कर्तव्य क्या है? अर्थ, परिभाषा तथा प्रकार

कर्तव्य का अर्थ एवं परिभाषा

कर्तव्य का अर्थ ; ‘कर्तव्य’ (Duty) अंग्रेजी भाषा के शब्द ड्यूटी (Duties) का हिंदी अनुवाद है तथा ‘कर्तव्य’ (Duty) शब्द की उत्पत्ति कर्तव्य से हुई है। जिसका अर्थ उचित होता है। अतः ‘कर्तव्य’ से तात्पर्य ऐसे कार्य से है जिसे कोई व्यक्ति स्वाभाविक, नैतिक तथा कानूनी दृष्टि से करने के लिए बाध्य होता है। इस प्रकार कर्तव्य (Duty) उन कार्यों को कहा जाता है जिन्हें नैतिक रूप से करने के लिए व्यक्ति प्रतिबद्ध होता है। कर्तव्य समान रूप से वे कार्य होते हैं जिन्हें व्यक्ति को अनिवार्य रूप से करना चाहिए, लेकिन राजनीतिक शास्त्र में कर्तव्य सामान्य अर्थ से भिन्न है। इसमें कर्तव्य करना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि राज्य उन्हें करने के लिए अनिवार्य बना देता है। अतः कर्तव्यों को कानूनी रूप से व्यक्ति को करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसी विशेष कार्य को करने या न करने के संबंध में व्यक्ति के उत्तरदायित्व को कर्तव्य कहा जा सकता है। जिन कार्यों के संबंध में समाज एवं राज्य सामान्य रूप से व्यक्ति से यह आशा करते हैं कि उसे वे कार्य करने चाहिए, वे ही व्यक्ति के कर्तव्य कहे जा सकते हैं। 

इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका में कर्तव्य को कुछ इस प्रकार परिभाषित किया गया है— “कोई कार्य जिसको करना नैतिक दृष्टि से आवश्यक समझा जाता है, कर्तव्य है, चाहे ऐसे कार्य को आप व्यक्तिगत दृष्टि से पसंद करते हो अथवा नापसंद।” 

कर्तव्य के प्रकार

(1) नैतिक कर्तव्य 

नैतिक कर्तव्य का अर्थ ; नैतिक कर्तव्य उन्हें कहा जाता है जिन्हें मनुष्य नैतिक भावना से प्रेरित होकर करता है। यह नैतिक भावना अंतरण पर आधारित होती है तथा उचित कार्य करने की प्रवृत्ति पर आधारित होती है। नैतिक कर्तव्यों का पालन न करने पर मनुष्य का अंतरण इस कोसता है तथा समाज उसकी निंदा करता है लेकिन नैतिक कर्तव्यों के पालन हेतु राज्य मनुष्य को बाध्य नहीं कर सकता है। 

(2) सामाजिक कर्तव्य 

सामाजिक कर्तव्य समाज में व्यक्तियों के प्रति उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की भूमिका को दर्शाता है। इसे एक व्यक्ति ने अपने समाज और समुदाय के प्रति अपने दायित्वों का पूर्ण करने का एक भाग माना जाता है। सामाजिक कर्तव्य व्यक्ति को समाज में सहायक और उपयोगी बनाने का माध्यम होता है और समाज के साथी बनाने का एक तरीका है। 

(3) पारिवारिक कर्तव्य 

पारिवारिक कर्तव्य सामाजिक दायित्व और जिम्मेदारी का हिस्सा है जो व्यक्ति को अपने परिवार के प्रति आदर्श और सजग बनाए रखने का कार्य सौंपता है। यह व्यक्ति के परिवार के सभी सदस्यों के प्रति उनके कर्तव्यों और जरूरतों का समर्पण करने की जिम्मेदारी है। 

(4) कानूनी कर्तव्य 

कानूनी कर्तव्य, वे कर्तव्य होते हैं जिन्हें राज्य कानून के द्वारा निर्धारित करता है तथा जिनका पालन न करने पर व्यक्ति दंड का भागी होता है। कानूनी कर्तव्य कुछ इस प्रकार होते हैं—

1- राज्य के प्रति भक्ति— प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य होता है कि वह उसे राज्य के प्रति भक्ति रखें, जिसका वह नागरिक है। उस राज्य के प्रति नागरिक निष्ठावान हो। राज्य के प्रति निष्ठावान होने से राज्य सुदृढ़ होता है तथा सुरक्षित होता है। इसलिए शांति तथा संकट काल दोनों नागरिकों को राज्य के प्रति भक्ति रखना अनिवार्य है। 

2- कानून का पालन— कानून का पालन राज्य में शांति और व्यवस्था स्थापित करने और राज्य में रहने वाले नागरिकों के हित के लिए किया जाता है। आता हो व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है कि वह राज्य द्वारा निर्मित सभी कानूनों का पालन करें। कानूनी का ना मानना राज्य का विरोध करना है जो व्यक्ति और राज्य दोनों के लिए हानिकारक होते हैं। यदि राज्य का कोई कानून अनुचित है तो उसमें परिवर्तन के लिए संवैधानिक साधनों का आश्रय लिया जाना चाहिए, लेकिन जब तक वह कानून है उसका पालन किया जाना चाहिए।

3- करों का भुगतान करना— राज्य के द्वारा किए जाने वाले विभिन्न व्ययों की पूर्ति राजपूत से होती है तथा राजकोष में धान का संचई करों के द्वारा होता है। अतः प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह करों का भुगतान समय पर तथा ईमानदारी से करते रहें। 

इन कर्तव्यों के अलावा भी कुछ कर्तव्य होते हैं जिनका पालन नागरिक के लिए महत्वपूर्ण तथा आवश्यक होते हैं—

(1) राज्य के संविधान तथा कानून का पालन करना।

(2) सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना।

(3) देश की स्वतंत्रता, एकता और अखंडता की रक्षा करना।

(4) अन्य नागरिकों के अधिकारों तथा गरिमा का सम्मान करना। 

(5) प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना

(6) अपनी संतान का इस ढंग से पालन करना कि वह अच्छे नागरिक बन सके। 

(7) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा मैत्री को प्रोत्साहन देना।

(8) संकट के काल में देश की सैनिक अथवा अन्य प्रकार की सेवा करना। 

(9) ऐतिहासिक स्मारकों की रक्षा करना।

(10) देश की संस्कृति को बनाए रखना। 


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 

कर्तव्य कितने प्रकार के होते हैं?

कर्तव्य के प्रकार (Kinds of Duties) - कर्तव्य मुख्यतः बहुत से प्रकार के हो सकते हैं लेकिन कुछ मुख्य प्रकार यह है — (1) नैतिक कर्तव्य (2) सामाजिक कर्तव्य (3) पारिवारिक कर्तव्य (4) कानूनी कर्तव्य।

हमारा कर्तव्य क्या है?

हमारा कर्तव्य है कि हम अपना कर्तव्य को अच्छे से पालन करें, चाहे वह सामाजिक करते व्यवहार पारिवारिक कर्तव्य हो।

नैतिक कर्तव्य क्या है?

नैतिक कर्तव्य उन्हें कहा जाता है जिन्हें मनुष्य नैतिक भावना से प्रेरित होकर करता है। यह नैतिक भावना अंतरण पर आधारित होती है तथा उचित कार्य करने की प्रवृत्ति पर आधारित होती है।

कर्तव्य की परिभाषा क्या है?

कोई कार्य जिसको करना नैतिक दृष्टि से आवश्यक समझा जाता है, कर्तव्य है, चाहे ऐसे कार्य को आप व्यक्तिगत दृष्टि से पसंद करते हो अथवा नापसंद।

भारत में कर्तव्य कब लागू किए गए?

भारत में करते हुए 1976 में संविधान के 42 संबोधन के अनुसार लागू किए गए।

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