सामंतवाद का अर्थ परीभाषा तथा विशेषताएं - meaning of feudalism

सामंतवाद का अर्थ तथा परीभाषा

सामंतवाद का अर्थ ; सामंतवाद सामाजिक व्यवस्था की एक प्रक्रिया है जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों में विभाजन या विभेद होता है और विशेष वर्ग के व्यक्तियों द्वारा शक्ति, संपत्ति और सामाजिक उपयोग का अधिकार बनता है। इस प्रणाली में अमीर-गरीब, उच्च जाति-निम्न जाति आदि में भिन्नताएं उत्पन्न होती हैं। सामंतवाद विशेष रूप से एक समाज में व्याप्त व्यक्तियों या वर्गों के बीच सत्ता और संसाधनों के वितरण के बारे में असमानता पैदा करता है।  

सामंतवाद की परीभाषा

सामंतवाद एक प्राचीन समाजिक व्यवस्था थी, जिसमें भूमि के स्वामित्व और उपाधिकरण सामंतों द्वारा नियंत्रित था, और जनता को सेवाएँ और सुरक्षा प्रदान करते थे। 
सामंतवाद का अर्थ परीभाषा तथा विशेषताएं - meaning of feudalism
सामंतवाद का अर्थ परीभाषा तथा विशेषताएं 

  सामन्तवाद कोई नई व्यवस्था नहीं थी। सभी प्राचीन देश में इसका बहुत पहले ही उदय हो चुका था। लेकिन यूरोप में उसका उदय मध्यकाल में ही हुआ। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इसका उदय हुआ। इसका काल पाँचवीं शताब्दी से 15वीं शताब्दी तक है। बीच में कुछ दिनों तक इसका विकास रुका रहा। मेरोविगियन और कैरोलिगियन वंश के राजाओं में विशेष कर शार्लमेन ने उसकी प्रवृत्तियों को दबाए रखा। शार्लमेन ने अपनी शासन- व्यवस्था में मिसी डोमिनीसी नामक एक विशेष प्रकार के पदाधिकारियों की व्यवस्था की। ये लोग प्रांतीय शासको के कार्यों पर निगरानी रखते थे। इससे स्थानीय भूपतियों का प्रभाव बढ़ नहीं पता था। शार्लमेन ने हर प्रकार से केंद्रीय शक्ति के प्रभाव को कायम रखने की चेष्टा की, किंतु उसके निधन के पश्चात साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया और जमीदारों तथा स्थानीय सरदारों ने अपना प्रभाव बढ़ा लिया। नवीं से 11वीं शताब्दी के बीच में यूरोप के जीवन पर इन्हीं लोगों का प्रभाव छाया रहा। इस 300 वर्षों में सामंतवाद अपने विकास के चरम सीमा पर था। 15वीं शताब्दी में इसका पतन आरंभ हो गया।
   

सामंतवाद की विशेषताएं

सामंतवाद की निम्नलिखित विशेषताएं विशेष रूप से उल्लेखनीय है—

(1) सार्वभौमिक सत्ता का अपहरण

सामंतवाद की सर्वप्रथम विशेषताएं स्थानीय जागीरदारों द्वारा सार्वभौम सत्ता हस्तगत करना है। शार्लमेन के साम्राज्य के पतन के पश्चात स्थानीय भूपतियों या जमीदारों ने शासन- भार ग्रहण कर लिया। यहां तक कि निर्बल नृपों ने भी अपना शासनाधिकार जमीदारों को हस्तांतरित कर दिया। स्थिति यह हो गई की एक जागीरदार, जो सिद्धांतत: अपने स्वामी और अंततः राजा के अधीन था ,अपने क्षेत्र में सभी मामलों का स्वामी हो गया । फलत: यूरोप हजारों जागीरदारों बीच बट गया।

(2) काश्तकारी

एक दूसरी विशेषता कश्तकारी व्यवस्था है ।इसी पर सामंतवादी व्यवस्था खड़ी थी। किसी सामन्त की प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का निर्धारण उसके द्वारा प्राप्त जागीर या भूमि के आधार पर होता था। जागीरदार अपने स्वामी से संविदास्वरूप भूमि प्राप्त करता था। संविदा के अनुसार उसे अपने स्वामी की सेवा करनी पड़ती थी। वह सहायतार्थ सेना भी भेजता था या स्वयं सैनिक के रूप में कार्य करता था। वह उसके दरबार में पुलिस- कार्य, न्याय- कार्य या शांति व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करता था।

(3) व्यक्तिगत बंधन 

सामंतवाद की एक अन्य विशेषता यह है कि यह एक व्यक्तिगत बंधन है, जो स्वामी और जागीरदार के संबंध को बताता था। जागीरदार अपने स्वामी के प्रति वफादार रहने के लिए शपथ लेता था। काश्तकार, जागीरदार एवं स्वामी के बीच के संबंध का निर्धारण शपथ ग्रहण उत्सव के साथ होता था, न कि किसी राज्य के कानून द्वारा।

मेयर ने संक्षेप में सामंतवाद की तीन मुख्य विशेषताएं बताइए है जो यह है — 

1- भूमि की भूमि भोगी प्रकृति
2- इसके देने और लेने वाले के बीच घनिष्ठ व्यक्तिगत बंधन
3- भूमि पर स्वामी की पूर्ण या आंशिक सार्वभौमिकता है। 

(4) सामाजिक विभाजन 

सामंतवाद ने समाज को दो वर्गों— शासक और शासित में बांट दिया। सामंत या जमीदार शासक वर्ग के थे, शासित वर्ग में वे थे, जो खेत जोतते थे। भूमि ही समाज का ढांचा निर्धारित करती थी। सामंतवाद एक प्राचीन सामाजिक व्यवस्था थी जो कई भूमि का विभाजनो और श्रेणियां को समाहित करती थी, और इसमें सामाजिक विभाजन का महत्वपूर्ण हिस्सा था। 
भूमिका स्वामित्व— सामंतवाद में भूमि का स्वामित्व बड़े भूमि धारकों या सामंतो के पास होता था, जो उनकी शक्तियां संपत्ति के स्रोत के रूप में कार्य करते थे।
वर्ण व्यवस्था— सामंतवादी समाज में वर्ण व्यवस्था का पालन किया जाता था, जिसमें लोगों को उनके जाति और वर्ण के आधार पर कार्य और उपाधि मिलती थी।

महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 
 

सामंतवाद का उदय कहां से हुआ था?

सामंतवाद का उदय यूरोप से हुआ था।

सामंतवाद क्या है?

सामंतवाद सामाजिक व्यवस्था की एक प्रक्रिया है जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों में विभाजन या विभेद होता है और विशेष वर्ग के व्यक्तियों द्वारा शक्ति, संपत्ति और सामाजिक उपयोग का अधिकार बनता है।

सामंतवाद का उदय कब हुआ था?

यूरोप में सामंतवादका उदय मध्ययुगीन काल में हुआ। यहां तक कि सामंतवाद का सिस्टम सबसे अधिक 9वीं सदी से 15वीं सदी के बीच उदयित हुआ था।

सामंतवाद की परिभाषा दीजिए?

सामंतवाद एक प्राचीन समाजिक व्यवस्था थी, जिसमें भूमि के स्वामित्व और उपाधिकरण सामंतों द्वारा नियंत्रित था, और जनता को सेवाएँ और सुरक्षा प्रदान करते थे।

सामंतवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

सामंतवाद की सर्वप्रथम विशेषताएं स्थानीय जागीरदारों द्वारा सार्वभौम सत्ता हस्तगत करना है। शार्लमेन के साम्राज्य के पतन के पश्चात स्थानीय भूपतियों या जमीदारों ने शासन- भार ग्रहण कर लिया। यहां तक कि निर्बल नृपों ने भी अपना शासनाधिकार जमीदारों को हस्तांतरित कर दिया।

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