भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति, कार्य एवं शक्तियां - letest education

प्रधानमंत्री से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जैसे —

1- प्रधानमंत्री की नियुक्ति

2- प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां 

प्रधानमंत्री की नियुक्ति 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार, “राष्ट्रपति को उसके कार्यों के संपादन में सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी, जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा।” 

 संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार, “प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और वह प्रधानमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा।” परंतु संविधान इस संबंध में मौन है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री का चयन कैसे करेगा। व्यवहार में लोकसभा में जिस दल का स्पष्ट बहुमत होगा, उसी दल के नेता को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। परंतु जब लोकसभा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तब राष्ट्रपति स्व-विवेक से उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा, जिसे लोकसभा में बहुमत का विश्वास मत प्राप्त होने की पूर्ण संभावना हो। वर्ष 1989 ईस्वी में श्री वी० पी० सिंह, नवंबर 1990 में श्री चंद्रशेखर और मई 1996 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी आदि ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में ही नियुक्त हुए थे जिन्हें राष्ट्रपति ने स्व-विवेक से प्रधानमंत्रित्व के लिए आमंत्रित किया था।

प्रधानमंत्री के कार्य एवं शक्तियां

प्रधानमंत्री के कार्यों एवं शक्तियाँ के अध्ययन से इसकी वास्तविक स्थिति का आभास मिल जाता है । प्रधानमंत्री की कार्य एवं शक्तियां निम्न प्रकार है

1. मंत्रिपरिषद से संबंधित शक्तियाँ

(1) मंत्री परिषद का निर्माता 

राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है और प्रधानमंत्री के परामर्श पर मंत्रीपरिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है। प्रधानमंत्री मंत्रियों के चयन हेतु अपने इच्छित लोगों की नामावली राष्ट्रपति के पास भेजता है। साधारणतया राष्ट्रपति उस नामावली को स्वीकृत कर लेता है। प्रधानमंत्री ही अन्य मंत्रियों को विभिन्न विभाग सौंपता है । प्रधानमंत्री यदि चाहे तो वह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के कुछ विभाग अपने पास रख सकता है। मंत्री परिषद का वही निर्माता है और उसे ही उसको समाप्त करने का अधिकार होता है। 

लास्की के अनुसार- “प्रधानमंत्री मंत्रीमंडल के जन्म, जीवन एवं मृत्यु के संबंध में केंद्रीय स्थिति रखता है।”

(2) मंत्री परिषद का अध्यक्ष

प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता है। वही मंत्रिपरिषद की बैठकों का सभापति भी होता है। प्रधानमंत्री ही यह निर्णय करता है कि किस विषय को मंत्रियों के समक्ष विचारार्थ रखा जाए और किसको नहीं।

(3) मंत्रिपरिषद में समन्वय स्थापित करना

मंत्रियों में परस्पर मतभेद हो जाने पर उनके पारस्परिक विवादों का समाधान करना भी प्रधानमंत्री का ही कार्य होता है। प्रधानमंत्री शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करता है। जिससे की समस्त शासन एक इकाई के रूप में कार्य कर सके।

(4) परिषद का पुनर्गठन

किसी ठोस कारण के आधार पर वह किसी मंत्री को पद त्यागने के लिए बाध्य कर सकता है। मंत्रीपरिषद के पुनर्गठन में प्रधानमंत्री पुराने मंत्रीपरिषद के सदस्यों को बाहर कर देता है तथा नए सदस्यों को उन में सम्मिलित कर लेता है। मंत्री परिषद के पुनर्गठन के लिए श्रीमती इंदिरा गांधी बहुत सूझबूझ से कार्य करती थीं।

(5) कार्यपालिका का प्रधान

सिद्धांतत: कार्यपालिका का प्रधान राष्ट्रपति होता है लेकिन व्यावहारिक रूप से कार्यपालिका- शक्ति मंत्री परिषद में निहित होती है और प्रधानमंत्री इनका प्रधान होता है। इस प्रकार वह संघीय कार्यपालिका का सर्वेसर्व होता है।

(6) मंत्री परिषद और राष्ट्रपति के बीच कड़ी के रूप में कार्य करना

प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद एवं राष्ट्रपति के बीच की कड़ी होता है। प्रधानमंत्री ही मंत्रीपरिषद की समस्त नीतियों एवं निर्णय से राष्ट्रपति को अवगत कराता है। वहीं राष्ट्रपति का परामर्शदाता होता है। इसलिए आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति सबसे पहले उससे ही विचार विमर्श करता है। इसके अतिरिक्त किसी भी मंत्रालय की सूचना प्रधानमंत्री के द्वारा ही राष्ट्रपति तक पहुंचती है।

(7) मंत्री परिषद की समाप्ति

यदि प्रधानमंत्री अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को भेज दे तो वह यह त्यागपत्र और संपूर्ण मंत्रीपरिषद का माना जाता है। इस प्रकार से प्रधानमंत्री अपना त्यागपत्र देकर संपूर्ण मंत्रीपरिषद को समाप्त कर सकता है। इस शक्ति को दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री के बारे में यह कथन उचित है कि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषदरूपी मेहराब की आधारशिला है ।

2. संसद से संबंधित कार्य

प्रधानमंत्री लोकसभा का भी नेता होता है। और लोकसभा का नेता होने के कारण और निम्नलिखित कार्यों का संपादन करता है - 

1-  प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से लोकसभा को भंग करने की सिफारिश कर सकता है।

2- लोकसभा के सदस्यों द्वारा गंभीर मामलों पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर प्राय: प्रधानमंत्री ही देता है।

3- जब मंत्रियों द्वारा संसद को संतोषजनक उत्तर नहीं दिए जाते तब संसद प्रधानमंत्री को अंतिम प्रवक्ता तथा नीति के स्रोत के रूप में देखती है।

4- शासकीय विधेयकों को प्रधानमंत्री की देख-रेख में तैयार किया जाता है।

5- देश की वित्त व्यवस्था और वार्षिक बजट को निर्धारित करने में भी प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण योगदान है।

6- अपने दल की नीतियों का क्रियान्वयन करने तथा दल में अनुशासन एवं एकता स्थापित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री दलीय सचेतक के माध्यम से आदेश प्रसारित करता है।

7- प्रधानमंत्री राज्यसभा की कार्यवाही में भी भाग ले सकता है। वह राज्यसभा के सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देता है परंतु वह राज्यसभा में विधि निर्माण संबंधी कार्यों में कोई भाग नहीं ले सकता।

8- संविधान संशोधन करवाना भी प्रधानमंत्री की इच्छा पर ही आधारित होता है। परंतु विधि निर्माण तथा संविधान संशोधन का निर्णय लेते समय प्रधानमंत्री को लोकमत तथा संसदीय विपक्ष की मनोभावनाओं को भी ध्यान में रखना पड़ता है, क्योंकि प्रधानमंत्री संसद के प्रति उत्तरदायी होता है, तथा संसद अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा उसे उसके पद से हटा सकती है।

9- प्रधानमंत्री राष्ट्र का नेता होता है, क्योंकि देश के शासन की संपूर्ण बागडोर उसी के हाथ में होती है। व्यावहारिक दृष्टि से देश का समस्त शासन उसी की इच्छा अनुसार संचालित होता है।

3. अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश का प्रतिनिधित्व

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी भारतीय प्रधानमंत्री का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। विदेश में प्रधानमंत्री के वक्तव्य को देश के नीतिगत विचारों के रूप में स्वीकार किया जाता है। वह महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में राष्ट्र के प्रतिनिधि के रूप में अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर विचार विमर्श करने हेतु भाग लेते हैं। प्रधानमंत्री की नीतियों तथा विचारधारा के अनुरूप ही विदेश नीति का संचालन किया जाता है । भारत की गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की ही देन है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व यदि विदेशमंत्री द्वारा होता है तो वह भी प्रधानमंत्री की ही अभिव्यक्ति का माध्यम होता है।


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?

भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति संसदीय आम चुनाव के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

नरेंद्र मोदी कौन से नंबर के प्रधानमंत्री हैं?

नरेंद्र मोदी 15 वे नंबर के प्रधानमंत्री हैं।

भारत में सबसे कम अवधि के लिए प्रधानमंत्री कौन बने?

भारत में सबसे कम अवधि के लिए प्रधानमंत्री गुलज़ारीलाल नन्दा बने थे।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी थे।

भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति के बारे में अनुच्छेद में है?

संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार, “प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और वह प्रधानमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा।”

प्रधानमंत्री बनने की न्यूनतम आयु सीमा क्या है?

प्रधानमंत्री बनने की न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है।

भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या है?

भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां - (1) मंत्री परिषद का निर्माता (2) मंत्री परिषद का अध्यक्ष (3) मंत्रिपरिषद में समन्वय स्थापित करना (4) परिषद का पुनर्गठन (5) कार्यपालिका का प्रधान (6) मंत्री परिषद और राष्ट्रपति के बीच कड़ी के रूप में कार्य करना (7) संसद से संबंधित कार्य (8) अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश का प्रतिनिधित्व।

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