नवीन लोक प्रशासन क्या है? अर्थ, लक्ष्य तथा विशेषताएं

 नवीन लोक प्रशासन

नवीन लोक प्रशासन नारे ने न केवल लोक प्रशासन विषय को ताजी प्रणाम वायु प्रदान की बल्कि नई विषयवस्तु भी प्रदान की। आज यह विषय नव में नहीं रह गया है किंतु किसी नवीनतम नारे के अभाव के कारण ही इसे आज भी लोक प्रशासन का नवीनतम सीमा चिन्ह माना जाता है। वैसे नवीनतम लोक प्रशासन ओझल सा हो गया है। तथापि कतिपई विद्वान इसके मंतव्यों, प्रासंगिकता, सक्रियतावाद और क्षमता का नगाड़ा आज भी बजाते फिरते हैं।

1960 की पश्चात उत्पन्न बुद्धिजीवियों के विद्रोह और सामाजिक आर्थिक उत्तर में इस आंदोलन की पैदाइश दिखाई देती है। 1960-70 के दशक में यह आंदोलन काफी ऊंचाइयों पर था और आज ही हो आंदोलन अपनी चमक हो चुका है परंतु उसका असर चारों ओर दिखाई पड़ रहा है।

नवीन लोक प्रशासन का अर्थ (Navin lok prashasan ka Arth)

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात लगभग सभी सामाजिक विज्ञानों में व्यावहारिक वादी क्रांति संपन्न हुई। विषयों के अध्ययन संबंधित दृष्टिकोण में परिवर्तन के साथ-साथ उनकी विषय सामग्री, प्रविधियां तथा शोध के तरीकों में क्रांतिकारी अधिकारी परिवर्तन हुए।

लोक प्रशासन में नवीनता लाने से तात्पर्य यह है, “किसी भी प्रचलित व्यवस्था में नवीनगत तथ्यों तथा विधियों को लागू करना।” तकनीकी दृष्टि से इसका तात्पर्य प्रशासनिक संगठन, व्यवहार, विधियों एवं प्रक्रियाओं में संगठित एवं व्यवस्थित सुधार है। नवीन लोक प्रशासन विकेंद्रीकरण की अवधारणा का समर्थन करता है तथा व्यक्ति एवं इसकी आत्मविश्वास की सुरक्षा करता है। यह इस मान्यता पर आधारित है कि प्रशासन तो एक साधन मात्र रहता था मानव कल्याण ही इसका अंतिम लक्ष्य है। नवीन लोक प्रशासन मूल्य आधारित सिद्धांत, सामाजिक सजगता, सक्रियतावाद, पारदर्शिता, मानवीयता एवं सहभागिता आदि को महत्व प्रदान करता है। नवीन लोक प्रशासन मूल्यों पर आधारित है।

नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य 

(1) प्रासंगिकता

परंपरागत लोक प्रशासन की लक्ष्य थे कार्य कुशलता वह मितव्ययिता जबकि नवीन लोक प्रशासन का लक्ष्य प्रासंगिकता है अर्थात संबंद्ध सामाजिक समस्याओं के प्रति उनकी गहरी चिंता है। इसका मूल्य मंतव्य है— लोक प्रशासन का ज्ञान एवं शोध, समाज की आवश्यकता के संदर्भ में प्रासंगिक तथा संगति पूर्ण होने चाहिए।

(2) सामाजिक समानता

परंपरागत लोक प्रशासन यथा स्थिति वादी स्वरूप का था जबकि नवीन लोक प्रशासन सामाजिक समानता के सिद्धांत पर बोल देता है। यह समाज के कमजोर वर्गों जैसे— बच्चों, महिलाओं तथा दलितों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए संवेदनशील रहता है। नवीन लोक प्रशासन का उद्देश्य विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग का अंतर कर सामाजिक समानता पर बल देता है।

(3) मूल्य

नवीन लोक प्रशासन स्पष्ट रूप से आदर्शात्मक है। यह परंपरावादी लोक प्रशासन की मूल्य को छिपाने की व्यवधान तथा प्रक्रियात्मक तटस्थता को अस्वीकार करता है। मीन्नो ब्रुक सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट कहा है कि, मूल्य के प्रति तथस्थत लोक प्रशासन असंभव है। बुद्धिजीवियों के स्तर पर अमेरिका में हाल के कुछ लिखो में लोक प्रशासन में नैतिकता के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है। क्योंकि लोक प्रशासन के कार्यों का विस्तार हो रहा है अतः यह आवश्यक है कि सार्वजनिक पदाधिकारी के क्रियाकलापों में नैतिकता के प्रति चेतना लाई जाए। नैतिक मूल्यों के प्रति फिर से जोर देने के कारण अनेक महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं। जिसने लोक प्रशासन में उत्तरदायित्व और नियंत्रण की भावना के प्रति फिर से रुचि बढ़ाने में फिर से सहायता मिली है।

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएं

(1) नवीन लोक प्रशासन का विचार है कि लोक सेवकों को दलगत प्रतिष्ठा को बनाए रखनी चाहिए किंतु सामाजिक और अन्य कार्यक्रमों को लागू करते हुए उन्हें तटस्थता का आवरण हटा देना चाहिए। प्रशासनिक स्वविव का प्रयोग समाज के दुर्बल वर्गों एवं दलितों के हितों की रक्षा के लिए किया जाना चाहिए।

(2) प्रशासन में नागरिकों की अधिकतम भागीदारी होनी चाहिए अर्थात नवीन लोक प्रशासन निर्णय में जनप्रतिनिधित्व पर बल देता है।

(3) सरकार को अत्यधिक जटिल तथा अनगिनत कार्यों को संपन्न करने के लिए आधुनिक प्रबंधात्मक क्रियाविधियों, तकनीक और प्रौद्योगिकियों को अपनाना चाहिए।

(4) लोक प्रशासन सामाजिक समस्याओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील तथा जागरूक होना चाहिए।

(5) संगठनात्मक संरचना के प्रति एक गतिशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। पद्सोपान की आपूर्ति पर बहुत अधिक बल देने में प्रशासनिक निष्पादन में ऐसी कठोरताएं उत्पन्न होती है जो तेजी से बदलते परिवेश में उसे प्रासंगिकता और क्षमता से दूर ले जाती है। अतः वैकल्पिक संरचनाओं का चुनाव लिया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए— छोटी विकेंद्रीकरण और लचीले और पद्सोपान क्रम ऐसे प्रशासनिक संगठनों के अनुकूल हो सकते हैं जिसका संबंध जन विकास कार्यक्रमों से होता है।

(6) नवीन लोक प्रशासन सकारात्मक, लोकगीत कार्य तथा नैतिकता से संबंध है।

(7) नवीन लोक प्रशासन का अध्ययन मनोवैज्ञानिक समाजशास्त्रीय पहलुओं के आधार पर किया जाना चाहिए।


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 

नवीन लोक प्रशासन का उदय कब हुआ?

नवीन लोक प्रशासन का उदय 1980 ई० में हुआ।

नवीन लोक प्रशासन का क्या तात्पर्य है?

नवीन लोक प्रशासन लोक प्रशासन के लिए एक नवीन अवधारणा है जिसका तात्पर्य यह है कि प्रशासन को मानव उन्मुख होना चाहिए तथा उसका दृष्टिकोण मूल्य आधारित हो। नवीन लोक प्रशासन में समाज समानता के प्रति उन्मुक्तता, लोकतांत्रिक उन्मुक्त तथा जन भागीदारी आदि पर बोल दिया जाता है।

नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य क्या है?

नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य— (1) मूल्य, (2) प्रासंगिकता, (3) सामाजिक समानता, (4) परिवर्तन।

सन् 1968 के पश्चात लोक प्रशासन में जिन नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ उसको किस की संख्या दी जाती है?

सन् 1968 के पश्चात लोक प्रशासन के क्षेत्र में जिन नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ उसे समन्वित रूप से नवीन लोक प्रशासन की संज्ञा दी जाती है।

न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन नामक पुस्तक के रचयिता कौन है?

इस पुस्तक के रचयिता नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख समर्थक एच० जॉर्ज फ्री फ्रेडरिक्स है।

नवीन लोक प्रशासन की दो विशेषताएं बताइए?

(1) सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक वह तकनीकी परिवेश तेजी से बदल रहे हैं। अतः प्रशासनिक संगठनों को भी एक स्पष्ट मां दंड का विकास करना चाहिए जिससे कि उनके निर्णय व कार्यों के प्रभावशीलता वह प्रासंगिकता को बदल ले हुए संदर्भ में आकि जा सके। (2) प्रशासन में नागरिकों की अधिकतम भागीदारी होनी चाहिए अर्थात नवीन लोक प्रशासन निर्णय निर्माण में जनप्रतिनिधि पर बोल देता है।

नवीन लोक प्रबंध की परिभाषा दीजिए?

जैन एरिक लेने के अनुसार, “निजी उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली प्रबंधकीय तकनीक को सार्वजनिक क्षेत्र में लागू करना नवीन लोक प्रबंधन कहते हैं।”

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