कार्यपालिका (executive)
सरकार का दूसरा महत्वपूर्ण अंग कार्यपालिका है कार्यपालिका ही व्यवस्थापिका द्वारा पारित कानून को लागू करती है तथा प्रशासन का संचालन करती है। कार्यपालिका एक सरकारी निकाय है जो नीतियों को क्रियान्वित करने और सरकारी कार्यों को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसे एक शासन निकाय भी कहा जाता है जो स्थायी स्थान पर बैठने वाले सदस्यों द्वारा चलाया जाता है और इसमें विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों की स्थापना शामिल हो सकती है।
(1) गार्नर के अनुसार— कार्यपालिका अर्थ स्पष्ट करते हुए यह लिखा है कि, “व्यापक एवं सामूहिक अर्थ में कार्यपालिका के अधीन हुए सभी अधिकारी, राज कर्मचारी तथा एजेंसियां आ जाती हैं, जिनका कार्य राज्य की इच्छा को किसी व्यवस्था की कहानी व्यक्त कर कानून का नया रूप दे दिया है, कार्य रूप में परिणत करना है।”
(2) गिलक्राइस्ट के अनुसार — “कार्यपालिका सरकार का वह अंग है, जो कानून में निहित जनता की इच्छा को लागू करता है।”
(3) लीकांक के अनुसार — “कार्यपालिका शब्द का प्रयोग सरकार के उन अधिकारियों के लिए किया जाता है, जिनका कार्य देश के कानून को क्रियान्वित करना होता है।”
कार्यपालिका के कार्य एवं शक्तियां
सामान्यतया व्यवस्थापिका द्वारा पारित कानून का क्रियान्वयन तथा प्रशासन का संचालन कार्यपालिका के द्वारा ही किया जाता है। विगत दशकों में कार्यपालिका के कार्यों एवं शक्तियों में पर्याप्त वृद्धि हुई है। इसका प्रमुख कारण राज्यों में अव्यवस्था का उत्पन्न होना, वित्तीय मामलों में वृद्धि, वैदिक संबंधों का विस्तार तथा लोक कल्याण पर आधारित कार्यों में वृद्धि होना है। कार्यपालिका द्वारा संपन्न किए जाने वाले वर्तमान कार्यों के आधार पर भी यह सहज ही स्पष्ट हो जाता है। इन कार्यों का संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार है—
(1) वित्तीय कार्य
संसदीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत कार्यपालिका ही बजट का निर्माण करती है। और उसे विधानमंडल में प्रस्तुत करती है। सामान्यतया यह कार्य केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संपादित होता है। नहीं कर लगाने अथवा पुराने करो में कमी करने आदि के संबंध में भी व्यवस्थापिका कार्यपालिका से ही परामर्श लिया करती है।
(2) प्रशासकीय कार्य
कार्यपालिका का प्रमुख कार्य कानून को लागू करना और राज्य में शक्ति एवं सुव्यवस्था स्थापित करना है। कानून का पालन करवाने के लिए कार्यपालिका राज्य कर्मचारियों की नियुक्ति करती है और उनका दायित्व निर्धारित करती। कार्यपालिका प्रशासकीय कार्यों का निरीक्षण भी करती है।
(3) विधायिनी कार्य
संसदीय शासन प्रणाली के अंतर्गत कार्यपालिका व्यवस्थापन क्षेत्र में नेतृत्व करती है। अनेक कानून के निर्माण में कार्यपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। व्यवस्थापिका में अधिकांश विधायक मंत्रियों के द्वारा ही प्रस्तुत किए जाते हैं और कार्यपालिका के सदस्य ही उन्हें पारित कराते हैं। इसके अतिरिक्त कार्यपालिका विधान मंडल की बैठकें बुलाती है, उन्हें स्थगित और भंग करती हैं। आपातकाल में कार्यपालिका अध्यादेश भी जारी करती है। भारत की प्रक्षेप में सभी अध्यादेश राष्ट्रपति द्वारा ही (प्रधान मंत्री की सलाह पर) जारी किए जाते हैं। प्रदत विधायक के आधार पर भी कार्यपालिका अनेक प्रकार के कानूनों का निर्माण करती है।
(4) सुरक्षात्मक कार्य
देश की भाई आक्रमणों से सुरक्षा करने के लिए कार्यपालिका स्थल, जल और वायु सेना का संगठन करती है। सैनिक अधिकार के अंतर्गत कार्यपालिका आवश्यकता के अनुसार युद्ध अथवा शांति की घोषणा कर सकती है। संवैधानिक आधार पर भारत में कार्यपालिका के प्रधान राष्ट्रपति को ही सेवा का सर्वोच्च सेनापति माना।
(5) न्याय के क्षेत्र में कार्य
कार्यपालिका कुछ न्यायिक कार्यों का भी संपादन करती है। बहुत से देश में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा ही की जाती है, जैसे उदाहरण के तौर पर— भारत में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा ही की जाती है। भारत और अमेरिका में कार्यपालिका के अध्यक्ष को किसी अपराधी के दंड को कम करने, स्थगित करने अथवा क्षमा कर देने का अधिकार भी प्राप्त होता है। कार्यपालिका के अधिकारियों को प्रशासनिक न्याय के आधार पर विवादों के समाधान का भी अधिकार प्राप्त होता है।
(6) वैदेशिक मामलों से संबंधित कार्य एवं शक्तियां
कार्यपालिका देश के वैदेशिक मामलों पर नियंत्रण रखती है। वह विदेश के साथ संधि, युद्ध तथा समझौता करती है। इसके अतिरिक्त कार्यपालिका का एक अन्य प्रमुख कार्य विदेश में अपने राजदूत भेजना और विदेशी राजदूतों के प्रमाण पत्र स्वीकार करना है।
(7) नीति निर्धारण
कार्यपालिका को सरकार की नीतियों को लागू करने और क्रियान्वित करने का कार्य होता है। इसमें नीति निर्धारित करना, योजनाओं को विकसित करना और समर्थन प्रदान करना शामिल होता है।
(8) कानूनी प्रबंधन
कार्यपालिका को सरकारी कानूनों का पालन करने तथा नए कानूनों का सुझाव देने और कानूनी मुद्दों में सरकार की प्रतिनिधित्व करने का कार्य होता है।
निष्कर्ष- उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त अनेक देशों में कार्यपालिका को उपाधियां विपरीत करने का भी अधिकार है। वस्तुत: लोक-कल्याणकारी राज्य की भावना कार्यपालिका के कार्यों में अत्यधिक वृद्धि है।
एक टिप्पणी भेजें