लचीला या धमनीय संविधान
लचीले संविधान का अर्थ ; लचीला संविधान ऐसा संविधान होता है, जिसमें साधारण कानून के निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर ही संशोधन किया जा सकता है। ग्रेट ब्रिटेन का संविधान इस प्रकार की संविधान का उदाहरण है।
लचीले संविधान की परिभाषा
अमेरिकन विद्वान सेट ने लचीले संविधान को परिभाषित करते हुए लिखा है, “लचीले संविधान में संवैधानिक विधि तथा साधारण विधि एक ही स्तर पर होती है, इस अर्थ में दोनों के निर्माण का एक ही ढंग होता है तथा दोनों के उद्गम का स्थान भी एक ही होता है।” लक्ष्मी संविधान के संबंध में गार्नर का कथन है, “लचीला संविधान वह है, जिसकी शक्ति एवं सत्ता साधारण कानून की अपेक्षा अधिक नहीं है और जो साधारण कानून के समान ही परिवर्तित किया जा सकता है, चाहे वह एक पर लेख अथवा अधिकांशतः परंपराओं के रूप में ही हो।”
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि नमनीय संविधान में साधारण कानून की भांति ही संशोधन किया जा सकता है।
लचीला संविधान के गुण
(1) परिवर्तनशील
लचीले संविधान का एक मुख्य गुण है कि यह परिवर्तनशील होता है, जिसका अर्थ है कि इसे समय के साथ साथ बदला जा सकता है। यह राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक परिस्थितियों के बदलते संदर्भों के अनुरूप हो सकता है तथा समाज की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार संविधानिक संशोधन करने की क्षमता होती है।लचीलेपन के कारण संविधान को देश की परिवर्तित परिस्थितियों के अनुसार सफलतापूर्वक परिवर्तित किया जा सकता है।
(2) विचारों का प्रतिबिंब
लचीले संविधान में विद्रोह या क्रांति की संभावना बहुत कम रहती है क्योंकि इसे जनता की इच्छा के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है। लॉर्ड ब्राइस के अनुसार, “लक्ष्मी संविधान को संकट का सामना करने के लिए झुकाया या मोड जा सकता है और जब संकटकाल का अंत हो जाता है तो वह पुनः अपनी पूर्व अवस्था में लौट आता है।” इस प्रकार स्पष्ट है की रचना संविधान राष्ट्रीय भावनाओं और विचारों को बहुत अच्छे ढंग से प्रतिबिंबित करता है।
(3) प्रगतिशील
लचीला संविधान एक प्रगतिशील संविधान होता है। अधिकारों का विस्तार, प्रगतिशील संविधान अधिकारों के विस्तार को प्रोत्साहित करता है ताकि नागरिकों को अपने अधिकारों का पूरा उपयोग करने में सहारा मिल सके।
(4) संकट काल के लिए उपयुक्त
लचीला संविधान आपातकाल के लिए बहुत उपयुक्त होता है। लचीले संविधान की एक अच्छी उदाहरण ब्रिटेन का संविधान है, जिसमें संविधानिक संशोधन को साधारित विधानिक प्रक्रिया के माध्यम से अनुकूलित किया जा सकता है।
(5) स्वतंत्रता का गुण
स्वतंत्रता लचीले संविधान के मुख्य गुणों में से एक है। इसका मतलब है कि इस संविधान को संविधानिक संशोधन करने के लिए आसानी से बदला जा सकता है। यह गुण एक देश के संविधान को समय के साथ बदलती स्थितियों और समाजिक जरूरतों के अनुरूप बनाए रखने में सहायक होता है। लचीला संविधान अधिकतर राजनीतिक नेताओं और नागरिकों को संविधानिक संशोधन करने में आत्मनिर्णय करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
लचीला संविधान के दोष
(1) अस्थिरता
नचले संविधान का पहला दोष यह है कि यह अस्थिर होते हैं। इनमें बहुत जल्दी-जल्दी परिवर्तन होते हैं। कभी-कभी तो परिवर्तनशीलता के कारण संविधान की मूल भावना ही नष्ट हो जाती है। अगर संविधान का बार-बारी संशोधन किया जाता है, तो इससे प्रशासनिक कठिनाई उत्पन्न हो सकती है। नए संविधानिक बदलावों को लागू करने के लिए सरकार को संविधान को पुनरीक्षित करने और नए कानूनी प्रक्रियाओं को स्थापित करने की आवश्यकता होती है, जिससे प्रशासनिक कठिनाई पैदा हो सकती है।
(2) असस्पष्टता
निकले संविधान का एक अन्य दोषी यह है कि उसकी अस्पष्टता है। नैतिक अस्पष्टता; संविधान में नैतिक असस्पष्टता के कारण, विशेष प्रावधानों का अनुपालन करना विभिन्न समयों और स्थानों पर अलग-अलग रूपों में हो सकता है। यह नैतिक मूल्यों और आदर्शों की स्पष्टता की कमी कर सकता है।
(3) दल बंदी को प्रोत्साहन
संविधान में बार-बार परिवर्तन होने के परिणाम स्वरुप देश में राजनीतिक दल बंदी को बढ़ावा मिलता है, जो राष्ट्रहित के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इसके तरीके लचीला संविधान प्रयोजन राजनीतिक दलों के हाथ का खिलौना बन जाता है। लार्ड ब्राइस के अनुसार, “लचीला संविधान सदैव परिवर्तित होने की दशा में रहता है।”
(4) शक्ति संपन्नता
ऐसे संविधान के अंतर्गत व्यवस्थापिका की शक्ति में वृद्धि होती जाती है, क्योंकि वह अपनी इच्छा के अनुसार संविधान में संशोधन कर सकती है। ऐसी स्थिति में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन की आशंका बढ़ जाती है।
(5) निश्चितता
लचीले संविधान से आता है कि लोग आनेवाले संविधानिक संशोधनों की अनिश्चितता के साथ रहते हैं। यह उन्हें संविधानिक नीतियों और कानूनों में निरंतर बदलाव के साथ जितना आन्तरिक असुरक्षित महसूस करा सकता है। लचीले संविधान के दोषों का सामना करने के लिए उचित नीतिगत निर्णय और सावधानी के साथ संविधानिक संशोधन की प्रक्रिया को प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है।
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