वर्चस्व का अर्थ, अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में उत्पन्न चुनौतियां

 वर्चस्व का अर्थ

वर्चस्व का अर्थ, अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में उत्पन्न चुनौतियां

वर्चस्व का अर्थ; वर्चस्व (हेगेमनी) शब्द का मूल प्राचीन यूनान में है। इस शब्द से किसी एक राज्य के नेतृत्व अथवा प्रभुत्व का बोध होता है। मूल रूप से इस शब्द का प्रयोग प्राचीन यूनान के अन्य नगर राज्यों की तुलना में एथेंस की प्रबलता को बताने के लिए किया जाता था। इस प्रकार हेगेमनी के पहले अर्थ का संबंध राज्यों के मध्य सैन्य क्षमता की बनावट और तौल से है। ‘हेगेमनी’ से ध्वनित सैनिक प्राब्लय का यही अर्थ आज विश्व राजनीति में अमेरिका की हैसियत को बताने में प्रयुक्त होता है।

              अमेरिकी शक्ति के रास्ते में अवरोध

इतिहास बताता है कि साम्राज्यों का पतन उनकी आंतरिक कमजोरी के कारण होता है। ठीक इसी तरह अमेरिकी वर्चस्व की सबसे बड़ी बाधा स्वयं उसके वर्चस्व के भीतर मौजूद है। अमेरिकी शक्ति की राह में तीन अवरोध है ‌ 11 सितंबर, सन् 2001 की घटना के बाद के सालों में यह व्यवधान एक तरह से निष्क्रिय जान पढ़ने लगे थे लेकिन धीरे-धीरे फिर प्रकट होने लगे हैं। 

प्रथम व्यवधान— पहले व्यवधान स्वयं अमेरिका की संस्थागत बुनावट है। यहां शासन के तीन अंगों के बीच शक्ति का बंटवारा है और यही बुनावट कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्ति के बेलगाम इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का काम करती है। 

दूसरा व्यवधान— अमेरिका की ताकत के आगे आने वाली दूसरी अड़चन भी अंदरूनी है। इस अड़चन के मूल में है अमेरिकी समाज जो अपनी प्रकृति में उन्मुक्त है ‌। अमेरिका में जनसंचार के साधन समय-समय पर वहां के जरूरत को एक खास दिशा में मोड़ दे कि भले कोशिश करें लेकिन अमेरिकी राजनीतिक संस्कृति में शासन के उद्देश्य और तरीके को लेकर गहरे संदेह का भाव भरा है। अमेरिका के विदेशी सैन्य अभियानों पर अंकुश रखने में यह बात बड़ी कारगर भूमिका निभाती है।

तीसरा व्यवधान— बहरहाल, अमेरिकी ताकत की राह में मौजूद तीसरा व्यवधान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन है जो संभवतया अमेरिकी ताकत पर लगाम कर सकता है और इस संगठन का नाम है नाटो अर्थात उत्तर अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन। स्पष्ट ही अमेरिका का बहुत बड़ा हिट लोकतांत्रिक देश के इस संगठन को कायम रखने से जुड़ा है क्योंकि इन देशों में बाजार मूलक अर्थव्यवस्था चलती है। इसी कारण इस बात की संभावना बनती है कि नाटो में शामिल अमेरिका के साथी देश उसके वर्चस्व पर कुछ अंकुश लगा सके।

अमेरिकी वर्चस्व पर मुख्य अवरोध (व्यवधान) 

(1) अमेरिका की संस्थागत बनावट 

अमेरिकी वर्चस्व का प्रथम व्यवधान अमेरिका की स्वयं की संस्थागत बनावत है अमेरिका में सरकार के तीनों अंग एक दूसरे से स्वतंत्र हैं।

(2) उन्मुक्त समाज

अमेरिकी वर्चस्व की राह में दूसरा व्यवधान अमेरिकी उन्मुक्त समाज है। अमेरिकी उन्मुक्त समाज में शासन के उद्देश्य और ढंग को लेकर संदेह व्याप्त रहता है।

(3) नाटो 

 अमेरिकी वर्चस्व के मार्ग का तीसरा बड़ा व्यवधान ‘नाटो’ है और आने वाले दिनों में अमेरिकी वर्चस्व को नाटो द्वारा ही कम किया जा सकता है।

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