गंगा प्रदूषण (ganga pollution)
त्रेता युग में राम जी के पूर्वज राजा भगीरथ के प्रयास से पापियों का पाप धूलने व लोगों का उद्धार करने के लिए ब्रह्मलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुई गंगा का अस्तित्व दिन प्रतिदिन बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण व नहरीकरण के कारण खतरे में पड़ता जा रहा है। गोमुख से गंगासागर तक गंगा के किनारे 29 बड़े नगर व लगभग 80 छोटे नगर हैं। इन नगरों के गंदे जल को प्रायः गंगा में ही प्रवाहित किये जाते रहे हैं। धीरे-धीरे गंगा जल का रासायनिक संगठन एकदम असंतुलित हो गया है। अतः गंगा के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए संत–महात्माओं तथा विद्वानों के पहले के बाद सरकारी प्रयास 1985 से शुरू हुए।
(1) गंगा एक्शन प्लान
इस केन्द्रीय योजना की शुरुआत 14 जून, 1985 को सर्वप्रथम वाराणसी में राजीव गांधी के हाथों हुई। इस योजना के तहत गंगा के किनारे स्थित नगरों से निकलने वाले अशुद्ध जल एवं कचरों हेतु ट्रीटमेंट प्लाण्ट लगाने आदि कई कार्यक्रम सम्मिलित थे। हजारों करोड़ रुपये व्यय होने के बाद भी स्थिति सुधरने के वजाय और बिगड़ती चली गई।
(2) आंदोलन
गंगा की सफाई हेतु संतो के आंदोलन, स्वामी निगमानंद के हरिद्वार में 2008 में 68 दिन के अनशन व इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार आदि के बाद केंद्र सरकार ने पहल शुरू किया।
(3) राष्ट्रीय नदी
4 नवंबर 2008 को गंगा के धार्मिक महत्व को समझते हुए केंद्र सरकार द्वारा गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया। ऐसा होने से प्रदूषण मुक्ति हेतु किए जाने वाले संपूर्ण खर्च का वहन केंद्र करेगा।
(4) राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण
2008 में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने हेतु प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में इस प्राधिकरण का गठन किया गया। जिन राज्यों से होकर गंगा गुजरती है, यथा– उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल, के मुख्यमंत्री, योजना आयोग उपाध्यक्ष, तत्संबंधी केंद्रीय मंत्री व पर्यावरण विशेषज्ञ इसके सदस्य हैं।
(5) स्वच्छ गंगा मिशन
अक्टूबर, 2009 में राष्ट्रीय नदी बेसिन प्राधिकरण की प्रथम बैठक में 2020 तक गंगा को पूरी तरह स्वच्छ करने के लिए गंगा एक्शन प्लान की जगह 15000 करोड रुपए की स्वच्छ गंगा मिशन शुरू करने की घोषणा की गई।
(6) गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण
स्वच्छ गंगा मिशन के तहत केंद्र की निर्देश पर संबंधित राज्यों में भी मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में संरक्षण परिषदों का गठन किया गया है।
(7) स्पर्श गंगा अभियान
गंगा व उसकी सहायक सभी प्रकार की नदियों के प्रति युवाओं में जागरूकता लाने के उद्देश्य 17 दिसंबर, 2009 को हे०न०व० गढ़वाल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के लगभग 40000 छात्र छात्राओं व कुछ स्वंयसेवी संगठनों ने मुनी-की-रेती (टिहरी) से यह अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत प्रदूषण निवारण, वृक्षारोपण व जल संरक्षण अदि कार्यक्रम हैं।
1–इस अभियान का ब्रांड एंबेसडर ‘हेमा मालिनी’ को बनाया गया है।
2–प्रत्येक वर्ष 17 दिसंबर को गंगा स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नमामि गंगे अभियान– 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद की गई घोषणा के अनुरूप 7 जुलाई, 2016 को नमामि गंगे योजना शुरू की गई है। इस योजना में उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत अगले 5 वर्षों में 20000 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे।
1–उत्तराखंड में इस योजना के तहत भागीरथी, गंगा, अलकनंदा व मंदाकिनी को शामिल किया गया है।
2–इस योजना के तहत 8 जैव विविधता संरक्षण केन्द्रों की स्थापना की जाएगी, जिनमें दो (ऋषिकेश व देहरादून) उत्तराखंड में होंगी।
3–इस योजना के तहत पहले चरण में गंगा तट पर बसे गाँवों को गंगा ग्राम योजना के तहत विकसित किया जाएगा।
एक टिप्पणी भेजें