चार्टिस्ट आंदोलन क्या था? अर्थ, पृष्ठभूमि तथा कारण

 चार्टिस्ट आंदोलन  (chartist movement)

chartist aandolan ka Arth ; चार्टिस्ट आंदोलन का सूत्रपात एकदम अचानक से नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे अनेक तत्व थे जो पर्याप्त कल से चले आ रहे थे और जो अवसर पर अगर एक आंदोलन के रूप में परिणत हो गए। इस विषय में कार्लाइल कथन था, “चार्टिज्म की समस्या एक वजनदार समस्या थी। उसकी जड़ी दृढ़ता पूर्वक फैली हुई थी। यह अभी-अभी प्रारंभ होने वाला मसला नहीं था और ना यह आज या कल समाप्त हो जाने वाला मसला था।

चार्टिस्ट आंदोलन क्या था? अर्थ, पृष्ठभूमि तथा कारण

चार्टिस्ट आंदोलन की पृष्ठभूमि

औद्योगिक क्रांति ने श्रमिकों की दशा में जो असंतोष उत्पन्न कर दिया था वह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही गया था। एक और उनके वेतन की दी कम हो गई थी और दूसरी और खाद्य पदार्थों की मूल्य प्रतिदिन बढ़ते जा रहे थे। धनी को और निर्धनों के बीच खाई भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। ऐसी दशा में यह आवश्यक था कि कोई ऐसी शक्तिशाली आंदोलन छेड़ा जाए जिससे समकालीन राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक दोषों का सफलतापूर्वक निवारण किया जा सके। चार्टिस्ट आंदोलन की व्याख्या करते हुए एक विद्वान ने लिखा है, “चार्टिस्ट आंदोलन को एक ऐसा प्रयास कहा जा सकता है जिससे कि समकालीन, सामाजिक एवं आर्थिक दोषों के निवारण का प्रयास किया गया था। इसके द्वारा लोकसभा के संगठन को सुधारने का प्रयास किया गया और इस बात पर जोर दिया गया की 1832 के सुधार एक्ट के द्वारा प्रदान की गई समस्त सुविधाएं श्रमिक वर्ग को प्रदान की जाएं। चार्टिस्ट लोगों के अनुसार अन्य-विधान अनुचित था और राजनीतिक सत्ता श्रमिकों की होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में चार्टिस्ट लोगों ने संसदीय सुधार एवं श्रमिकों का राजनीतिक सत्ता पर अधिकार— दो मांगे पेश की। इस प्रकार यद्यपि जहां यह आंदोलन सामाजिक एवं आर्थिक था, वहां राजनीतिक भी था।” 

चार्टिस्ट आंदोलन के कारण

अब यह उठता है कि, इस आंदोलन के जन्म लेने के प्रमुख कारण क्या थे? यदि ध्यान पूर्वक देखा जाए तो हमें ज्ञात होगा कि निम्न कारणों ने इस आंदोलन को जन्म दिया— 

(1) औद्योगिक क्रांति (industrial Revolution)

इंग्लैंड के औद्योगिक क्रांति ने श्रमिकों की दशा अत्यंत संकटमय बना दी थी। मशीनों तथा विभिन्न नियंत्रण के प्रचलन से अनेक श्रमिक बेकार हो गए। ग्रामीण उद्योग एक प्रकार से पूर्णतया नष्ट हो गए, परिणाम स्वरुप श्रमिक वर्ग भाग कर नगरों में बसने लगे। इस प्रकार नगरों में श्रमिकों की संख्या बढ़ने लगी जिसे उन्हें प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गई, परिणाम स्वरुप श्रमिक दर भी दिन प्रतिदिन निम्न होने लगीं। श्रमिकों का जीवन स्तर निम्न होता चला गया। फलत: उनमें शिक्षा का प्रचार, आवास तथा सफाई की व्यवस्था तथा मताधिकार की समस्या को लेकर अनेक संस्थाएं निर्मित की गई। इस प्रकार हम देखते हैं कि चार्टिस्ट आंदोलन को जन्म देने में इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति का विशेष योगदान था।

(2) मजदूर वर्ग का कष्ट 

औद्योगिक क्रांति के अतिरिक्त और भी ऐसे कारण थे जिसे श्रमिक वर्ग की दशा और अधिक दयनीय हो गई। अनाज कानून (Corn Law) के करण भाव बढ़ गए। अनाजों के भाव बढ़ जाने से बड़े-बड़े जमीदारों को तो लाभ हुआ परंतु श्रमिक वर्ग दिन प्रतिदिन उसमें और अधिक पिस्ता (दबता) गया। एक और तो श्रमिकों की मजदूरी दिन प्रतिदिन घटती जा रही थी और तो दूसरी ओर अनाज के भाव बढ़ते जा रहे थे। परिणाम स्वरुप उनके लिए ठीक प्रकार से अपना पेट भरना भी कठिन हो गया था। दरिद्र विधान (Poor Law) ने उनकी स्थिति को और भी अधिक कमजोर बना दिया। धार्मिक क्षेत्र में चलने वाला एंग्लिकन लोगों के मध्य संघर्ष इस आलोचना के लिए भी लाभकारी सिद्ध हुआ। 

(3) 1832 ई० की सुधारो के प्रति श्रमिकों में असंतोष

1832 के सुधार बिल से श्रमिकों को कुछ भी नहीं मिला था। इस बिल के प्रति अपार रोष और असंतोष था। इस बिल को कानून का रूप दिलाने में श्रमिकों ने देश के मध्य वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें पूर्ण सहयोग प्रदान किया था परंतु इस बिल से केवल मध्यम वर्ग को ही लाभ मिला था। श्रमिक वर्ग में से अनेक जेल गए थे तथा उन्होंने उतनी कठिनाइयां झेली थी कि हाथ में कुछ नहीं आया। लार्ड रसेल‌ की इस घोषणा ने कि, “पार्लियामेंट सुधार के लिए, 1832 का अधिनियम अंतिम कदम था जो की सरकार जनता के लिए उठा सकती थी।” श्रमिकों को पूर्ण रूप से निराश कर दिया। उन्होंने देख लिया कि बिना शंकर से कुछ नहीं प्राप्त किया जा सकता।

(4) समाजवादी विचारधारा‌ (socialist ideology)

इस काल में इंग्लैंड में समाजवादी विचारधारा का विशेष बोलबाला था। राबर्ट ओवेल, टाइम्सन एटवुड तथा ओफेनेल जैसे बुद्धिजीवी नेताओं के प्रभाव से समाजवादी विचारधारा का इंग्लैंड में निषेध रूप से प्रचार हुआ। इन नेताओं ने श्रमिकों की दयनीय दशा को सुधारने के लिए सर्वप्रथम एक बौद्धिक आंदोलन छेड़ा। तत्पश्चात श्रमिक वर्ग को संगठित कर उनमें राजनीतिक चेतना भर दी। समाजवादी विचारधारा के प्रचार में इंग्लैंड की तत्कालीन परिस्थितियों ने भी योगदान दिया। विभिन्न परिस्थितियों के कारण धनवान लोग तो अधिकाधिक रूप से धनवान होते जा रहे थे और श्रमिकों की दशा दिन प्रतिदिन सोचनी होती जा रही थी जिस कारण इस आंदोलन का होना निश्चित हो गया।


important short questions and answers 

चार्टिस्ट आंदोलन का नेता कौन था?

चार्टिस्ट आंदोलन मजदूर वर्ग का आंदोलन था, जिसमें मुख्य नेता विलियम लोविट थे।

चार्टिस्ट आंदोलन फ्रांस में किस क्रांति के बाद हुआ था?

1840 की क्रांति के उपरांत।

1832 में सुधार अधिनियम कौन से देश में पारित हुआ था?

1832 में सुधार अधिनियम ब्रिटेन में पारित हुआ था।

चार्टिस्ट आंदोलन का मुख्य कारण क्या था?

चार्टिस्ट आंदोलन के मुख्य कारण— (1) औद्योगिक क्रांति (,2) समाजवादी विचारधारा (3) अनाज कानून।

चार्टिस्टों ने कब सर्वप्रथम संसद के समक्ष अपनी मांगों का आवेदन किया?

चार्ट स्टोन ने सर्वप्रथम संसद के समक्ष अपनी मांगों का आवेदन 1839 में किया।

चार्टिस्ट आंदोलन कब और कहां हुआ?

चार्टिस्ट आंदोलन 19वीं शताब्दी में ब्रिटेन में हुआ था।

चार्टिस्टों की कितनी मुख्य मांगे थी?

चार्टिस्टों की 6 मुख्य मांगे थी।

1832 का संसदीय सुधार अधिनियम किस देश में पारित किया गया?

1832 का संसदीय सुधार अधिनियम किस इंग्लैंड में पारित किया गया।

1832 ई० का सुधार अधिनियम पास होने के समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री कौन था?

1832 ई० का सुधार अधिनियम पास होने के समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री लार्ड ग्रे था।

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