कानून से आप क्या समझते हैं? अर्थ, परिभाषा तथा सिद्धांत

 कानून (Law)

मानवीय आचरण एवं व्यवहार को नियंत्रित करने वाले नियमों को कानून कहते हैं। यह नियम निश्चित होते हैं। राज्य अपने नागरिकों के जीवन के संचालन तथा व्यवहार के लिए अनेक नियमों का निर्माण करता है। इन नियमों का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक होता है। इंडियन नियमों का पालन न करने पर राज्य द्वारा व्यक्ति को दंडित किया जाता है।

कानून से आप क्या समझते हैं? अर्थ, परिभाषा तथा सिद्धांत

कानून का अर्थ एवं परिभाषा

 कानून का अंग्रेजी पर्यायवाची ‘Law’ है। ‘Law’ शब्द की उत्पत्ति ट्यूटांनिक शब्द ‘Lag’ से हुई है। ‘Lag’ का अर्थ है ‘निश्चित या स्थिर’। शाब्दिक दृष्टिकोण के आधार पर कानून का अर्थ स्त्रियां निश्चित नियम है। विद्वानों ने कानून की विभिन्न; यथा—

(1) प्लेटो के अनुसार — “कानूनी व्यवहारिक विद्ता तथा प्राचीन अनुभवों को अंगीकृत करता है।”

(2) अरस्तु के अनुसार — “कानून प्रकृति के समरूप, सर्वव्यापक तथा शाश्वत सही तर्क है।”

(3) ऑस्टिन के अनुसार — “संप्रभु का आदेश ही कानून है।”

(4) सामण्ड के अनुसार — “कानून नियमों का वह समूह है, जिस राज्य मान्यता देता है और न्याय व्यवस्था के प्रशासन में लागू करता है।”

(5) हॉलैंड के अनुसार — “कानून कार्य का वह सामान्य नियम है जो केवल बाह्य गतिविधियों पर ध्यान देता है। वह किसी निश्चित सत्ता के द्वारा लागू किया जाता है। वह सट्टा मानवीय होती है और मानवी सातों में भी ऐसी सत्ता है जो किसी राजनीतिक समाज में सर्वोच्च होती है। दूसरे शब्दों में कानून बाह्य आचरण का वह सामान्य नियम है जो किसी संप्रभुता संपन्न राजनीतिक सत्ता द्वारा लागू किया जाता है।”

कानून के सिद्धांत (Principles of law)

(1) ऐतिहासिक सिद्धांत 

ऐतिहासिक सिद्धांत के अनुसार कानून जीवन से संबंधित है और उनका विकास ऐतिहासिक ढंग से हुआ है। इस विचारधारा के अनुसार कानून किसी कानून निर्माता की इच्छा से उत्पन्न नहीं होता है बल्कि यह प्राचीन काल से ही मान्य प्रथाओं और परंपराओं का परिणाम है। कानून; धार्मिक विश्वास, सामाजिक रीति रिवाज व परंपराओं की विकसित रूप है। मांण्टेस्क्यू, सर हेनरी, मैटलैण्ड तथा पोलक आदि इसी मत के समर्थक हैं।

ऐतिहासिक सिद्धांत की आलोचना

1- यह कानूनी इतिहास पर आवश्यकता से अधिक बल देता है तथा कानून के दर्शन की उपेक्षा करता है।

(2) विश्लेषणात्मक सिद्धांत 

विश्लेषणात्मक सिद्धांत मत के अनुसार संप्रभु के आदेश कानून है। कानून का पालन शक्ति द्वारा होता है तथा कानून का संबंध मनुष्य के बाह्य आचरण से होता है। बोंदा, हाब्स, बेंथम तथा ऑस्टिन इसी मत के अनुयायी है।

विश्लेषणात्मक सिद्धांत की आलोचना

इस सिद्धांत की आलोचना कुछ इन आधारों पर की जा सकती है—

1- यह दृष्टिकोण बहुत कठोर तथा आवश्यकता से अधिक कानूनी है।

2- यह दृष्टिकोण अपर्याप्त एवं अधूरा है क्योंकि यह परंपराओं तथा रीति रिवाज के महत्व को स्वीकार नहीं करता है।

3- यह रूढ़िवादी दृष्टिकोण है तथा यह प्रगतिशील दृष्टिकोण नहीं अपनाता है।

(3) समाजशास्त्री सिद्धांत

सिद्धांत के अनुसार कानून सामाजिक आवश्यकताओं के परिणाम है। यह सामाजिक जीवन को नियमित करते हैं। यह सामाजिक चेतना के प्रतीक है और राज्य के स्वतंत्र और श्रेष्ठ होते हैं। काण्ट, क्रैब आदि इसी मत का समर्थन करते हैं।

समाजशास्त्री सिद्धांत की आलोचना 

इस सिद्धांत की आलोचना कुछ इन आधारों पर की जा सकती है—

1- कानून कभी भी राज्य से स्वतंत्र और पृथक नहीं हो सकता है।

2- यह आवश्यक नहीं है कि कानून संप्रभु के आगे नहीं होता है। वास्तुत: तो कानून के पीछे बाध्यकारी शक्ति होती है।

3- यह आवश्यक नहीं है कि सभी कानून संपूर्ण समाज के हित में हो।

(4) दार्शनिक सिद्धांत

दर्शन सिद्धांत कानून के आदर्श स्वरूप का अध्ययन करता है तथा कानून को नैतिकता का प्रतीक मानता है। इस्मत के अनुसार कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। स्मार्ट के समर्थक ईगल, रूसो, ग्रीन और काण्ट आदि हैं।

दार्शनिक सिद्धांत की आलोचना

1- यह कानून की दार्शनिक तथा अमूर्त पक्ष पर अधिक बल देता है तथा यथार्थ की अपेक्षा करता है।

(5) तुलनात्मक सिद्धांत

तुलनात्मक सिद्धांत के अनुसार प्राचीन तथा और अर्वाचीन समय की समस्त पद्धतियों तुलनात्मक अध्ययन करके ही उचित कमीनों का निर्माण किया जा सकता है। इसके समर्थन में हरबर्ट स्पेंसर तथा मॉर्गन मुख्य है। 

तुलनात्मक सिद्धांत की आलोचना

1- तथ्यों का उचित प्रकार से संकलन ना होने की स्थिति में तुलनात्मक पद्धति के द्वारा निकाले गए निष्कर्ष कभी-कभी गलत भी हो जाते हैं।

निष्कर्ष और समीक्षा

उपर्युक्त परिभाषा एवं अथवा विचारधाराओं में से कोई भी अकेले कानून के स्वरूप को समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। प्रत्येक विचारधारा में सत्य का कुछ ना कुछ अंश आवश्यक है और वह सब एक दूसरे के पूरक है, परंतु इतना स्पष्ट है कि कोई नियम राज्य की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही कानून बनता है।


Important short questions and answers 

लॉ शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है?

लॉ शब्द की उत्पत्ति ट्यूटॉनिक भाषा के ‘लैग’ शब्द से हुई है।

कानून की प्रकृति संबंधी कितने सिद्धांत है?

कानून की प्रकृति संबंधित 6 सिद्धांत हैं।

राज्य कानून का पुत्र भी है और पिता भी। यह कथन किस विद्वान का है?

मैकाइवर

कानून का प्राचीनतम स्रोत क्या है?

कानून का प्राचीनतम स्रोत रूढ़ि और प्रथाएं हैं।

कानून तथा नैतिकता में कौन अधिक प्रभावी है?

कानून की अपेक्षा नैतिकता के नियम अधिक प्रभावित होते हैं।

कानून के किसी एक लक्षण की विवेचना कीजिए?

कानून सार्वभौमिक होते हैं।

कानून के संबंध में जॉन ऑस्टिन की परिभाषा दीजिए?

ऑस्टिन के अनुसार कानून संप्रभु के आदेश हैं।

राजनीतिक दायित्व के आदर्शवादी सिद्धांत का प्रतिपादक कौन है?

प्लेटो

कानून के संबंध में ऐतिहासिक विचारधारा का समर्थक कौन है?

कानून के संबंध में ऐतिहासिक विचारधारा का समर्थन हेनरीमैन है।

कानून तथा स्वतंत्रता परस्पर विरोधी हैं। यह विचार किसका है?

कानून तथा स्वतंत्रता परस्पर विरोधी है यह कथन ‘डायसी’ का है

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