निःशस्त्रीकरण के मार्ग की मुख्य बाधाएं अथवा कठिनाइयां

निःशस्त्रीकरण के मार्ग की मुख्य बाधाएं

निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएं कुछ इस प्रकार है — 

(1) राष्ट्रीय हित की सर्वोच्चता 

राष्ट्रीय हित की भावना निशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे अधिक बाधा उत्पन्न करती है। उदाहरण के तौर पर—भारत ने अगस्त 1996 ईस्वी में अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए परमाणु शस्त्र परिसीमन संधि के मसविदे पर हस्ताक्षर करना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार सभी राष्ट्रीय हिंदी सस्ती कारण कार्यक्रम का सीधा संबंध अपने राष्ट्रीय हित से जोड़ते हैं। ऐसी ही स्थिति हमें साल्ट2 के समय अमेरिका के व्यवहार से दृष्टिगत होते हैं।

(2) राष्ट्रवाद तथा संप्रभुता की प्रबल भावना 

राष्ट्रीय राज्य व्यवस्था में राष्ट्रवाद तथा संप्रभुता की प्रबल भावना के कारण कोई भी राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रकार कि प्रतिबंधों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। दूसरे शब्दों में, अभी तक किसी ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था का जन्म नहीं हुआ है जो इस बात की जांच कर सके कि निशस्त्रीकरण के कार्यक्रम का क्रियान्वयन हुआ है अथवा नहीं। आज स्थिति हो है कि राष्ट्र सुरक्षा से निशस्त्रीकरण को स्वीकार अथवा अस्वीकार करते हैं।

(3) प्राथमिकता की समस्या 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में मूल समस्या यह हो रही है कि निशस्त्रीकरण की समर्थक राष्ट्र पहले अपनी राजनीतिक विवादों को सुलझाएं या निशस्त्रीकरण की दिशा में आगे बढ़े। इस प्राथमिकता की दौड़ में निशसीकरण की मांग पीछे रह जाती है। उदाहरण के तौर पर— साल्ट2 के बाद अफगानिस्तान समस्या तथा चिकोशलव्य की समस्याओं ने पूर्व सोवियत संघ तथा अमेरिका के मध्य ‘शस्त्र नियंत्रण वार्ता’ को असफल बना दिया था। इसका कारण होता कि अमेरिका ही हो चाहता था कि निशस्त्रीकरण की वार्ता से पूर्व सोवियत संघ अफगानिस्तान से अपनी समस्त सेनाएं हटा ले। अतः प्राथमिकता के अभाव में निशसीकरण की कल्पना करना अव्यावहारिक होगा। 

(4) राजनीतिक शत्रुता तथा विरोध 

अपनी-अपनी सैनी शक्ति तथा दूसरी रसों पर अपने प्रभाव में वृद्धि करने तथा विश्व में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनने के प्रयत्नों के कारण उत्पन्न राजनीतिक शत्रुता निशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। विभिन्न राजनीतिक संकटों में भी निशस्त्रीकरण की दिशा में होने वाली प्रगति को बाधित किया है। राज्यों के मध्य उत्पन्न राजनीतिक शत्रुता, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शास्त्रस्त्रो की होड़ का प्रमुख कारण है तथा इस प्रकार एवं निशस्त्रीकरण के मार्ग में सदैव अवरोध बनकर खड़ी रही है। 

(5) अनुपात की समस्या 

श्लीचर के अनुसार निशस्त्रीकरण की प्रमुख समस्या सभी रसों के शास्त्रों को आनुपातिक रूप से काम करने की रहती है। निशस्त्रीकरण का अभिप्राय यह नहीं है कि शक्तिशाली राष्ट्र को कमजोर बना दिया जाए और कमजोर राष्ट्रों को अधिक शक्तिशाली बनने का अवसर प्रदान कर दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रायः देखा गया है कि महाशक्तियां अपनी शक्ति को बनाए रखते हुए दूसरे राष्ट्र की शक्ति को छेद करना चाहती है, जबकि निशस्त्रीकरण का लक्ष्य शक्ति को अनुपातिक अथवा संतुलित रखना है। वर्तमान में अमेरिका, रूस और चीन के मध्य शक्ति अनुपात का प्रश्न है निशसीकरण के समझौते की मार्ग में सबसे प्रमुख बाधा बना हुआ है। 

(6) महा शक्तियों के मध्य मौलिक मतभेद 

 निशस्त्रीकरण के कार्यक्रम में सबसे बड़ी बाधा महा शक्तियों के मध्य विद्यमान मौलिक मतभेद का होना है, उदाहरण के तौर पर— रूस और चीन के मध्य स्वादंत्रिक मतभेद तथा रूस और अमेरिका के बीच वैचारिक मतभेद। इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं की निराकरण के संबंध में भी महा शक्तियों के बीच गंभीर मदभेद पाया जाता है।

(7) आर्थिक खेतों का संरक्षण 

हथियारों का उत्पादन करने वाले देशों की यह अवधारणा है कि यदि निशस्त्रीकरण का कार्यक्रम सफल हो गया तो उन देशों की आर्थिक संपन्नता समाप्त हो जाएगी तथा उनके हथियार बनाने वाले कारखाने बंद हो जाएंगे। इनके परिणाम स्वरुप बेरोजगारी और महंगाई की प्रबल समस्या उत्पन्न होगी। यही कारण है कि ऐसे देश अपने आर्थिक हितों की संरक्षण के लिए निशस्त्रीकरण कार्यक्रम को प्रोत्साहित नहीं करते हैं।

(8) और अन्य बाधाएं

इन सभी बाधाओं के अतिरिक्त भी सैन्य तकनीकी की भारी गतिशीलता तथा आर्थिक व्यवस्था में शास्त्र उद्योग का महत्व वर्तमान समय में भी दो प्रमुख बढ़ा रही है।

निष्कर्ष 

  संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि निशस्त्रीकरण का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय राजनीति की समस्याओं का निराकरण हिंसा के स्थान पर शांतिपूर्ण ढंग से परस्पर सद्भावना के आधार पर करना है, किंतु जब तक अंतरराष्ट्रीय राजनीति वैचारिक प्रतियोगिता, संकीर्ण राष्ट्रवाद तथा स्वार्थ पूर्ण राष्ट्रीय हेतु जैसे संकीर्ण विचारों से जकड़ी हुई है तब तक निशस्त्रीकरण की कल्पना करना निरर्थक है।

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