प्रति धर्म सुधार आंदोलन क्या है? कारण तथा परिणाम - Counter Reformation

 प्रति धर्म सुधार आंदोलन 

(Counter-Reformation)

प्रति धर्म सुधार आंदोलन ; धर्म सुधार आंदोलन के कारणों के दो पक्ष थे— सकारात्मक और नकारात्मक। सकारात्मक का अर्थ यह था कि पुनर्जागरण काल में जनता के मन में परिवर्तन की इच्छा उत्पन्न हुई और नकारात्मक पक्ष यह था कि कैथोलिक चर्च भ्रष्ट हो गई थी। इस चीज में जरा भी संदेह नहीं कि यदि कैथोलिक चर्च में समय रहते सुधार हो जाता, तो लूथर और काल्विन जैसे सुधारवादियों को अपने कार्य में सफलता नहीं मिलती। इन सुधारो से पहले जब वाईक्लिफ और जॉन हुस जैसे लोगों ने सुधार की बात की तो उन्हें शांत कर दिया गया था। लेकिन लूथर और केल्विन के विद्रोह के पश्चात तो कैथोलिक चर्च के लिए जीवन मरण का प्रश्न था। फल स्वरुप विवशतावश कैथोलिक धर्म में सुधार किया गया, क्योंकि यह धर्म सुधार आंदोलन के समयान्तर और उसके प्रतिवाद में ही प्रारंभ हुआ, इसलिए इसे प्रति धर्म सुधार आंदोलन कहा जाता है। 

प्रति धर्म सुधार आंदोलन क्या है? कारण तथा परिणाम - Counter-Reformation

प्रति धर्म सुधार आंदोलन के कारण

(1) प्रोटेस्टेंट धर्म की आपसी मतभेद या फूट 

प्रोटेस्टेंट धर्म के प्रचारक अपनी विभिन्न शाखाओं के प्रचार में लगे रहते थे और एक दूसरे की बुराइयां करते रहते थे। उनकी आपसी फूट इनके धर्म की उन्नति को प्रभावित कर रही थी। वास्तव में प्रोटेस्टेंट धर्म के प्रचारक अपनी शाखाओं के धर्म को ही उचित बताते थे और अन्य शाखों के धार्मिक उपदेशों की आलोचना अथवा निंदा करते रहते थे। अतः इनमें एकता होना कठिन हो गया था। इस नए धर्म के अनेक संप्रदाय थे— लूथर संप्रदाय, काल्विन संप्रदाय, प्यूरिटन, प्रेसविटी, रिमन, इंडिपेंडेंट संप्रदाय आदि। यह कभी भी एक प्लेटफार्म पर एकत्रित नहीं हो सकते थे। इनका झगड़ा गृह युद्ध के रूप में सदैव चलता रहता है। जनता इनको झगड़ों से उग गई थी और वह सोचने लगे कि इससे तो अच्छा अपना पुराना कैथोलिक धर्म ही ठीक है, जिसमें इस प्रकार के संघर्ष नहीं है। “इस तरह, कैथोलिक धर्म प्रचारकों ने प्रोटेस्टेंट समुदायों के आपसी विभाजन का लाभ उठाया और लोगों को अपने ही धर्म में वापस आने के लिए प्रेरित किया।”

(2) पॉप का चरित्र 

कैथोलिक पुनरुत्थान को सहायता पहुंचने में उसे समय के पोप का उच्च चरित्र बहुत ही उपयोगी वह लाभदायक सिद्ध हुआ। वास्तव में 16वीं सदी के पोप चरित्रवान व्यक्ति थे। उनमें वे दोष नहीं थे जिन्होंने प्रोटेस्टेंट धर्म को जन्म दिया था। पॉल तृतीया के पाप पद पर आसन होते ही 1534 से 1550 ई० तक पोप पद की नैतिक शक्ति बहुत बढ़ गई थी। पैप के चरित्र से प्रेरित होकर पादरियों ने भी चरित्रवान बनाकर स्वयं की नैतिक शक्ति बढ़ाना प्रारंभ कर दिया और जनता की समक्ष सदाचारी एवं उच्च नैतिकता पूर्ण जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया। अतः जनता को पोप व पादरियों से जो शिकायत थी, वह स्वयं समाप्त होने लगी और लोग पुनः कैथोलिक धर्म की ओर आकर्षित होने लगे। 

(3) कैथोलिक धर्म में आंतरिक सुधार

वास्तव में कैथोलिक धर्म के दोष ही प्रोटेस्टेंट धर्म की उत्पत्ति के कारण थे। अतः चरित्रवान पोप एवं पादरियों ने इसके देशों को दूर करने का प्रयास किया। इस धर्म के मठाधीशों तथा अनुयायियों ने यह सोच लिया कि यदि प्रोटेस्टेंट धर्म की उन्नति रोकती है तो कैथोलिक धर्म के दोस्तों को दूर कर आंतरिक सुधार करना बहुत आवश्यक है। अतः पोप और पादरियों ने कैथोलिक धर्म में सुधार करना प्रारंभ कर दिया। 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पोप ने चर्च के शासन में सुधार किया और पादरियों की पवित्र समिति की स्थापना की, जिसने 18 वर्षों तक कैथोलिक धर्म के सिद्धांतों में सुधार किए। ‘बाइबल’ का नवीन संस्करण प्रकाशित किया तथा यह आजा निकले कि यदि कोई पादरी अपने कर्तव्य का सही ढंग से पालन नहीं करेगा, तो उसे उसके पद से हटा दिया जाएगा। 

(4) धार्मिक सोसाइटियों एवं न्यायालय की स्थापना करना

कैथोड धर्म के पुनः उत्थान के लिए कुछ निम्नलिखित साधनों को अपनाया गया— 

1. ट्रेण्ट की काउंसिल

रोमन कैथोलिक चर्च की एक आम सभा ट्रेण्ट में 1545 से 1563 ई० तक हुई, जिसमें 200 से अधिक पादरियों ने भाग लिया था। उसे काउंसिल के कुल मिलाकर 25 अधिवेशन हुए। इसने कैथोलिक धर्म के सिद्धांत स्पष्ट किया, चर्च की व्यवस्था तथा अनुशासन में पर्याप्त सुधार किए और धर्म के दोषों को दूर किया। इन सब कार्यों का परिणाम ही हो निकला कि वे लोग पुनः कैथोलिक धर्म में वापस आने लगे, जो इसके देशों के कारण इसे छोड़कर प्रोटेस्टेंट धर्म की ओर आकर्षित हो गए थे। इस काउंसिल ने अपने धर्म के सिद्धांतों को और अधिक शक्तिशाली बना दिया था। काउंसिल ने प्रोटेस्टेंट लोगों से कोई समझौता नहीं किया। वे तो अपने धर्म की उन्नति चाहते थे। अतः उन्होंने धर्म में अनेक सुधार किया। जिससे वह पुन हो लोकप्रिय हो सके और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त कर ले।

2. निषिद्ध ग्रंथ सूची

ट्रेण्ट की काउंसिल के निर्णय के अनुसार पोप ने धर्म विरोधी पुस्तकों की सूची तैयार कराई तथा कैथोलिक के लिए उन्हें परिणाम निषिद्ध कर दिया गया। 

3. जेसुइट सोसायटी 

 कैथोलिक धर्म के पुनरुत्थान का एक यह दूसरा साधन था। इस ‘ऑर्डर आफ जीसस’ भी कहते हैं। इसकी स्थापना स्पेन का एक कुलीन वंश के सैनिक इग्नेशिया लोयला ने की थी। यह सैनिक चार्ज पंचम की सेना में था और एक युद्ध के दौरान वह इतना घायल हो गया कि उसे जीवन जीने की आशा बहुत कठिन लगने लगी। वह मर तो नहीं, परंतु लंगड़ा आवश्यक हो गया था। तब उसने ईसा मसीह की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने 6 वर्षों तक पेरिस के विश्वविद्यालय में धर्म शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की। 1531 ई० में उसने वहीं पर जेसुइट सोसायटी की नींव डाली। 1540 ई० में पोप पांल तृतीय ने इस संघ को मान्यता दे दी। यह सोसायटी बिल्कुल सैनिक ढंग की ही थी। अनुशासन वह आज्ञा पालन इसके दो प्रमुख नियम थे और इसका ‘प्रधान जनरल’ कहलाता। लोयला स्वयं यहां का जनरल बना।

   पॉप का आश्रय प्राप्त होने के पश्चात इस सोसायटी के सदस्य, ‘जेसुइट पादरी’ के नाम से जाने जाते थे, नए धर्म प्रोटेस्टेंट का मुकाबला करने को तैयार हो गए। उन्होंने नवयुवकों को अपनी पक्ष में कर लिया और बड़े बूढ़ों को समझा बूझाकर अपने साथ मिला। इसके अतिरिक्त उन्होंने कूटनीति और षड्यंत्र से भी काम लिया। अतः वे लोग किसी सीमा तक अपने उद्देश्य में सफल रहे। उनके प्रयत्नों से इटली स्पेन फ्रांस तथा पोलैंड में प्रोटेस्टेंट धर्म वांछित प्रगति नहीं कर सका। 

4. इन्क्वीजिशन

 इसे कैसे धर्म के पुनरुत्थान का तीसरा साधन कहा जाता है। यह कैथोलिक चर्च का धार्मिक न्यायालय था और इसका कार्य धर्म विरोधियों का दामन करना था। इसको हर तरह के अधिकार प्राप्त थे। इसकी स्थापना सन 1539 ईस्वी में हुई थी, परंतु अभी भी ये संपूर्ण शक्तिशाली नहीं हो पाए थे। 

  पोप पांल ने इसकी ओर ध्यान दिया। उसने रोमन के न्यायालय में 6 इनक्विजिटर जनरल नियुक्त किए। इन्हें धर्म विरोधियों के मामलों की सुनवाई कर उन्हें दंड देने, पुस्तकों को सेंसर करने, संदेह जनक व्यक्तियों को गिरफ्तार करने तथा धर्म विरोधियों का अत्यंत शारीरिक कष्ट पहुंचकर उनसे अपराध की स्वीकृत करने तथा मृत्युदंड देने का अधिकार था। 

प्रति धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम 

प्रति धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम कुछ इस प्रकार निकाले कि पोप और उनके अन्य अनुयायियों के प्रयासों के परिणाम स्वरुप प्रोटेस्टेंट धर्म की प्रगति रुक गई। स्पेन तथा इटली में इस नए धर्म को मानने वाला एक भी व्यक्ति नहीं रहा। दक्षिणी जर्मन, फ्रांस, पोलैंड तथा स्विट्जरलैंड में कैथोलिक धर्म की पुनः स्थापित हुई। जहां के राजा कैथोलिक धर्म को मानने वाले थे वहां प्रोटेस्टेंटों पर काफी हद तक अत्याचार हुए।

 (1) प्रोटेस्टेंट धर्म के वृद्धि विद्रोह

 प्रोटेस्टेंट लोगों ने अपने कैथोलिक शासको के विरुद्ध जो कर दिया। 1562 में फ्रांस में हृाूगनोटो ने नियमित युद्ध प्रारंभ किया और 8 वर्षों तक निरंतर युद्ध करते रहे और अंतिम उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता भी प्राप्त कर ली। 1598 में प्रोटेस्टेंटों कॉविड कैथोलिक को के समान धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। परंतु लुई 14वें ने इसे समाप्त कर दिया और प्रोटेस्टेंटों पर पुनः अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया। 

(2) नीदरलैंड में प्रति धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम

समुद्री धरातल से नीचा होने के कारण इस देश को नीदरलैंड कहा जाता था। इसमें बेल्जियम तथा हॉलैंड दोनों ही सम्मिलित थे। वहां प्रोटो स्टैंड धर्म पर्याप्त उन्नति कर रहा था। उनकी यह उन्नति को रोकने के लिए चार्ज पंचम ने यहां के निवासियों पर अनेक प्रकार के प्रचार भी करने शुरू कर दिए। जब फिलिफ के समय में ये अत्याचार काफी हद तक आगे बढ़ गए, तब यहां के निवासियों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया और अनेक गिरिजा घरों को भी नष्ट करना शुरू कर दिया। अल्वा ने एक काउंसिल बनाई, जिसका प्रमुख उद्देश्य था कि प्रोटो स्टैंड को कुचलना और उनकी प्रगति को रोकना। इस काउंसिल ने लोगों पर इतने अत्यधिक अत्याचार करना शुरू कर दिया कि वह इस ‘खूनी काउंसिल’ के नाम से संबोधित करने लगे। लेकिन कुछ समय पश्चात यहां की जनता ने स्वतंत्रता प्राप्त की और 1581 ई० में यहां डच गणराज्य की भी स्थापना हो गई। 

(3) स्पेन में प्रति धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम 

स्पेन कैथोलिक धर्म का अनुयायी थे, इसलिए यहां भी प्रति धर्मशाला आंदोलन के परिणाम हुए।। इसका शासक फिलिप द्वितीय प्रोटेस्टेंट धर्म को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए इतना प्रयास कर रहा था कि वह काफी हद तक आगे बढ़ चुका था। उसे समय स्पेन यूरोप का सबसे बड़ा धनी देश समझा था। उसने कैथोलिक को अमेरिका में प्रचार करने की अनुमति भी दे दी। उसने फ्रांस तथा आस्ट्रेलिया को प्रोटेस्टेंट धर्म को कुचलना के लिए सहायता भी प्रदान की थी।

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