1917 की रूस की क्रांति (Russian Revolution of 1917)
1917 की रूस की क्रांति ; जब प्रथम महायुद्ध अपनी पूर्ण प्रकाष्ठा पर था, उसी समय रूस ने साम्यवादियों ने सशस्त्र क्रांति द्वारा 1917 ईस्वी में जार के शासन का अंत कर शासन की सत्ता पर अधिकार स्थापित किया।
रूस की क्रांति (1917 ई०) के महत्व (Importance of the Revolution)
रूस की क्रांति का महत्व न केवल यूरोप के इतिहास में बल्कि विश्व के इतिहास में है। जिस प्रकार 18वीं शताब्दी के इतिहास की सबसे बड़ी महत्वपूर्ण घटना फ्रांस की राज्य क्रांति है। इस प्रकार 20वीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति थी।
(1) नवीन विचारधारा का महत्व
रूसी क्रांति के द्वारा विश्व में एक नई लहर जागृत हुई, जो समाजवाद, साम्यवाद अथवा कम्युनिज्म के नाम से विख्यात है। इस विचारधारा के अंतर्गत उन्होंने वर्घीन समाज की स्थापना की और शासन पर किसान और मजदूरों का आधिपत्य स्थापित किया। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में भी राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ क्रांति की स्थापना की। फ्रांस की क्रांति केवल राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित थी, किंतु इस क्रांति का क्षेत्र पर्याप्त विस्तृत था।
(2) शासन पर किसानों और मजदूरों का अधिकार
जिस प्रकार 18वीं शताब्दी की फ्रांस की क्रांति ने सुरक्षाचारी शासन का अंत कर समानता, स्वतंत्रता व राष्ट्रीयता की शिक्षा प्रदान की और जनतंत्र शासन व्यवस्था के मार्ग को प्रशस्त किया, उसी समान 1917 ई की रूसी क्रांति ने प्राचीन राजवंशों की शिक्षा चरित्र तथा निरंकुश्ता का अंत कर राजनीति के क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में समानता की स्थापना की ओर कदम उठाया। उसने राजाओं और सम्राटों के हाथों से शासन की सट्टा छीनकर किसान और मजदूरों के हाथ में शासन सत्ता प्रदान की।
(3) नई सभ्यता, नई संस्कृति तथा नए समाज का पक्षपाती
साम्यवाद की नई विचारधारा, एक नई सभ्यता, संस्कृति तथा नए समाज की पक्षपाती थी। उनको फ्रांस, इंग्लैंड और अमेरिका की व्यवस्था किसी भी क्षेत्र में प्रिय नहीं थी और उसका कथन है कि वहां की सामाजिक, आर्थिक तथा औद्योगिक व्यवस्था उसी प्रकार की है, जिस प्रकार कि यह व्यवस्थाएं निर्गुण और स्वेच्छाचारी शासको के समय में विद्यमान थी। वहां शासन पर सर्वसाधारण व्यक्तियों का अधिकार न होकर पूंजीपतियों तथा उद्योगपतियों का अधिकार था, जिसका व्यवहार सर्वसाधारण के साथ अच्छा नहीं था।
(4) साम्यवादी विचारधारा का प्रचार
इस क्रांति के द्वारा साम्यवादी विचारधारा का प्रचार समस्त विश्व में बड़ी तीव्र गति के साथ होना आरंभ हुआ। उसे समय लगभग आधा यूरोप तथा एक तिहाई एशिया साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित हो गया और उनमें साम्यवादी सरकारों की स्थापना भी हो गई। अन्य क्षेत्रों को भी यह धीरे-धीरे प्रभावित करता गया। जिस प्रकार फ्रांस की क्रांति द्वारा प्रसारित विचारधारा का प्रतिक्रियावादियों ने विरोध किया। इस प्रकार आज भी साम्यवाद का विरोध किया जा रहा है किंतु इसका प्रभाव निरंतर बढ़ता गया।
(5) अन्य देशों की नीति में परिवर्तन
जिन राज्यों की सरकार ने रूस की क्रांति द्वारा प्रतिपादित विचारों तथा सिद्धांतों को नहीं अपनाया, वहां भी उन्होंने किसानों और मजदूरों के महत्व को समझ कर अथवा उनकी क्रांति के भाई से भयभीत होकर उनकी दशा को अत्यधिक पूर्ण करने की ओर प्रयास करना आरंभ कर दिया और यह आशा की गई कि शीघ्र ही किसान और मजदूरों की दशा पर्याप्त उन्नत अवस्था की प्राप्ति होगी, किंतु साम्यवादियों को इससे ही संतोष नहीं होगा, क्योंकि अन्य क्षेत्रों में असफलता तथा असमानता विद्यमान रहेगी।
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