73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1993) - (पंचायती राज व्यवस्था)

73 वां संविधान संशोधन से संबंधित जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे वे कुछ इस प्रकार होंगे — 

1- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम

2- भारत में 73वें संविधान संशोधन में पंचायती राज व्यवस्था में क्या परिवर्तन किए गए हैं?

3- 73वें संविधान संशोधन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

4- पंचायती राज से संबंधित 73वें संविधान संशोधन के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में समझाइए।

73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1993) - (पंचायती राज व्यवस्था)

73वें संविधान संशोधन 
(73rd constitutional amendment)

 केंद्र सरकार द्वारा बलवंत ‘राय मेहता कमेटी’ की सिफारिश में संशोधन हेतु प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अशोक मेहता की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। 1970 ई० में ‘अशोक मेहता कमेटी’ ने पंचायती राज व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन हेतु अनेक सुझाव दिए। इसने पंचायत को कार्यान्वित करने वाले अभिकरण से एक राजनीतिक संस्था के रूप में रूपांतरण करने का सबसे महत्वपूर्ण सुझाव दिया। किसी सुझाव को कार्यान्वित करने हेतु संविधान संशोधन की आवश्यकता महसूस की‌ गई। इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को एक दशक का समय लगा तथा फिर भी इसी से संबंधित 64 वां संविधान संशोधन अधिनियम राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया। इसी वर्ष (1992 ईस्वी) में 73 वां संविधान संशोधन अधिनियम पार्लियामेंट द्वारा पारित कर दिया गया।

73वां संविधान संशोधन
 (73rd constitutional amendment act)

   केंद्र सरकार ने 1992 ईस्वी में किए गए 73वें संविधान संशोधन (जो कि 24 अप्रैल 1993 से प्रभावी माना जाता है) द्वारा राज्यों को पंचायती राज अधिनियमों को अधिक प्रभावशाली बनाने के निर्देश दिए हैं। साथी ही, पंचायत के चुनाव समय पर कराने, गांव के स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक (तालुक) स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला पंचायत का निर्माण करने तथा उनके अधिकारों और कर्तव्यों की स्पष्ट व्याख्या करने को भी कहा गया है। यह संविधान संशोधन ‘पंचायत अधिनियम 1993’ के नाम से जाना जाता है। केंद्र द्वारा राज्य सरकारों को दिए जाने वाले अनुदान को इस अधिनियम के अनुरूप राज्य अधिनियम बनाने तथा चुनाव कराने के साथ भी जोड दिया गया है ताकि कोई भी राज्य इसकी अवहेलना न कर सके।

Panchayati Raj vyavastha ; यह संशोधन सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में पंचायती राज की त्रि-स्तरीय प्रणाली (ग्राम सभा, पंचायत समिति तथा जिला परिषद्) लागू करने का निर्देश देता है। यह प्रणाली उन क्षेत्रों में लागू नहीं की गई है जहां जनसंख्या 20 लाख से कम है। इस संशोधन के अंतर्गत अनुच्छेद 243 में पंचायती राज से संबंधित व्याख्या दी गई है। अनुच्छेद के प्रमुख भाग कुछ सरकार है— 

अनुच्छेद 243 ए      - ग्राम सभा

अनुच्छेद 243 बी     - पंचायत का संविधान   

अनुच्छेद 243 सी     -पंचायत की संरचना

अनुच्छेद 243 डी    - सदस्यता का आरक्षण

अनुच्छेद 243 ई      - पंचायत आदि की अवधि

अनुच्छेद 243 एफ    -सदस्यों की अयोग्यता

अनुच्छेद 243 जी    - शक्ति, अधिकार और पंचायत की जिम्मेदारियां

अनुच्छेद 243 एच  - पंचायत द्वारा कर लगाने की शक्ति और कोष

अनुच्छेद 243 आई   - वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के लिए वित्त आयोग का संविधान

अनुच्छेद 243 जे     -पंचायत खातों का ऑडिट

अनुच्छेद 243 के     - पंचायत का निर्वाचन

अनुच्छेद 243 एल    -केंद्र शासित क्षेत्रों की स्थिति

अनुच्छेद 243 एम     -भाग जो विशेष क्षेत्रों में लागू नहीं होगा।

पंचायती राज ; 73 वां संविधान संशोधन से पूर्व एवं पश्चात

73वें संविधान संशोधन ने पंचायती राज के स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन कर दिया है। अगर हम इस संशोधन से पूर्व एवं इस संशोधन के पश्चात भारत में पंचायती राज की तुलना करें तो इसमें कुछ निम्नलिखित अंतर स्पष्ट होते हैं, जो कुछ इस प्रकार है — 

73वें संविधान संशोधन में पंचायती राज व्यवस्था में किए गए परिवर्तन — 

     (1) संशोधन से पूर्व पंचायती राज एक राजनीतिक संस्था न होकर विकास कार्यों को कार्यान्वित करने वाला संगठन मात्र था। इसमें राजनीतिक दलों की कोई भूमिका नहीं थी तथा पंचायती चुनाव व्यक्तिगत आधार पर होते थे। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का चयन राजनीतिक दलों द्वारा नहीं किया जाता था। इसके विपरीत, संशोधन के पश्चात अब राजनीतिक दलों को पंचायत के चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिल गई है। इसलिए आज पंचायती राज हेतु चुनाव दलीय आधार पर होते हैं।

     (2) संशोधन से पूर्व पंचायती राज का स्वरूप भारत के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से भिन्न-भिन्न प्रकार का था, जबकि संशोधन के पश्चात संपूर्ण भारत में पंचायती राज का स्वरूप एक समान (त्रि-स्तरीय) हो गया है।

       (3) संशोधन से पूर्व पंचायत में गांव की स्त्रियों एवं कमजोर वर्गों को सशक्तिकरण का कोई अवसर प्रदान नहीं किया जाता था, जबकि संशोधन के पश्चात स्त्रियों एवं कमजोर वर्गों को आरक्षण का सुविधा प्रदान करके उनकी पंचायती राज व्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित कर दी गई है।

      (4) संशोधन से पूर्व पंचायतें विकास कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने का ही कार्य करती थी, जबकि संशोधन के पश्चात पंचायतें निर्णय लेने वाले संगठन बन गई है जो गांव पर शासन करती है।

       (5) संशोधन से पूर्व पंचायत के चुनाव नियमित समय अवधि पर नहीं होते थे। अनेक राज्यों में तो 10 से 15 वर्ष तक पंचायतों के लिए चुनाव नहीं होते थे। इसकी विपरीत, संशोधन के पश्चात अब प्रत्येक 5 वर्ष बाद पंचायतों के चुनाव करवाना सुनिश्चित किया गया है। अगर किन्ही कर्म से राज्य सरकार किसी पंचायत को भंग कर देती है तो ऐसी स्थिति में 6 महीना के अंदर चुनाव करवाना अनिवार्य बना दिया गया है।

       (6) संशोधन से पूर्व प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश पंचायतों से संबंधित अपने अधिनियम पारित करता था, जबकि संविधान संशोधन के कारण केंद्रीय अधिनियम पारित होने के पश्चात अब प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश को इस ‘केंद्रीय अधिनियम’ को अपनाना अनिवार्य है।

       (7) संशोधन से पूर्व पंचायती राज संस्थाओं को पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं मिल पाती थी, जबकि संशोधन के पश्चात पंचायत को केंद्र एवं संबंधित सरकार से पर्याप्त राशि दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। साथ ही, अब पंचायती राज संस्थाओं को स्थानीय साधनों द्वारा धन एकत्रित करने के अधिकार प्रदान किए गए हैं।

        (8) संशोधन से पूर्व पंचायत के चुनाव हेतु राज्यों में अलग से ना तो किसी चुनाव कमीशन की ही एक चुनाव कमीशन एवं वित्त कमीशन की, जबकि संशोधन के पश्चात पंचायत के चुनाव हेतु अलग से एक चुनाव कमिश्नर एवं वित्त कमिश्नर की व्यवस्था की गई है।

        (9) संशोधन से पूर्व पंचायत को किसी प्रकार की विशिष्ट प्रावधान प्राप्त नहीं थे, जबकि संशोधन द्वारा पंचायत को मद्यनिषेध, भूमि के संरक्षण, जल संसाधनों, गांव के बाजारों एवं विकास के बारे में अनेक विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं।

        (10) संशोधन से पूर्व न्याय पंचायतें भी पंचायती राज व्यवस्था का ही एक अंग थी, जबकि संशोधन में राज्यों द्वारा न्याय पंचायत की स्थापना को अनिवार्य नहीं बनाया गया है।

समीक्षा (Review)

इन सभी विवेचनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि 73वें संविधान संशोधन ने पंचायती राज व्यवस्था का स्वरूप परिवर्तित कर दिया है तथा इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था बना दिया है। कमजोर वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित कर यह अधिनियम ग्रामीण शक्ति संरचना में भी मूलभूत परिवर्तनों को प्रोत्साहन दे रहा है।


important short questions and answers 

73वां संविधान संशोधन किससे संबंधित है?

73वां संविधान संशोधन पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित है।

73वां संविधान संशोधन कब हुआ?

73वां संविधान संशोधन 24 अप्रैल, 1993 में हुआ।

73वां संविधान संशोधन क्या है?

73वां संविधान संशोधन भारत में पंचायती राज व्यवस्था में सुधार करने की दिशा में उठाया गया एक सही कदम है।

73वां संविधान संशोधन सबसे पहले किस राज्य में लागू हुआ?

73वां संविधान संशोधन सबसे पहले मध्यप्रदेश राज्य में लागू हुआ।

भारत में 73वें संविधान संशोधन में पंचायती राज व्यवस्था में क्या परिवर्तन किए गए हैं?

73वें संविधान संशोधन ने पंचायती राज व्यवस्था का स्वरूप परिवर्तित कर दिया है तथा इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था बना दिया है। कमजोर वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित कर यह अधिनियम ग्रामीण शक्ति संरचना में भी मूलभूत परिवर्तनों को प्रोत्साहन दे रहा है।

73वां संविधान संशोधन किस कमेटी के द्वारा लागू किया गया?

केंद्र सरकार द्वारा बलवंत ‘राय मेहता कमेटी’ की सिफारिश में संशोधन हेतु प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अशोक मेहता की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। 1970 ई० में ‘अशोक मेहता कमेटी’ ने पंचायती राज व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन हेतु अनेक सुझाव दिए।

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