योजना आयोग (Planning Commission)
Bharat mein Yojana aayog ; भारत में 15 मार्च, 1950 को योजना आयोग की स्थापना हुई। मंत्रिमंडल के संकल्प संख्या पी० (सी०) 50, भारत का राज्य पत्र, 15 मार्च 1950 में कहा गया था की वास्तविक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए तथा सभी संगत आर्थिक पहलुओं का निष्पक्ष विश्लेषण करते हुए व्यापक योजना बनाने की आवश्यकता है। जो दैनिक प्रशासनिक कार्य कल्पना से मुक्त हो, किंतु जिसका सरकार से उच्चतम स्तर पर संपर्क हो। प्रो ० ए० एच० हेन्सेन के अनुसार, “मंत्रिमंडल ने योजना आयोग को ऐसा अंग माना था, जिसका कार्य केवल परामर्श से देना था।
योजना आयोग का संगठन (Organization of Planning Commision)
योजना आयोग एक सविधानेत्तर संस्था है। संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसका निर्माण सरकार के एक प्रलेख द्वारा एक परामर्श दात्री वह विश्लेषज्ञ संस्था के रूप में किया गया। योजना आयोग योजना मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव के अतिरिक्त कुछ सदस्य होते हैं। प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है। मार्च 1950 में गठित योजना आयोग में एक अध्यक्ष तथा पांच सदस्य थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू इस आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे तथा श्री गुलजारीलाल नंदा, श्री टी०टी० कृष्णमाचारी, श्री जी०एल० मेहता, श्री आर० के ० पाटिल तथा श्री सी०डी० देशमुख आयोग के अन्य सदस्य थे। 1967 ईस्वी में योजना आयोग को गैर राजनीतिक संस्था बनाने पर बोल दिया गया। 1971 ईस्वी में प्रधानमंत्री को योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष तथा नियोजन मंत्री को पड़े उपाध्यक्ष बनाया गया तथा नियोजन का कार्य नियोजन मंत्रालय को सौंपा गया।
अन्य संस्थाएं (other institutions)
योजना आयोग के अतिरिक्त अनेक अन्य संस्थाएं भी हैं, जो योजनाओं के निर्माण और उनके कार्य नियंत्रण से संबंध है और वह कुछ इस प्रकार हैं —
(1) अनुसंधान प्रोग्राम कमेटी
योजना आयोग के द्वारा प्रथम पंचवर्षीय योजना में आयोग के उपाध्यक्ष के अधीन अनुसंधान प्रोग्राम कमेटी का गठन किया गया, जो योजना निर्माण में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। इस कमेटी में समय-समय पर देश के विशिष्ट एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक, शोधकर्ता, अर्थशास्त्रीय, समाजशास्त्रीय आदि नियुक्त किए जाते हैं। इनका संबंध विश्वविद्यालयों एवं शोध तथा अनुसंधान संस्थानों से होता है। यह कमेटी विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान संस्थानों को विकास के प्रशासनिक, सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं से संबंधित शोध के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। भारतीय सांख्यिकी स्थान, राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक अनुसंधान परिषद्, राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक अनुसंधान परिषद्, आर्थिक वृद्धि संस्थान आदि के द्वारा भी देश के महत्वपूर्ण सामाजिक एवं आर्थिक संस्थानों के शोध कार्यों के लिए सहायता प्रदान करती है।
(2) राष्ट्रीय आयोजन परिषद्
योजना आयोग प्रत्येक योजना के निर्माण के समय एक राष्ट्रीय आयोजन परिषद का गठन करता है। यह आयोग को योजना संबंधी समस्याओं का अध्ययन कर परामर्श देती है। इस परिषद में वैज्ञानिक, इंजीनियर, अर्थशास्त्री समस्याओं का अध्ययन कर योजना आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
(3) सम्बद्ध दल
योजनाओं के निर्माण में कुछ संबद्ध दल जैसे—विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक का अर्थशास्त्र विभाग, केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की सहायता करते हैं। योजना आयोग इन संस्थाओं से विभिन्न विभागों से संबंधित अध्ययन करवाता है। जैसे की— केंद्रीय सांख्यिकी संगठन विस्तृत आंकड़े एकत्र करके योजना निर्माण तथा मूल्यांकन में आयोग की सहायता करता है।
(4) कार्यकारी दल
योजना आयोग योजना का निर्माण करते समय अनेक कार्यकारी दलों की नियुक्ति करता है। जिनमें विभिन्न समस्याओं से संबंध विशेषज्ञ होते हैं। यह दल योजना निर्माण के लिए विभिन्न विषयों पर अपनी रिपोर्ट देते हैं।
(5) मूल्यांकन समितियां
योजना आयोग ने योजना के संचालन एवं मूल्यांकन करने के लिए मूल्यांकन समितियां की स्थापना की है। जैसे — योजना परियोजनाओं पर समिति परियोजनाओं के प्रबंध प्रशासन और निर्णय लगता कि किफायतों से संबद्ध समस्याओं का मूल्यांकन करती है तथा कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन मूल्यांकन का अध्ययन करता है।
(6) राष्ट्रीय विकास परिषद्
भारत राज्यों का संघ है जिससे राज्य की सरकारी अपने प्रति के विकास के लिए अलग-अलग नीतियां अपनाती हैं। केंद्र तथा विभिन्न राज्यों के विकास की नीतियों एवं कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करने के लिए राज्यों को योजनाओं की पूर्ति हेतु प्रेरित करके उनका सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने एक शासकीय आदेश के फल स्वरुप 6 अगस्त, 1952 को राष्ट्रीय विकास परिषद की स्थापना की।
प्रो० सी० पी० भाम्मरी के अनुसार, “योजना संबंधी मामलों में केंद्र तथा राज्यों के मध्य समायोजन की स्थापना के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद् की स्थापना की गई।”
योजना आयोग के कार्य(Functions of Planning Commision)
(1) देश के संसाधनों के संतुलित उपयोग के लिए अत्यंत प्रभावशाली योजना बनाना।
(2) देश की भौतिक संसाधनों और जनशक्ति का अनुमान लगाकर राष्ट्र की आवश्यकता के अनुसार साधनों की वृद्धि की संभावनाओं का पता लगाना।
(3) योजना के क्रियान्वयन के चरणों का निर्धारण करना तथा उनके लिए संसाधनों का नियमन करना।
(4) योजना के चरणवार प्रगति का समय-समय पर अवलोकन करना तथा इस बारे में आवश्यक उपायों की सिफारिश करना।
(5) आर्थिक विकास में आने वाली बढ़ाओ की ओर संकेत करना तथा योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए स्थिति निर्धारित करना।
(6) योजना के प्रत्येक चरण के सफल कार्य में के लिए आवश्यक तंत्र का स्वरूप निश्चित करना।
(7) आयोग की क्रियाकलापों को सुविधाजनक बनाने या वर्तमान स्थिति और विकास कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए अंतिम सिफारिश करना या केंद्रीय राज्यों की समस्याओं का समाधान करने के लिए परामर्श देना।
महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
भारत में योजना आयोग की स्थापना कब हुई थी?
भारत में योजना आयोग की स्थापना 15 मार्च, 1950 में हुई थी।
योजना आयोग किस प्रकार की संस्था थी?
योजना आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1950 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य था देश के संसाधनों के कुशल शोषण द्वारा जीवन स्तर में तेजी से वृद्धि, उत्पादन में वृद्धि, और समुदाय के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना था।
भारत में योजना आयोग का मुख्यालय कहां है?
भारत में योजना आयोग का मुख्यालय दिल्ली है।
योजना आयोग क्या है?
योजना आयोग एक संविधानेत्तर संस्था है। इसका निर्माण सरकार के रूप में 15 मार्च, 1950 को किया गया। प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है। आयोग के उपाध्यक्ष का दर्जा कैबिनेट मंत्री तथा अन्य सदस्यों का दर्जा राज्य मंत्रियों के बराबर रखा गया है।
योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
योजना आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री करता है।
योजना आयोग को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
योजना आयोग को अंग्रेजी में Planning Commission कहते हैं।
संघ राज्य क्षेत्र के मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
संघ राज्य क्षेत्र के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
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