकताओं के कारण कुछ समय तक कार्य को स्थगित किया जा सकता है।
(3) मंत्रियों व निगम के बीच संघर्ष
यदि फिर लोक निगम अपने दैनिक व आंतरिक प्रशासन में मंत्रियों के नियंत्रण से मुक्त रहते हैं परंतु उनकी नीतियों का निर्धारण मित्रों के द्वारा किया जाता है। दैनिक प्रशासन और नीति निर्धारण में स्पष्ट रेखा खींचना कठिन होता है। इसीलिए कई बार मंत्री तथा निगम के बीच संघर्ष चलता रहता है।
(4) निगमों की अधिक स्वतंत्रता हानिकारक
सरकारी निगमन को अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है। जिससे अधिक स्वतंत्रता प्राप्त करके तथा संसदीय नियंत्रण से मुक्त होकर वह अपने कर्तव्यों की अपेक्षा करते हैं। इन निगमन में जितनी संपत्ति लगाई जाती है, उसका पूरा-पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
(5) सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति से कार्यपालिका का हस्तक्षेप
लोक निगम का जिस समय निर्माण किया जाता है, इसका एक संचालक मंडल होता है। उसे संचालक मंडलों में सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति से कार्यपालिका का लोक निगम के कार्यों में हस्तक्षे से अधिक बढ़ने लगता है जिससे कार्य कुशलता में हानि पहुंचती है।
(6) निवेश और कार्यक्षमता में कमी
कुछ लोक निगम आर्थिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, जिससे उन्हें नए परियोजनाओं के लिए आवश्यक निवेश करने में कठिनाई हो सकती है, और इससे कार्यक्षमता में कमी हो सकती है।
इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि लोक निगम से सरकार को अनेक प्रकार की हानियां भी उठानी पड़ती है। लोक निर्गमन की स्वतंत्रता ही हानियों का प्रमुख कारण बनती है फिर भी लोक निगम से अनेक प्रकार के लाभ भी हैं इसके पक्ष में हर्बल मेडिसिन का कथन है कि, “सरकारी निगम सार्वजनिक लक्षण के लिए लोग स्वामित्व, लोक उत्तरदायित्व तथा व्यापार प्रबंधन का संयोजन है।”
एक टिप्पणी भेजें