मनु तथा कौटिल्य के अनुसार राज्य के कार्य - letest education

मनु तथा कौटिल्य के अनुसार राज्य के कार्य

मनु और कौटिल्य प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारकों में अग्रणी स्थान रखते हैं। जिस प्रकार पाश्चात्य विचारकों ने राज्य के विभिन्न कार्यों पर प्रकाश डाला है, इस प्रकार मनु तथा कौटिल्य ने भी राज्य के विभिन्न उद्देश्यों पर विचार करके राज्य के कार्यों पर प्रकाश डाला है।

मनु तथा कौटिल्य के अनुसार राज्य के कार्य - letest education

(1) मनु का दृष्टिकोण

आचार्य मनु ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘मनुस्मृति’ में राज्य के कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला है। उन्होंने राज्य के कार्यों को निम्न दो वर्गों में विभाजित किया है—

(1) शासन संबंधी कार्य तथा (2) न्याय संबंधी कार्य।

(1) शासन संबंधी कार्य

मनु के अनुसार राज्य की शासन संबंधी कार्य कुछ इस प्रकार है—

(1) राज्य में आंतरिक शांति एवं  सुव्यवस्था की स्थापना करना, जिससे जनता सुरक्षित रह सके।

(2) सैनिक शक्ति का विस्तार करना।

(3) जनता के हितों के लिए सार्वजनिक कार्यों का संपादन करना।

(4) स्थानीय स्वशासन की समुचित व्यवस्था करना।

(5) राज्य की सीमाओं को सुरक्षित रखना और देश की बाह्य आक्रमणकारियों से सुरक्षा करना। 

(6) जनता से कर वसुल करना। 

(7) राज्य का आर्थिक विकास करना।

(8) असहाय व्यक्तियों की सहायता करना।

(9) शिक्षा का प्रबंध करना।

(10) वर्श्रणाम धर्म की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य।

(11) युद्ध का संचालन करना एवं अन्य देशों से संबंध संबंध करना।

(2) न्याय संबंधी कार्य

मनु के अनुसार राज्य के न्याय संबंधी कार्य कुछ प्रकार है—

(1) न्यायालयों का गठन करना। 

(2) जनसाधारण को निष्पक्ष न्याय सुलभ कराना।

(3) अपराधियों को न्याययोजित दंड देना।

(4) न्याय करते समय धर्म विधानों का ध्यान रखना। 

  संक्षेप में, राजा का मुख्य कर्तव्य दंड धारण कर प्रजा की सुरक्षा करना एवं दोस्तों को दंड देना है। मनु राजा के कार्यों का वर्णन करते समय उसे निरंकुश नहीं बनाया है। मोटवानी नाम वनों के चिंतन पर आधारित इस विचार की व्याख्या इन शब्दों में की है, “राजा को समझना चाहिए कि वह धर्म के नियमों के अधीन है। कोई भी राजा धर्म के विरुद्ध व्यवहार नहीं कर सकता।” राजा का मुख्य कार्य अपनी प्रजा को स्वीकार रखना है।

(2) कौटिल्य का दृष्टिकोण

कौटिल्य ने मा के समान ही अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ में राज्य के कार्यों और राजा के कर्तव्यों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला है। उसने राज्य के निम्नलिखित कार्यों का उल्लेख किया है जो कुछ इस प्रकार है—

(1) राज्य की सुरक्षा

राज्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है कि वह अपनी सुरक्षा की संपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करें क्योंकि यदि वह स्वयं अपनी ही सुरक्षा न कर सका तो वह नष्ट हो जाएगा। बताओ अपनी सुरक्षा हेतु राज्य को समुचित सेना सुदृढ दुर्गा, फूलों आदि की व्यवस्था करनी चाहिए। षाड्गुण्य नीति के अंतर्गत राज्य को वैदेशिक संबंधों के संचालन के लिए संधि, विग्रह (युद्ध), आसन (तटस्थता), यान (शत्रु पर आक्रमण करना), सौन्दर्य (बलवान का आश्रय लेना) तथा द्वैधभाव (संधि और युद्ध का एक साथ प्रयोग) को आधार बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सफल संचालन हेतु राज्य को अपनी सुरक्षा हेतु साम, दाम, दंड और भेद इन सभी साधनों का अनुसरण करना चाहिए। 

(2) प्रजा हित संबंधी कार्य

राजू को अपनी प्रजा की सुरक्षा करनी चाहिए और उसके हित की चिंता करनी चाहिए। राज्य का सर्वोच्च अधिकारी राजा, प्रजा के कल्याण के लिए दंड धारण करता है और निर्धारित नियमों के अनुसार उसका प्रयोग करता है। वस्तुत उसकी समस्त क्रियाएं पर जाकर कल्याण के लिए ही होती हैं।

(3) गुप्तचर व्यवस्था

अपने कर्तव्य के विद्युत पालन हेतु राज्य अपने कर्मचारियों, व्यापारियों अधिक के दैनिक व्यवहार पर गुप्तचर व्यवस्था के माध्यम से नजर रखता है।

(4)  वर्णाश्रम धर्म व्यवस्था न स्वधर्म का पालन 

कौटिल्य का विश्वास है कि मनुष्य एवं समाज का परम कल्याण वर्णाश्रम धर्म की स्थापना, उसके विधिवत पालन व स्वधर्म के मार्ग में निहित है; अतः राज्य को उसकी सुरक्षा उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए।

(5) न्याय व्यवस्था

स्वधर्म पालन योजना को कार्य निर्मित करने के लिए न्याय व्यवस्था की स्थापना आवश्यक है। न्याय व्यवस्था संबंधित दो क्षेत्र होते हैं— (1) व्यवहार क्षेत्र और (2) कण्टक शोधन क्षेत्र। पहले का संबंध नागरिकों के पारस्परिक विवादों से है और दूसरे का राज्य के कर्मचारियों तथा व्यावसायियों से है। विभिन्न प्रकार के विवादों का निर्णय करने के लिए कौटिल्य राज्य को अनेक प्रकार के न्यायालयों की स्थापना का परामर्श देता है।

(6) आर्थिक नीति सिद्धांत

कौटिल्य लिखा है कि जिन उद्योगों पर राज्य का अस्तित्व निर्भर हो, उनका संचालन राज्य को स्वयं करना चाहिए। महत्वपूर्ण उद्योग राज्य के प्रत्यक्ष स्वामित्व में होने चाहिए तथा अवशिष्ट क्षेत्र में नागरिकों के निजी संपत्ति के अधिकार को स्वीकार करना चाहिए।

(7) दंड सिद्धांत

दोषी को दंड देना राज्य का प्रमुख कर्तव्य है। राजू को अपराध की मात्रा, अपराधी की सामर्थ्य, अपराधी के वर्ण एवं अपराधी के सुधार आदि को ध्यान में रखकर ही दंड देना चाहिए। कौटिल्य ने स्त्री, बच्चों तथा ब्राह्मणों के संबंध में कठोर दंड प्रदान न करने का विचार प्रस्तुत किया है।

(8) शांति व सुव्यवस्था की स्थापना

राज्य का यह भी कर्तव्य है कि वह अपनी राज्य सीमा के अंतर्गत शांति व सुरक्षा स्थापित करें। 

(9) कोष 

राज्य के संचालन के लिए कोष की आवश्यकता सर्वोपरि है। कौटिल्य ने कोष संचय में जिन सिद्धांतों के पालन की सलाह दी है, वे यह है — परिपुष्ट सिद्धांत (शैशव काल में उद्योगों को कर में छूट), उपयोगिता सिद्धांत (उपयोगी पदार्थ के उत्पादन को प्रोत्साहन), कर मुक्त सिद्धांत (व्रत, दान आदि) व उद्योग नियंत्रण सिद्धांत।

(10) मंडल नीति

राज्य को मंडल नीति के आधार पर बाह्य नीति का संचालन करना चाहिए और अपनी राज्य सीमा के विस्तार के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।

  कौटिल्य राजतंत्र का समर्थन है और वह इसी शासन प्रणाली को सर्वश्रेष्ठ मानता है। परंतु फिर भी उसके अनुसार राजा को निरंकुश नहीं होना चाहिए। एम० वी० कृष्णराव के अनुसार, “कौटिल्य का राजा अत्याचारी नहीं हो सकता, चाहे वह कुछ बातों में स्वेच्छाचारी रहे; क्योंकि बहुत धर्मशास्त्र और नीति शास्त्र के सुस्थापित नियमों के अधीन रहता है।” सालेटोर के अनुसार, “यद्यपि राजा का पद सर्वोच्च था, किंतु न तो वह जनता से पृथक था और ना उसके लिए विदेशी ही। अतः वह जैसा चाहे जनता के प्रति व्यवहार करने के लिए स्वतंत्र न था।


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 

कौटिल्य ने कितने प्रकार के गुप्तचरों का वर्णन किया है?

कौटिल्य ने गुप्तचरों को दो भागों में विभाजित किया है— (1) स्थाई गुप्तचर तथा (2) भ्रमणकारी गुप्तचर।

मनु ने राज्य के कार्यों को किन दो वर्गों में विभक्त किया है?

(1) शासन संबंधी कार्य तथा, (2) न्याय संबंधी कार्य।

कौटिल्य के अनुसार राज्य का कोई एक ऐच्छिक कार्य बताइए?

दुर्बलों की रक्षा करना।

अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ का मुख्य विषय लिखिए?

अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ का मुख्य विषय ‘राज्य के कार्य’ और ‘राजा के कर्तव्य’ हैं।

कौटिल्य के परिपुष्ट सिद्धांत का क्या अर्थ है?

परिपुष्ट सिद्धांत का अर्थ है कि उद्योगों को उनके शैशव काल काल अर्थात आरंभिक अवस्था में करों से मुक्त होना चाहिए।

मनुस्मृति में वर्णित राजा के किसी एक कर्तव्य का उल्लेख कीजिए?

राजा को अपने भूमंडल का विस्तार करना चाहिए।

“राजा दंड का प्रतीक तथा उसका निर्माण स्वयं प्रभु ने प्राणी मात्र की सुरक्षा के लिए किया है।” यह कथन किसका है?

मनु।

कौटिल्य के अनुसार राज्य के कितने अंग है?

कौटिल्य के अनुसार राज्य के 7 अंग है।

कौटिल्य ने कौन से शासन प्रणाली का समर्थन किया है?

कौटिल्य ने राजतंत्र शासन प्रणाली का समर्थन किया है।

किन्हीं दो भारतीय राजनीतिक विचार को के नाम लिखिए?

(1) आचार्य मनु, (2) कौटिल्य।

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