आदर्श नागरिकता के मार्ग की बाधाएं
आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाएं ; आदर्श नागरिकता आदर्श शासन व्यवस्था के लिए परमावश्यक है। आदर्श नागरिकता की प्राप्ति में अनेक बढ़ाएं आती हैं, जिनका निराकरण किया जाना अति आवश्यक है। इन बाधाओं का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है—
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली मुख्य बाधाएं
(1) दरिद्रता अथवा निर्धनता
आदर्श नागरिकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा दरिद्रता और निर्धनता है। निर्धनता मनुष्य के लिए अभिशाप है। निर्धन व्यक्ति अपने भोजन तथा वस्त्र आदि से संबंधित समस्याओं के समाधान में ही व्यस्त रहता है। अतः उससे समाज और देश के प्रति उपयोग की कार्य करने की आशा नहीं की जा सकती है। प्रोफेसर इलियास अहमद के शब्दों में,"निर्धनता आदर्श नागरिकता के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है।"
(2) अशिक्षा और अज्ञान
शिक्षा और ज्ञान के भाव में आदर्श नागरिकता की कल्पना निरर्थक है। एक अशिक्षित व्यक्ति ना तो राजनीति में सक्रिय रूप से भाग ले सकता है और ना ही राजनीति से संबंधित प्रकरणों पर विचार कर सकता है। वस्तुत: लोकतंत्र की सफलता शिक्षित नागरिकों पर ही आधारित है। मैक्कम ने लिखा है,"शिक्षा के अभाव में नागरिकता पूर्ण नहीं है।"
(3) आलस्य
आलस्य भी नागरिकता के मार्ग में एक बड़ी बाधा है। वस्तुत: आलस्य ही अवनति का मूल है। आलसी व्यक्ति न केवल अपना, वरुण समाज और देश का भी सर्वनाश कर देता है।
(4) स्वार्थपरता की प्रवृत्ति
स्वार्थपरता भी आदर्श नागरिक के मार्ग में बाधक है। कुछ व्यक्ति अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी प्रकार का अनुचित अथवा अनैतिक कार्य करने में कोई संकोच नहीं करते हैं ।ऐसे स्वार्थी लोग मानवता के नाम पर कलंक है।
(5) पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण
पक्षपात की भावना मनुष्य की प्रगति में बाधा पहुंचती है। अतः किसी भी आधार पर किसी व्यक्ति के साथ पक्षपात नहीं करना चाहिए। पक्षपात की भावना आदर्श नागरिकता की मार्ग में एक प्रमुख बाधा है।
(6) सांप्रदायिकता पर आधारित भावना और अनुचित दलबंदी
सांप्रदायिकता आदर्श नागरिकता के मार्ग में सर्वाधिक बाधक है। सांप्रदायिकता की भावना समाज की शांति और व्यवस्था को नष्ट कर देती है। सांप्रदायिकता की भावना की स्थिति में आदर्श नागरिकता की प्राप्ति असंभव हो जाती है। आधुनिक लोकतंत्रात्मक राज्यों में डाल बंदी की प्रथा प्रचलित है, परंतु संकीर्ण तथा अनुचित डाल बंदी समाज में घृणा, द्वेष, संघर्ष तथा अराजकता को बढ़ावा देती है। इससे आदर्श नागरिकता के मार्ग में अवरोध उत्पन्न हो जाता है।
(7) रूढ़िवादिता पर आधारित मनोवृति
रूढ़िवादिता भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करती है। रूढ़ियां सामाजिक जीवन को दूषित करके नागरिकता के विकास को अवरुद्ध कर देती है।
(8) उग्र राष्ट्रीयता
राष्ट्रीयता अथवा देश भक्ति की भावना एक सीमा तक सुनिश्चित रूप से उपयोगी है। परंतु जब राष्ट्रीय था उग्र रूप धारण कर लेती है तो वह अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बन जाती है। नाजी जर्मनी व फासीवादी इटली की उग्र राष्ट्रीयता के परिणाम स्वरुप ही प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध हुए थे। यह साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद को भी जन्म देती है।
(9) दासतापूर्ण जीवन
दासता मानव के लिए एक अभिशाप है। पराधीन देश के नागरिक कभी भी आदर्श नागरिक नहीं बन सकते हैं। यही कारण रहा है कि अब्राहम लिंकन ने अमेरिका में दास प्रथा उन्मूलन की दिशा में कदम उठाया और अमेरिका से दास प्रवृत्ति को समूल उखाड़ फेंका।
(10) पूंजीवाद का विकास
आदर्श नागरिकों के समाज में धन का समान वितरण आवश्यक है। धन के समान वितरण में पूंजीवाद पनपता है। पूंजीवादी व्यवस्था में निर्धनों का शोषण होता है और समाज की शांति एवं व्यवस्था भंग हो जाती है।
(11) भ्रष्ट शासन
आदर्श नागरिकता स्वच्छ एवं सुव्यवस्थित शासन में ही विकसित हो सकती है। भ्रष्ट शासन में आदर्श नागरिकता का विकास होना संभव नहीं है।
(12) सार्वजनिक जीवन के प्रति उदासीनता
जब समाज में अधिकांश नागरिक सार्वजनिक जीवन के प्रति उदासीन हो जाते हैं, तो स्वार्थी तथा धूर्त व्यक्ति शासन पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेते हैं, जिसके परिणाम स्वरुप आदर्श नागरिकता के विकास के संभावनाएं क्षीण हो जाती हैं।
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