सिंधु सभ्यता तथा आर्य सभ्यता में मुख्य 15 अंतर

सिंधु सभ्यता तथा आर्य सभ्यता में अंतर

 सिंधु सभ्यता व आर्य सभ्यता दोनों ही भारत की प्राचीनतम सभ्यता में है। सिंधु घाटी की सभ्यता को नगरी और वैदिक सभ्यता को ग्रामीण सभ्यता माना जाता है। इन दोनों में पर्याप्त विभिन्नताएं थी। हम इन दोनों सभ्यताओं का तुलनात्मक अध्ययन कुछ इस प्रकार कर सकते हैं—

हड़प्पा सभ्यता तथा आर्य सभ्यता में मुख्य अंतर

(1) व्यवसाय

हड़प्पा सभ्यता निवासी कृषि के साथ व्यापार भी करते थे। अभी अफगानिस्तान तथा मेसोपोटामिया जैसे देशों के साथ व्यापार करते थे। लेकिन आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही था। वह छोटे-छोटे गांव में रहते थे तथा उनके विदेशों से कोई संबंध न था।

(2) ग्रामीण तथा शहरी

आर्य सभ्यता ग्रामीण तथा कृषि प्रधान थी परंतु इसकी विपरीत हड़प्पा सभ्यता नागरिक तथा व्यापार प्रधान थी। वैदिक काल में लोग गांव में लकड़ी और बस के पर्ण कुटिर बनाकर निवास करते थे, जबकि हड़प्पा घाटी के लोग पक्की ईटों से बने हुए विशाल भवनों में निवास करते थे जिनमें स्नान घर, कुओं तथा नालियों की पूर्ण व्यवस्था थी।

हड़प्पा सभ्यता में नगरनिगमों का अवश्यंभार हुआ था, और उनके नगर योजनाओं में सड़कें, घर, और सार्वजनिक स्थलों की अच्छी योजना थी। सिंधु-सरस्वती सभ्यता में भी नगरनिगमों का विकास हुआ था, लेकिन इनकी नगरयों की योजना थोड़ी भिन्न थी और इनमें जल संरचना का अच्छा विकास था।

(3) साहित्य

वैदिक सभ्यता का साहित्य उच्च कोटि कथा लेकिन इसके विभिन्न हड़प्पा सभ्यता का अपना कोई साहित्य नहीं था, क्योंकि उनको लिपि का कोई ज्ञान अभी तक नहीं हो सका है। साहित्य में कुछ और मुख्य अंतर यह है — 

1. उपन्यास और काव्य— हड़प्पा सभ्यता में कोई उपन्यास या काव्य साहित्य नहीं है, क्योंकि उनके लेखन का ज्ञात रूप से कोई साक्षरता नहीं है। आर्य सभ्यता ने काव्य और उपन्यास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे कि महाभारत और रामायण जैसी एपिक काव्यकाव्य।

2. धार्मिक ग्रंथ— हड़प्पा सभ्यता में धार्मिक ग्रंथों का कोई उल्लेख नहीं है और उनके धर्मप्रणाली के बारे में ज्यादा ज्ञात नहीं है। आर्य सभ्यता में वेदों, उपनिषदों, पुराणों, धर्मशास्त्रों, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का विकास हुआ, जो उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक जीवनशैली को प्रवर्तित करते हैं।

3. भौगोलिक परिस्थितियाँ — हड़प्पा सभ्यता का केंद्र सिंधु नदी के किनारे था, जो उनके साहित्य को भौगोलिक रूप से प्रभावित कर सकता है। आर्य सभ्यता ने उत्तर भारत में विकसित हुई थी, जहां की अलग-अलग भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों ने उनके साहित्य को प्रभावित किया।

इन रूपों में, हड़प्पा सभ्यता और आर्य सभ्यता के साहित्य के बीच विभिन्नताएं थीं, जो उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संदर्भों से उत्पन्न हुई थीं। 

(4) भोजन व खानपान में अंतर 

हड़प्पा सभ्यता के लोग भोजन में मछली का प्रयोग करते थे लेकिन वैदिक काल में आर्यों की मांसाहारी होते हुए भी मछली में बड़ी अरुचि थी। यह लोग सोमरस तथा सूरा का प्रयोग करते थे।

(5) वेशभूषा

हड़प्पा की स्त्रियां घागरे का प्रयोग करती थी। चोली का प्रयोग स्त्री तथा पुरुष दोनों ही किया करते थे लेकिन आर्यों की सभ्यता में वेस्टन को तीन भागों में बांटा हुआ था जैसे— नीवि, वास तथा अधिवास।  

आभूषण — आर्य सभ्यता में भी सोने, चांदी, मोती, और हीरे के गहने पहने जाते थे, जिनमें हार, कंगन, टोपी, ताज, और कंठी शामिल थे। गहनों में धार्मिक और सामाजिक संकेत हो सकते थे।

रंगीनता— हड़प्पा सभ्यता के अवशेषों से यह सुझावित होता है कि इस सभ्यता में रंगीन वस्त्र और गहने पहने जाते थे, जो विभिन्न रंगों और डिज़ाइनों के साथ थे। और आर्य सभ्यता में रंगीन वस्त्र और गहने बनाने का कला विकसित हुआ था और उनके वस्त्रों में मुख्यतः लाल, हरा, नीला, पीला, और काला रंग शामिल थे।

(6) धर्म

हड़प्पा सभ्यता के लोग मूर्ति पूजक थे तथा मातृ देवी, लिंग, शिव,‌‌ योनि, पशु तथा वृक्षों की भी पूजा करते थे। इसकी तुलना में आर्य लोग मूर्ति पूजक नहीं थे। विवेक प्रकृति के 33 करोड़ देवी देवताओं जिनमें वरुण, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पृथ्वी,‌‌ वायु तथा उषा मुख्य थे, की पूजा करते थे। आर्य यज्ञ को महत्व देते थे लेकिन हड़प्पा सभ्यता के लोगों के लिए इसका कोई महत्व नहीं था।

(7) शांति प्रिय

हड़प्पा निवासी शांतिप्रिय से तथा उनका तलवार और कवच का कोई ज्ञान नहीं था। इसके विपरीत आर्य लोग युद्ध प्रेमी थे उन्हें आक्रमण करना और उनसे बचना भी आता था।

(8) आमोद प्रमोद

हड़प्पा के लोग घरेलू खेलों को अधिक महत्व देते थे, जबकि आर्य लोग बाहर घूम फिर कर तथा खेल-खेल का अपना मनोरंजन करते थे। आर्य लोग रथ-दौड़ तथा आखेट के शौकीन थे। जबकि हड़प्पा के लोग नृत्य और संगीत के प्रेमी थे।

(9) लेखन कला

हड़प्पा के लोगों को लेखन कला का ज्ञान था और अन्य कलाओं में भी यह लोग उन्नति कर गए थे जबकि इसकी तुलना में  ऋज्ञवैदिक काल में इस दिशा में उन्नति नहीं हो पाई थी। सिंधु सभ्यता, सिंधु सभ्यता में ठोस लेखन या शिक्षा की प्रमाणिक साक्षरता के सबूत नहीं मिलते हैं, लेकिन सिंधी लिपि का प्रमाण मिलता है। आर्य सभ्यता, आर्य सभ्यता में संस्कृत भाषा में विशेष ग्रंथों की रचना हुई जो वेद, उपनिषद, पुराण, और अन्य धार्मिक ग्रंथों को समाहित करते हैं।

(10) पशु

वैदिक काल के लोगों का प्रमुख पशु घोड़ा था जिसकी सहायता से इन लोगों ने अनेक विजयें प्राप्त की थी। परंतु हड़प्पा सभ्यता के निवासी इस पशु की सर्वथा अपरिचित थे। वैदिक काल के लोग गाय को बड़ा पवित्र मानते थे और उसे पूजनीय समझते थे परंतु इसके विपरीत हड़प्पा सभ्यता के लोग गाय के स्थान पर सांड को अधिक महत्व देते थे।

(11) धातु

धातु के प्रयोग में भी दोनों सभ्यताओं में अंतर था। वैदिक कल के लोग प्रारंभ में सोने से तांबे का और बाद में चांदी और लोहे तथा कांसे का प्रयोग करने लगे थे। परंतु हड़प्पा सभ्यता के निवासी प्रधान रूप से पाषाण का प्रयोग करते थे। धातु में हड़प्पा प्रदेश के लोग सोने के पीछे चांदी का अधिक प्रयोग करते थे। लोहे से तो यह लोग बिल्कुल अपरिचित थे। 

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(12) लिंग पूजा

हड़प्पा के लोग लिंक तथा योनि की पूजा करते थे। जबकि वैदिक काल में आज लोग इसकी घुर विरोधी थे।

(13) युद्ध

आर्य सभ्यता के लोग लड़ाई के समय कवच तथा सिर पर टोपी का प्रयोग करते थे जबकि हड़प्पा के लोगों को कवच का प्रयोग करना भी नहीं आता था।

(14) सिक्के 

हड़प निवासी सिखों का प्रयोग करते थे और इसीलिए उनका व्यापार अपनी चरम सीमा पर था। लेकिन इसकी तुलना में आर्य प्रारंभ में सिक्कों का प्रयोग नहीं करते थे। हुए केवल वस्तु विनिमय के ढंग से लेनदेन करते थे। गाय इसका मध्य होता था। केवल बाद में ‘निष्क’ नाम का सिक्का प्रचलित हो गया। लेकिन इसके बारे में इतिहासकारों में एक मत नहीं है। 

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(15) मृतक संस्कार तथा पूजा 

हड़प्पा निवासी जॉन मार्शल के अनुसार शव को पृथ्वी में दबा देते थे जबकि आर्य लोग शव जलते थे।

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